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23 Jan
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पपीता की खेती: किस्में, बीज उपचार, रोग नियंत्रण | Papaya Cultivation: Varieties, Seed Treatment, Disease Control

मीठे एवं स्वादिष्ट पपीता कई व्यक्तियों के पसंदीदा फलों में शामिल है। कई पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण पपीता की मांग बढ़ती जा रही है। वहीं पौधों में जल्दी फल आने के कारण इसकी खेती किसानों के लिए बहुत लाभदायक भी साबित होती है। अगर आप भी करना चाहते हैं पपीता की खेती तो इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां होना आवश्यक है। आइए पपीता की बेहतर पैदावार के लिए ध्यान में रखने वाली बातों पर विस्तार से चर्चा करें।

पपीता की खेती कैसे करें? | How to cultivate papaya?

उपयुक्त स्थान का चयन करें

  • पपीता उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पनपता है और इसकी खेती के लिए 21°C से 32°C के बीच तापमान वाली गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है।
  • भरपूर धूप के साथ अच्छी जल निकासी वाला स्थान चुनें। पपीते को प्रतिदिन कम से कम 6 घंटे सीधी धूप की आवश्यकता होती है।

पपीता की खेती के लिए सही समय

  • पपीता की खेती वर्ष में 3 बार की जा सकती है।
  • नए पौधों की रोपाई के लिए सितम्बर-अक्टूबर का महीना उपयुक्त है।
  • खरीफ मौसम में पौधों की रोपाई जून-जुलाई महीने में की जाती है।
  • वसंत ऋतु में पौधों की रोपाई के लिए फरवरी-मार्च का महीना उपयुक्त है।

पपीता की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

  • बेहतर पैदावार के लिए भारी और रेतीली मिट्टी में इसकी खेती करने से बचें।
  • मिट्टी का पीएच स्तर 6.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए।

बीज की मात्रा

  • प्रति एकड़ भूमि में पपीता की खेती करने के लिए 200 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

बीज उपचारित करने की विधि

  • जैविक विधि से बीज उपचारित करने के लिए ट्राइकोडर्मा विरडी, ट्राइकोडर्मा हरजीनियम या स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस का प्रयोग करें।
  • इसके अलावा आप “बीजामृत” जैसे जैविक घोल से भी पपीता के बीज को उपचारित कर सकते हैं।
  • इसके लिए 50 ग्राम गोबर, 50 मिलीलीटर गोमूत्र, 50 मिलीलीटर गाय का दूध और करीब 2 से 3 ग्राम चूना को 1 लीटर पानी में मिला कर रात भर रखें। अगली सुबह इस मिश्रण से बीज को उपचारित करें।
  • रासायनिक विधि से बीज उपचारित करने के लिए उचित फफूंदनाशक दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं। रासायनिक विधि से बीज उपचारित करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से अवश्य परामर्श करें।

पपीता की खेती के लिए उन्नत किस्में

  • पपीता की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए महिको रेड लेडी  F1, वीएनआर विनायक एफ1 हाइब्रिड पपीता बीज, वीएनआर अमीना F1 हाइब्रिड पपीता बीज, इकोसिंक एग्रोटेक ग्रीन बेरी, कूर्ग हनी ड्यू, पूसा डिलीशियस, पूसा ड्वार्फ, पूसा मेजेस्टी, पूसा नन्हा, सीओ 1, सूर्या, वाशिंगटन, सन राइज सोलो, आदि किस्मों का चयन कर सकते हैं।

नर्सरी में पौधे तैयार करने की विधि

  • नर्सरी में पौधे तैयार करने के लिए मिट्टी की अच्छी तरह जुताई करें। इसके बाद भूमि की सतह से 15 - 20 सेंटीमीटर की ऊंचाई एवं 10 सेंटीमीटर की दूरी पर क्यारियां बनाएं।
  • सभी क्यारियों में 4 से 5 सेंटीमीटर की दूरी पर बीज की बुवाई करें।

