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धान
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
3 year
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पत्ता लपेट कीट से धान की फसल को बचाने के सटीक उपाय

क्या है धान में लगने वाला पत्ता लपेटक कीट?

  • कीट शुरुआत में पीले रंग के होते हैं और व्यस्क होने पर ये हरे रंग के हो जाते हैं।

  • कीट के कारण पत्तियों पर कत्थई रंग की आड़ी-टेढ़ी रेखाएं दिखाई देती हैं।

  • यह कीट धान की पत्तियों पर समूह में अंडे देते हैं।

  • जिनसे केवल 6 से 8 दिन में ही सुंडियां निकलने लगती हैं।

कीट से होने वाले नुकसान

  • यह कीट पहले पत्तियों के मुलायम हिस्सों को खाते हैं।

  • इसके बाद अपनी लार से धागा बना कर पत्तियों को किनारे से मोड़ने लगते हैं।

  • पत्तियों को मोड़ने के बाद यह पत्तियों को अंदर से खुरच कर खाने लगते हैं।

  • इससे पौधों के विकास और फसलों की पैदावार पर प्रतिकूल असर होता है।

  • यह कीट पत्ते का हरा पदार्थ चूस लेते हैं जिसके कारण पत्ते सफेद दिखाई देने लगते हैं।

  • यह कीट पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को प्रभावित करते हैं।

  • पौधा कमजोर होकर मर जाता है।

नियंत्रण के उपाय

  • पत्तियों पर अंडे दिखाई देने पर उन्हें नष्ट कर दें।

  • खेत में खरपतवार न पनपने दें।

  • पौध रोपण के 15-20 दिनों बाद फिप्रोनिल 0.3 प्रतिशत दानेदार का प्रति एकड़ 8-10 किलोग्राम प्रयोग करें।

  • प्रति एकड़ फसल में 200 से 250 लीटर पानी में 100  मिलीलीटर लम्ब्डासाइलोंथ्रिन 5 प्रतिशत ई.सी मिला कर छिड़काव करें।

  • इसके अलावा प्रति एकड़ फसल में 200 लीटर पानी में 160 मिलीलीटर डेल्टामेथ्रिन 2.8 प्रतिशत एस.एल मिला कर छिड़काव करने से भी इस कीट से राहत मिलती है।

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