पालक को बचाएं इन कीटों और रोगों के प्रकोप से
हरी पत्तेदार सब्जियों में पालक का प्रमुख स्थान है। इसमें आयरन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। आयरन के अलावा यह कई अन्य खनिज तत्वों का अच्छा स्त्रोत है। पालक की सही देखभाल ना की जाए तो कई तरह के कीड़े और रोगों के लगने से फसल खराब हो सकती है। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके लिए पालक में लगने वाले कुछ प्रमुख कीड़ों और रोगों की जानकारी ले कर आए हैं।
पालक के प्रमुख रोग
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पत्ता धब्बा : सर्कोस्पोरा बेटिकोला फफूंद के कारण यह रोग होता है। इस रोग से ग्रसित होने पर पत्तों पर छोटे - छोटे भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं।
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आद्रगलन : यह पालक में पाई जाने वाली एक प्रमुख बीमारी है। इससे नवजात पौधे नीचे से मुड़ जाते हैं। इस रोग से छोटे पौधे मर भी जाते हैं। इससे फसल को बहुत नुकसान होता है।
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पर्ण चित्ती : पालक में यह बीमारी फाइलास्पिक्टा नाम के फफूंद के कारण होता है।
पालक के प्रमुख कीट
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पत्ता खाने वाला कीट : इस तरह के कीड़े पत्तों के हरे पदार्थ को खा जाते हैं।
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लाही कीट : यह हल्के हरे या पीले रंग का छोटा कीड़ा होता है। इसके चिपकने से पत्ते पीले हो जाते हैं।
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क्राउन माईट : यह चार पैरों वाला छोटा सा कीड़ा है। यह कीड़े पत्तियों के रास चूस लेते हैं। इस तरह के कीड़ों के अधिक प्रकोप से पौधे सूख भी सकते हैं।
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सैन्य कीट : रात के समय बहार निकलने वाले यह कीट पालक की पत्तियों तथा तनों को काट कर हानि पहुंचाते हैं।
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कटवा सूड़ी : यह कीड़े पौधों को जमीन के ऊपर से काट कर खाते हैं। यह कीट जिन पौधों को खाते हैं वह सूख जाता है।
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