मूंगफली की खुदाई के समय रखें इन बातों का ध्यान

मूंगफली कुछ प्रमुख तिलहन फसलों में से एक है। इसकी खेती खरीफ एवं जायद दोनों मौसम में सफलतापूर्वक की जा सकती है। इसके दानों में 45 से 55 प्रतिशत प्रोटीन एवं 28 से 30 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा इसमें विटामिन बी, विटामिन-सी, कैल्शियम, मैग्नेशियम, जिंक फॉस्फोरस, पोटाश, जैसे खनिज तत्व भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
इन दिनों कई क्षेत्रों में किसान मूंगफली की खेती कर रहे हैं। वर्तमान समय में मूंगफली की खुदाई के लिए बाजार में कई तरह के आधुनिक उपकरण उपलब्ध हैं। इन उपकरणों के द्वारा खुदाई करने से समय एवं लागत की बचत होती है। आइए मूंगफली की खुदाई के समय ध्यान में रखने वाली कुछ बातों पर जानकारी प्राप्त करें।
मूंगफली की खुदाई के समय रखें इन बातों का ध्यान
-
बुवाई के 100 से 120 दिनों बाद मूंगफली की खुदाई कर लेनी चाहिए।
-
मूंगफली की पुरानी पत्तियां पीली हो कर झड़ने लगे तब आप फसल की खुदाई कर सकते हैं।
-
खुदाई के बाद पौधों को छोटे भागों में बांध कर धूप में सूखाएं।
-
सूखाने के बाद फलियों को पौधों से अलग करें।
-
फलियों को तेज धूप में सूखाने से बचें। तेज धूप में सूखाने से दानों की अंकुरण क्षमता कम हो जाती है।
-
भंडारण के समय मूंगफली के दानों में नमी की मात्रा 8 से 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
-
दानों में नमी की मात्रा अधिक होने पर फफूंदों के लगने का खतरा बना रहता है।
आप मूंगफली की खुदाई के लिए कौन सा तरीका अपनाते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के द्वारा बताएं। इसके साथ ही कृषि संबंधी किसी भी समस्या के समाधान के लिए हमारे टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर संपर्क करें। यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी हो तो इस पोस्ट को लाइक एवं शेयर करना न भूलें।
जारी रखने के लिए कृपया लॉगिन करें

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ
