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नवंबर महीने में कैसे करें लीची के बागों की देखभाल?
नवंबर महीने में कैसे करें लीची के बागों की देखभाल?
आने वाले मौसम में लीची की बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए नवंबर महीने से ही बाग एवं वृक्षों की विशेष देखभाल करनी होती है। इस समय लीची के वृक्षों में कई तरह के कीटों के प्रकोप का खतरा भी अधिक होता है। इसके साथ ही खरपतवारों पर नियंत्रण करना भी आवश्यक है। लीची की बेहतर फलन के लिए इस महीने से सिंचाई का कार्य भी बंद कर देना चाहिए। अगर आप भी कर रहे हैं लीची की बागवानी तो इस महीने बाग में किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण कार्यों की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
नवंबर महीने में लीची की बाग में किए जाने वाले कार्य
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वृक्षों के तने एवं कटे भागों से टहनियां निकल रही हैं तो उन्हें काट कर अलग करें।
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यदि अभी तक बाग की जुताई नहीं की गई है तो बाग में हल्की जुताई करें।
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बाग में नीचे गिरी हुई टहनियों एवं पत्तियों में कीटों के पनपने का खतरा अधिक होता है। ऐसे में गिरी हुई टहनियां एवं पत्तियां, खरपतवार, पौधों के अवशेष, आदि की सफाई करें।
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लीची के पेड़ के तने को 4.5 फीट की ऊंचाई तक बोर्डों लेप से पुताई करें। इस लेप को तैयार करते समय चुना, तूतिया और पानी का अनुपात 1:1:50 रखें।
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गंधक की कमी को पूरा करने के लिए प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम कॉपर सल्फेट मिला कर छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर 45 दिनों बाद दोबारा छिड़काव करें।
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मंजर आने के 3 महीने पहले यानी नवंबर महीने से फरवरी महीने तक लीची की बाग में सिंचाई नहीं करनी चाहिए। इस समय सिंचाई करने पर वृक्षों में नई पत्तियां निकलने लगती हैं। फलस्वरूप मंजर कम आते हैं।
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वृक्षों में छाल खाने वाले कीटों का प्रकोप होने पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें।
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लीची के पेड़ को छाल खाने वाले कीट से बचाने के उपाय जानने के लिए यहां क्लिक करें।
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