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कृषि में स्यूडोमोनास का इस्तेमाल | Pseudomonas uses in agriculture

कृषि में स्यूडोमोनास का इस्तेमाल | Pseudomonas uses in agriculture

फूफंदों का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है। कई तरह के फफूंद पौधों के लिए भी उपयोगी होते हैं, लेकिन कई बार ये फूफंदे हमारे फसलों को क्षति पहुंचा सकते हैं। इस समस्या का समाधान स्यूडोमोनास नामक जीवाणु से किया जा सकता है। जी हां, सही सुना आपने, स्यूडोमोनास से फफूंदों का खात्मा करना हुआ आसान। आइए इस पोस्ट के माध्यम से फसलों में स्यूडोमोनास के इस्तेमाल पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।

स्यूडोमोनास क्या है? | What is Pseudomonas?

स्यूडोमोनास एक प्रकार का जीवाणु होता है जो मिट्टी और पानी में पाया जाता है। यह जीवाणु फूफंदों के खिलाफ एक प्रकार की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली का हिस्सा होता है। स्यूडोमोनास की कई प्रजातियां होती हैं, और ये पौधों के साथ-साथ अन्य सामग्रियों को भी प्रभावित कर सकती हैं।

स्यूडोमोनास पौधों के लिए क्यों है लाभदायक? | Pseudomonas benefits for plants

  • स्यूडोमोनास पौधों के लिए मौजूद नाइट्रोजन को आपके पौधों के लिए उपलब्ध कराने में मदद कर सकता है। यह नाइट्रोजन गैस को पौधों के लिए अमोनियम या नाइट्रेट के रूप में परिवर्तित करने की क्षमता रखता है, जो पौधों के लिए महत्वपूर्ण है।
  • कुछ स्यूडोमोनास के प्रजातियां पौधों को किटाणुओं और फंगस के संक्रमण से बचाने में मदद कर सकती हैं। इसके आलावा, ये पौधों की रक्षा करने में मदद करने वाले एंटीमाइक्रोबियल प्रोटीन्स भी पैदा कर सकते हैं।
  • कुछ स्यूडोमोनास प्रजातियां पौधों को पोषण प्रदान करने में मदद कर सकती हैं। वे पौधों के लिए मिनरल और न्यूट्रिएंट्स को प्रदान करने की क्षमता रखती हैं, जो उनके सही विकास और वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • इसकी कुछ विशेष प्रजातियां बीज के साथ मिलकर अंकुरण में मदद कर सकती हैं। इसके रूप में, यह किसानों को बेहतर उपजाऊ फसलें पैदा करने में मदद कर सकता है।
  • स्यूडोमोनास का उपयोग जैव उर्वरक के रूप में किया जा सकता है, जो पौधों के लिए प्राकृतिक खादों का स्रोत हो सकता है। यह सृजनात्मक खादों की आपूर्ति को बढ़ावा देता है और भूमि के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
  • स्यूडोमोनास की कुछ ऐसी प्रजातियां भी हैं जो प्रदूषण के खिलाफ लड़ने में सहायक हैं। इन्हें जलवायु प्रणालियों, जल क्षेत्रों, और अन्य प्राकृतिक परियोजनाओं में उपयोग किया जा सकता है।

पौधों में स्यूडोमोनास इस्तेमाल करने की उचित मात्रा | Pseudomonas dosage for plants dosage

  • फसलों का बीज जनित और मृदा जनित रोगों से बचाने के लिए 2.5 मिलीलीटर स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस तरल से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करें।
  • यदि स्यूडोमोनास पाउडर फॉर्म में है तो प्रति किलोग्राम बीज को 5 ग्राम स्यूडोमोनास से उपचारित करें।

पौधों के लिए स्यूडोमोनास के नुकसान | Side effects of Pseudomonas for plants

पौधों के लिए स्यूडोमोनास का उपयोग कई पौधिक बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा में किया जाता है। लेकिन इसका उपयोग संतुलित मात्रा में करना चाहिए। पौधों में स्यूडोमोनास के नुकसान भी होते हैं। इसके अत्यधिक इस्तेमाल से निम्न समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

  • पौधों में पत्तियों की संख्या कम होने लगती है।
  • पौधों की जड़ें गलने लगती हैं।
  • पौधों के विकास में रुकावट आ सकती है।
  • फसलों की गुणवत्ता में कमी हो सकती है।
  • पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी देखी जा सकती है।
  • स्यूडोमोनास के अधिक इस्तेमाल से पौधों में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।
  • विशेष रूप से, विषैला प्रभेद स्यूडोमोनास तोलासी मशरूम की खाद्य प्रजातियों में झुलसा रोग का कारण बनता है।

