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मटर की फसल में उकठा रोग का प्रबंधन कैसे करें?
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उकठा रोग को देश के विभिन्न क्षेत्रों में मुरझान, उंकडा, उक्ठा या म्लानि आदि नामों से जाना जाता है। यह एक फफूंद जनित रोग है। इस रोग से मटर की फसल को 40 से 45 प्रतिशत तक नुकसान होता है। इस विनाशकारी रोग के लक्षण एवं बचाव के उपाय यहां से देखें।
रोग का लक्षण
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यह रोग प्रारंभिक अवस्था में यानी 5 से 6 सप्ताह के पौधों में अधिक होता है।
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इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां पीली होने लगती हैं।
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कुछ ही समय में पौधे मुरझा कर सूखने लगते हैं।
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पौधों की जड़ें एवं तने काले रंग के दिखाई देते हैं।
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जड़ें सड़ने लगती हैं।
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यदि पौधा बच भी जाए तो प्रभावित पौधों में फलियां एवं दाने नहीं बनते।
बचाव के उपाय
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इस रोग से बचने के लिए फसल चक्र अपनाएं।
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बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 1 ग्राम कार्बेंडाजिम से उपचारित करें।
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इसके अलावा प्रति किलोग्राम बीज को 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा से भी उपचारित कर सकते हैं।
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खेत की जुताई करते समय प्रति एकड़ खेत में 1.5 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर मिलाएं।
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प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर टेबुकोनाजोले मिलाकर पौधों की जड़ों में डालें। आवश्यकता होने पर 10 दिनों के अंतराल पर इस मिश्रण को पौधों की जड़ों में दोबारा डालें।
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इस पोस्ट में बताई गई दवाओं के प्रयोग से आप निश्चित ही मटर की फसल को उकठा रोग से बचा सकते हैं। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसान मित्रों के साथ साझा भी करें। मटर की खेती से जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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