पत्ता लपेट कीट से धान की फसल को बचाने के सटीक उपाय

क्या है धान में लगने वाला पत्ता लपेटक कीट?
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कीट शुरुआत में पीले रंग के होते हैं और व्यस्क होने पर ये हरे रंग के हो जाते हैं।
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कीट के कारण पत्तियों पर कत्थई रंग की आड़ी-टेढ़ी रेखाएं दिखाई देती हैं।
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यह कीट धान की पत्तियों पर समूह में अंडे देते हैं।
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जिनसे केवल 6 से 8 दिन में ही सुंडियां निकलने लगती हैं।
कीट से होने वाले नुकसान
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यह कीट पहले पत्तियों के मुलायम हिस्सों को खाते हैं।
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इसके बाद अपनी लार से धागा बना कर पत्तियों को किनारे से मोड़ने लगते हैं।
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पत्तियों को मोड़ने के बाद यह पत्तियों को अंदर से खुरच कर खाने लगते हैं।
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इससे पौधों के विकास और फसलों की पैदावार पर प्रतिकूल असर होता है।
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यह कीट पत्ते का हरा पदार्थ चूस लेते हैं जिसके कारण पत्ते सफेद दिखाई देने लगते हैं।
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यह कीट पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को प्रभावित करते हैं।
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पौधा कमजोर होकर मर जाता है।
नियंत्रण के उपाय
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पत्तियों पर अंडे दिखाई देने पर उन्हें नष्ट कर दें।
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खेत में खरपतवार न पनपने दें।
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पौध रोपण के 15-20 दिनों बाद फिप्रोनिल 0.3 प्रतिशत दानेदार का प्रति एकड़ 8-10 किलोग्राम प्रयोग करें।
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प्रति एकड़ फसल में 200 से 250 लीटर पानी में 100 मिलीलीटर लम्ब्डासाइलोंथ्रिन 5 प्रतिशत ई.सी मिला कर छिड़काव करें।
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इसके अलावा प्रति एकड़ फसल में 200 लीटर पानी में 160 मिलीलीटर डेल्टामेथ्रिन 2.8 प्रतिशत एस.एल मिला कर छिड़काव करने से भी इस कीट से राहत मिलती है।
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