प्याज एवं लहसुन के कंद विकास के लिए करें यह कार्य

किसान अधिक मुनाफा एवं पैदावार बढ़ाने के लिए कई तरह के रसायनों का प्रयोग करते हैं। प्याज एवं लहसुन की खेती करने वाले किसान भी कंद के विकास के लिए कई दवाओं एवं रसायनों का प्रयोग करते हैं। इसके बावजूद कई बार प्याज एवं लहसुन के कंद का आकार बड़ा नहीं हो पाता है। यदि आप प्याज एवं लहसुन की खेती कर रहे हैं तो कंद के विकास के लिए इस पोस्ट में बताई गई बातों पर अमल करें।
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देहात स्टार्टर : प्रति एकड़ खेत में 8 किलोग्राम देहात स्टार्टर का प्रयोग करें। इसके प्रयोग से फसलों में पोषक तत्वों की पूर्ति होती है और फलों एवं फूलों की संख्या में बढ़ोतरी होती है। इससे आलू के कंद के आकार एवं पैदावार में भी वृद्धि होती है।
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कैल्शियम नाइट्रेट : बुवाई के 50 से 60 दिनों बाद फसलों में कैल्शियम नाइट्रेट का प्रयोग करें। इससे जड़ें गहरी होंगी और कंदों में वृद्धि भी होगी। प्रति एकड़ भूमि में 10 किलोग्राम कैल्शियम नाइट्रेट का प्रयोग करें। छिड़काव के बाद सिंचाई करें।
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बोरान : बोरान के प्रयोग से भी प्याज एवं लहसुन के कंदों के आकार में बढ़ोतरी होती है। फसलों में दो बार बोरान का प्रयोग करना चाहिए। कंदों की बुवाई के करीब 40 दिनों बाद पहला छिड़काव करें। बुवाई के 60 दिनों बाद दूसरी बार बोरान का प्रयोग करें।
ध्यान देने वाली बातें
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कंद के विकास के लिए पौधों का स्वस्थ होना आवश्यक है। सही समय पर उचित मात्रा में पोषक तत्वों की पूर्ति कर के हम प्याज एवं लहसुन के कंद के आकार में वृद्धि कर सकते हैं।
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खड़ी फसल में 2 बार नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिंग करें।
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फसलों की शुरूआती अवस्था में एन.पी.के. 19:19:19 का छिड़काव करें।
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कई बार ऐसा होता है कि उचित मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग के बाद भी कंद का सही विकास नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में आप प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर का प्रयोग कर सकते हैं। इससे पौधों का विकास धीमी गति में होता है और कंद को उचित मात्रा में पोषक तत्व मिलते हैं। फलस्वरूप कंद की वृद्धि होती है।
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