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कृषि ज्ञान
5 Aug
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मटर की उन्नत खेती कैसे करें | How to Cultivate Green Pea

हमारे देश में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, बिहार, हरियाणा, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में मटर की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में 7.9 लाख हेक्टेयर भूमि में मटर की खेती की जाती है। यह रबी मौसम में खेती जाने वाले एक प्रमुख दलहन फसल है। मटर की खेती की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

मटर की खेती कैसे करें? | How to Cultivate Green Pea?

  • उपयुक्त जलवायु: मटर की खेती के लिए मध्यम वर्षा के साथ ठंडी और समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त है। फसल के विकास के लिए 10 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान आदर्श माना जाता है।
  • भूमि का चयन: मटर की खेती कई तरह की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। जिसमें रेतीली दोमट मिट्टी से लेकर चिकनी मिट्टी भी शामिल है। मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
  • बुवाई का समय: सामान्य तौर पर, मटर सर्दियों की फसल है और इसकी बुवाई भारत के अधिकांश हिस्सों में अक्टूबर से दिसंबर महीने के बीच की जाती है। बुवाई का समय स्थान और मौजूदा मौसम की स्थिति के आधार पर भिन्न हो सकता है। कुछ क्षेत्रों में, मटर को वसंत की फसल के रूप में भी उगाया जा सकता है, जिसकी बुवाई फरवरी और मार्च के महीने के बीच की जाती है।
  • बीज का चयन एवं बीज उपचार: बुवाई के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन करें, जो रोग मुक्त हों और जिनकी अंकुरण दर भी उच्च हो। अपने क्षेत्र और जलवायु के लिए मटर की सही किस्म का चयन करना भी महत्वपूर्ण है। फसल को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए बीज उपचार करना आवश्यक है। यदि आप किसी अच्छी कंपनी से बीज खरीद रहे हैं तो यह सुनिश्चित कर लें कि बीज पहले से उपचारित है या नहीं।
  • बीज की मात्रा: बीज की मात्रा किस्मों पर निर्भर करती है। सामान्यतः प्रति एकड़ खेत के लिए 15 से 20 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
  • किस्में: मटर की बेहतर पैदावार के लिए आप 'देहात डीएस सम्राट’ किस्म का चयन करें। इसके अलावा आप नामधारी NS 1155, आईरिस हाइब्रिड मटर, नामधारी NS 1100, श्रीराम स्वीट रूबी, जेंटेक्स 10 स्टार, किस्मों की बुवाई भी कर सकते हैं।
  • खेत की तैयारी एवं उर्वरक प्रबंधन: खेत को तैयार करने के लिए 3-4 बार जुताई करें। जुताई के बाद खेत में पाटा लगा कर खेत की मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बना लें। खेत की अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 45 किलोग्राम यूरिया एवं 155 सिंगल सुपर फासफेट मिलाएं। इसकी बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 4 किलोग्राम ‘देहात स्टार्टर’ का प्रयोग करें। खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
  • बुवाई की विधि: मटर की बुवाई कतारों में करें। इससे सिंचाई एवं खरपतवारों पर नियंत्रण में भी सुविधा होती है। खेत में सभी कतारों के बीच 22 इंच की दूरी होनी चाहिए। वहीं पौधों से पौधों के बीच करीब 4-5 इंच की दूरी बनाए रखें।
  • सिंचाई प्रबंधन: मटर की बुवाई से पहले एक बार हल्की सिंचाई करें। इससे अंकुरण में आसानी होती है। इसके बाद मिट्टी में मौजूद नमी के आधार पर सिंचाई करें। पौधों में फूल आने के समय और फलियों में दानें भरने के समय मिट्टी में उचित मात्रा में नमी बनाए रखने के लिए सिंचाई करना आवश्यक है।
  • खरपतवार नियंत्रण: खेत में उगने वाले खरपतवार फसलों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को ग्रहण करने लगते हैं। जिससे मटर के पौधों के विकास में बाधा आती है। खरपतवारों के कारण मटर की उपज में भारी कमी देखी जा सकती है। खेत में खरपतवार की समस्या से निजात पाने के लिए आवश्यकता के अनुसार निराई-गुड़ाई करें। बुवाई के 20-25 दिनों बाद पहली एवं बुवाई के करीब 40-45 दिनों बाद दूसरी बार निराई-गुड़ाई करें। खरपतवारों की समस्या अधिक होने पर रासायनिक खरपतवार नाशक का प्रयोग कर सकते हैं। रासायनिक खरपतवार नाशकों से मटर के पौधे को होने वाली क्षति से बचाने के लिए दवाओं की मात्रा का विशेष ध्यान रखें।
  • रोग एवं कीट प्रबंधन: मटर की फसल में रस चूसक कीट, फली छेदक कीट, पत्ती सुरंगी कीट, सफेद धब्बा रोग, कुंगी रोग जैसे कीटों एवं रोगों का प्रकोप अधिक होता है। ये रोग एवं कीट मटर की उपज में कमी का बड़ा कारण बन सकते हैं। मटर की फसल को विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचाने के लिए नियमित अंतराल पर फसलों का निरीक्षण करें। किसी भी रोग एवं कीट के लक्षण नजर आने पर उचित दवाओं का प्रयोग करें। आवश्यकता होने पर कृषि विशेषज्ञ से परामर्श करें।
  • फलियों की तुड़ाई: मटर की बुवाई से करीब 130-150 दिनों बाद फलियां तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं। इस बात का ध्यान रहे की मटर के पौधों में सभी एक साथ तुड़ाई के लिए तैयार नहीं होती हैं। इसलिए फलियों की पहली तुड़ाई के करीब 6 से 10 दिनों के अंतराल पर 4 से 5 बार तक मटर के फलियों की तुड़ाई की जा सकती है।

मटर के साथ आप अन्य किन फसलों की खेती करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए ' कृषि ज्ञान ' चैनल को अभी फॉलो करें। इस जानकारी को अधिक किसानों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: मटर बोने का सही समय क्या है?

A: भारत में, मटर बोने का सही समय सर्दियों के मौसम के दौरान, अक्टूबर से दिसंबर के बीच होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मटर को अंकुरण और विकास के लिए ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है, और सर्दियों का मौसम उनके विकास के लिए आदर्श तापमान और नमी की स्थिति प्रदान करता है।

Q: 1 एकड़ में मटर का बीज कितना लगता है?

A: भारत में 1 एकड़ के लिए मटर के बीज की लागत मटर के बीज की किस्म और खेत के स्थान के आधार पर भिन्न हो सकती है।

Q: मटर में कितने दिन में पानी देना चाहिए?

A: मटर को नियमित रूप से सिंचाई की जानी चाहिए, खासकर फूलों और फलियों के गठन के चरणों के दौरान। ठंड के मौसम में हर 3 से 4 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। सिंचाई की अवधि मिट्टी में मौजूद नमी के आधार पर कम या अधिक हो सकती है। सिंचाई के समय खेत में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न न होने दें।

Q: मटर में कौन सी खाद डालनी चाहिए?

A: मटर की बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करना बहुत जरूरी है। मटर में उचित मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम का प्रयोग करें। बेहतर परिणाम के लिए उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी जांच के आधार पर करें।

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