मूंग में फली छेदक कीट का प्रकोप और रोकथाम के उचित उपाय

भारत के कई राज्यों में मूंग की खेती की जाती है। यह कम लागत में अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है। मूंग की फसल में बुवाई से लेकर कटाई तक काफी कीट एवं रोग लगते हैं। इनमें से एक है फली छेदक कीट। यह कीट मूंग की फसल में फली को खराब करता है। इसके कारण फसल का उत्पादन 15 से 20 फीसदी कम हो जाता है। ऐसे में अगर समय रहते इस पर नियंत्रण न किया जाए तो फसल बरबाद हो जाती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम किसानों को मूंग की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले फली छेदक कीट के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय बताएंगे। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।
मूंग में फली छेदक कीट का कारण एवं लक्षण
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फली छेदक कीट मुलायम पत्तियों, फलों, फूलों एवं फलियों को खाते हैं।
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यह कीट मुख्यत: जब फलियों में दाना बनना शुरू होता है तब फलियों के अंदर प्रवेश कर नुकसान पहुंचाना शुरू करते हैं।
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एक फली छेदक कीट अपने जीवन काल में 30-40 फलियों को खा जाता है।
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इस कीट के प्रकोप से फलियों में दाने नहीं बनते हैं।
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अधिक प्रकोप होने पर पौधे और पत्तियां सूख जाती हैं।
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पौधों का विकास रुक जाता है।
फली छेदक कीट पर नियंत्रण के उपाय
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बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें, जिससे मिट्टी में उपस्थित कीट खत्म हो जाएं।
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उचित मात्रा में खाद का प्रयोग करें।
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इस कीट के नियंत्रण के लिए मोनोक्रोटोफॉस 500 मिलीलीटर या 1 लीटर मैलाथियान को 100 लीटर पानी के साथ एक एकड़ खेत में छिड़कें।
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कीट से बचाव के लिए प्रति एकड़ खेत में 5-6 पीली स्टिकी ट्रैप लगाएं।
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फसल में 50 मिलीलीटर देहात हॉक को 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें।
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प्रति एकड़ खेत में 200 मिलीलीटर इंडोएक्साकार्ब 14.5 एस सी या 800 ग्राम एसीफेट 75 एस पी या 60 मिलीलीटर स्पिनोसैड 45 एस सी का छिड़काव करें।
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15 दिनों के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें।
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फसल में हल्की सिंचाई करें।
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कीट से बचाव के लिए मूंग की प्रतिरोधी किस्में टीएआरएम 1, पूसा 9072, आदि की खेती करें।
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