स्यूडोमोनास का फूफंदों पर प्रभाव | Effect of Pseudomonas on fungi

  • यह प्राकृतिक तरीके से फूफंदों को नष्ट करने में सहायक है।
  • स्यूडोमोनास जीवाणु फूफंदों के खिलाफ विशेष एंजाइम्स पैदा करता है, जिनसे फूफंदे के संरचना को नष्ट कर दिया जाता है। इससे फूफंदों का प्रगटन रोका जा सकता है।
  • स्यूडोमोनास का उपयोग फूफंदों के पोषण संघटन को रोकने के लिए भी किया जा सकता है। यह जीवाणु फूफंदों की आपसी तंतु को खत्म कर देता है, जिससे वे नष्ट हो जाते हैं।

रखें इन बातों का ध्यान | Things to keep in mind

  • स्यूडोमोनास का उपयोग करने से पहले आपको इसके तंतु का समय-समय पर अपडेट करना आवश्यक होगा, ताकि यह प्रभावी रूप से काम कर सके।
  • स्यूडोमोनास का अधिक उपयोग करने से फूफंदों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ सकती है, इसलिए आपको उसका सावधानी से उपयोग करना चाहिए।
  • पौधों के साथ ये मनुष्यों, पशुओं और मछलियों के लिए भी हानिकारक हो सकता है। ये मछलियों में गैस्ट्रिक सूजन और रक्तस्राव का कारण बन सकता है।
  • स्यूडोमोनास के कुछ उपभेद विभिन्न स्तनपायी प्रजातियों में सफेद रक्त कोशिकाओं (WBC) को लक्षित करने के लिए जाने जाते हैं। इसलिए ये मनुष्यों, दुधारू पशुओं, भेड़ और कुत्तों के लिए समान रूप से खतरनाक है।

क्या आपने फसलों में कभी स्यूडोमोनास का इस्तेमाल किया है? अगर किया है तो आप कमेंट के द्वारा अपने अनुभव को अन्य किसानों के साथ साझा कर सकते हैं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'देसी जुगाड़' चैनल को अभी फॉलो करें। इस जानकारी को अधिक किसानों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक एवं शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked question (FAQs)

Q: स्यूडोमोनास पौधों के लिए कैसे लाभदायक है?

A: स्यूडोमोनास रोगजनक सूक्ष्म जीवों को दबाकर, विकास-उत्तेजक पौधों के हार्मोन को संश्लेषित करके और पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं।

Q: स्यूडोमोनास का उपयोग कृषि में कैसे किया जाता है?

A: स्यूडोमोनास प्राकृतिक तरीके से फूफंदों को नष्ट करते हुए पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक है। इसके उपयोग से रासायनिक खाद के इस्तेमाल में 25-30% की कमी आती है। वहीं फसल की उत्पादकता 25% तक बढ़ जाती है। इसका उपयोग बीज उपचार और पौधों की जड़ों के उपचार में किया जाता है। इसके अलावा छिड़काव या ड्रेंचिंग के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।

Q: क्या स्यूडोमोनास एक जैव उर्वरक है?

A: हां, स्यूडोमोनास एक प्रकार का जैव उर्वरक है जिसका उपयोग आमतौर पर कृषि में किया जाता है। यह एक लाभकारी बैक्टीरिया है जो नाइट्रोजन को ठीक करके, फास्फोरस को घुलनशील बनाकर और पौधों के विकास को बढ़ावा देने वाले पदार्थों का उत्पादन करके मिट्टी के स्वास्थ्य और पौधों की वृद्धि को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

Q: स्यूडोमोनास का उपयोग किन फसलों में किया जा सकता है?

A: स्यूडोमोनास का इस्तेमाल अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जियों, फलों और सजावटी पौधों में किया जा सकता है। भारत में स्यूडोमोनास का उपयोग आमतौर पर चावल, गेहूं, मक्का, ज्वार, कपास, सोयाबीन, गन्ना, मूंगफली, आलू, टमाटर और मिर्च जैसी फसलों में किया जाता है।

Q: स्यूडोमोनास का उपयोग कैसे करें?

A: स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस कवकनाशी से बीज उपचार किया जा सकता है। इससे फसलों का बीज जनित और मृदा जनित रोगों से बचाव होता है। यदि पौधों की रोपाई करनी है तो रोपाई से पहले जड़ों को स्यूडोमोनास के घोल में डूबा कर उपचारित कर सकते हैं।

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