प्लास्टिक बैग में पौधे तैयार करने की विधि

  • प्लास्टिक बैग में पौधे तैयार करने के लिए 25 सेंटीमीटर लम्बे एवं 20 सेंटीमीटर चौड़े मुंह वाले प्लास्टिक बैग में मिट्टी, रेत और गोबर की खाद मिला कर भरें।
  • सभी बैग में 1 से 2 बीज की बुवाई करें।
  • बीज अंकुरित होने के बाद यदि प्लास्टिक बैग में 2 पौधे आए हैं तो एक पौधे को अलग रखें।

मुख्य खेत में पौधों की रोपाई

  • मुख्य खेत में पौधों की रोपाई से करीब 15 दिन पहले खेत में गड्ढे तैयार करें।
  • करीब 6 फीट  की दूरी पर 50 सेंटीमीटर की गहराई एवं 50 सेंटीमीटर चौड़ाई वाले गड्ढे तैयार करें।
  • पौधों की रोपाई के समय सभी गड्ढों में बराबर मात्रा में मिट्टी एवं गोबर की खाद मिला कर भरें।
  • पौधे जब 15 से 20 सेंटीमीटर के हो जाएं तब पौधों को सावधानी से निकाल कर मुख्य खेत में रोपाई करें।
  • 100 मादा पौधों के लिए 5 से 10 नर पौधों की आवश्यकता होती है।

पपीता में रोग प्रबंधन | Disease management in papaya

पपीता की फसल में दो रोगों का प्रकोप सामान्य तौर पर अधिक गंभीर पाया गया है।

    • तना एवं जड़ सड़न रोग: यह रोग बड़े छोटे दोनों प्रकार के रोग पौधों को प्रभावित कर सकता है। पपीता की फसल के लिए यह एक खतरनाक रोग है, जिससे बचने के लिए खेत में पानी के जमाव पर ध्यान देने की आवश्यकता रहती है।

  • मोजेक रोग: यह एक विषाणु जनित रोग है, जिसके कारण पत्तियों पर चितकबरे धब्बे दिखाई देते हैं। इसके अलावा पत्तियों का मुड़ना एवं पत्तियों का पूरी तरह से पीला पड़ जाना भी इस रोग के गंभीर लक्षण हैं।

पपीता की खेती में आपको किस तरह की समस्याएं आती हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'बागवानी फसलें' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं कमेंट करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Question)

Q: पपीते का पेड़ कितने दिन में फल देता है?

A: पपीता के पौधों को लगाने के 10 से 13 महीने बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। जब गहरे हरे रंग के फल हल्के पीले होने लगें, तब समझ ले कि फल पक रहे हैं। पके हुए फलों पर नाखून लगाने से दूध की जगह पानी की तरह पदार्थ निकलता है। इस समय फलों की तुड़ाई करें।

Q: पपीता कितने प्रकार के होते हैं?

A: पपीता मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं। इसमें हवाईयन, मैक्सिकन और भारतीय प्रकार शामिल है। हवाईयन पपीता का गूदा चिकना, पीला-नारंगी और मीठा स्वाद वाला होता है। मैक्सिकन पपीता के फल आकार में थोड़े छोटे होते हैं और गूदा गुलाबी या लाल रंग का होता है। भारतीय प्रकार के पपीता के फल आकार में सबसे बड़े होते हैं और फलों का गूदा हरा-पीला होता है।

Q: पपीते के पेड़ में कौन सी खाद डालें?

A: पपीते के प्रत्येक पौधों में 10 से 15 किलोग्राम गोबर की खाद, 100 ग्राम यूरिया, 400 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट एवं 150 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग करना चाहिए।

Q: नर एवं मादा पौधों की पहचान कैसे करें?

A: नर एवं मादा पौधों की पहचान फूलों से की जाती है। मादा पौधों में निकलने वाले फूल तने के नजदीक होते हैं और फूलों का रंग पीले और लम्बाई करीब 2.5 सेंटीमीटर होती है। नर फूलों एवं तने के बीच लंबे डंठल लगे होते हैं और फूल छोटे गुच्छों में निकलते हैं।

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