फसलों में कैसे करें नाइट्रोजन की कमी की पहचान

पौधों को कई पोषक तत्वों की जरूरत होती है। जिनमें से एक है नाइट्रोजन। पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व में नाइट्रोजन का एक विशेष स्थान है। इस पोस्ट के माध्यम से आप नाइट्रोजन का मुख्य कार्य, इसकी कमी के लक्षण एवं बचाव के उपाय की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
नाइट्रोजन का कार्य
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इसके प्रयोग से वानस्पतिक वृद्धि को बढ़ावा मिलता है।
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यह पौधों को हरा रंग प्रदान करने में सहायक है।
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नाइट्रोजन के प्रयोग से अनाज एवं चारे वाली फसलों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है।
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इसके प्रयोग से दानों को बनाने में मदद मिलती है।
कमी के लक्षण
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नाइट्रोजन की कमी से पौधों की पत्तियों का रंग हल्का पीला होने लगता है।
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पौधों का विकास रुक जाता है।
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पौधों की निचली पत्तियां झड़ने लगती हैं।
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पौधों में कल्ले एवं फूल कम निकलते हैं।
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नाइट्रोजन की कमी से फसल समय से पहले पक जाते हैं।
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पौधे लंबे एवं पतले दिखाई देते हैं।
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पत्तियों के अलावा पौधों का डंठल एवं शिराएं हल्के लाल रंग की हो जाती हैं।
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पत्तियों का पीलापन पौधों की निकली पत्तियों से शुरू होकर ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है।
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पौधों की नई पत्तियों में भी हरे रंग की कमी साफ देखी जा सकती है। नई पत्तियां हल्के हरे रंग की होती हैं।
बचाव के उपाय
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खेत में मौजूद नाइट्रोजन की मात्रा जानने के लिए मिट्टी की जांच कराएं।
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खेत में आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने से बचें।
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खेत में जल निकासी उचित प्रबंध रखें।
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अधिक सिंचाई करने के कारण मिट्टी में मौजूद नाइट्रोजन जमीन के नीचे चला जाता है और पौधों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है।
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खेत तैयार करते समय मिट्टी में आवश्यकता के अनुसार कम्पोस्ट, पलवार, पशु खाद व यूरिया मिलाएं।
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पौधों में नाइट्रोजन की कमी के लक्षण दिखने पर पौधों में आवश्यकता अनुसार नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों जैसे यूरिया, एनपीके या अमोनियम नाइट्रेट का प्रयोग करें ।
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पूरी फसल के दौरान नाइट्रोजन की कुल मात्रा को कई खुराकों में बांट कर प्रयोग करना अच्छा रहता है।
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फल-फूल निकलते समय एवं बालियां या दानें बनने के समय नाइट्रोजन के छिड़काव से पैदावार में बढ़ोतरी होती है और फसलों की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
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