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1 Oct
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प्याज की फसल में खरपतवार नियंत्रण के सटीक उपाय | Weed Control in Onion

प्याज की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प है, लेकिन इसकी सफल उत्पादन के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें से एक बड़ी चुनौती खरपतवार का नियंत्रण है। प्याज की फसल में उच्च उत्पादन प्राप्त करने के लिए खरपतवार प्रबंधन एक महत्वपूर्ण कदम है। खरपतवार न केवल पौधों के विकास को बाधित करते हैं, बल्कि मिट्टी से पोषक तत्वों और नमी को भी ग्रहण कर लेते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता और मात्रा प्रभावित होती है। सही समय पर खरपतवार नियंत्रण तकनीकों का उपयोग करके किसान अपनी प्याज की फसल से अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त कर सकते हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हम प्याज की फसल में खरपतवारों से होने वाले नुकसान और उन पर नियंत्रण के विभिन्न तरीकों की जानकारी प्राप्त करेंगे।

प्याज की फसल में होने वाले कुछ प्रमुख खरपतवार | Some Major Weeds Found in Onion Crop

प्याज की फसल में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के साथ सकरी पत्ती वाले खरपतवारों की भी समस्या होती है। जिनमें चौलाई, जंगली जई, साइपरस, मोथा, दूब घास, आदि शामिल है।

प्याज की फसल में खरपतवारों से होने वाले नुकसान | Impact of weeds in onion crop

  • पोषक तत्वों की कमी: खरपतवार मुख्य फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को ग्रहण करते हैं, जिससे प्याज की फसल को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है और उनकी वृद्धि प्रभावित होती है।
  • पानी की कमी: पोषक तत्वों के अलावा खरपतवारों के कारण नमी की भी कमी हो सकती है। मिट्टी में उपलब्ध जल का अधिकांश भाग खरपतवारों द्वारा खींच लिया जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि प्याज की फसल को पानी की कमी हो जाती है और उनकी वृद्धि में रुकावट होती है।
  • प्रकाश की कमी: कई खरपतवार ऊंचे होते हैं और वे मुख्य फसल को पर्याप्त प्रकाश प्राप्त करने से रोकते हैं, जिससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
  • रोग और कीट का प्रकोप: कुछ खरपतवार फसल में रोग और कीटों के पनपने का कारण बनते हैं। इन पर नियंत्रण के लिए दवाओं का उपयोग करने पर कृषि में होने वाली लागत में वृद्धि होती है।
  • गुणवत्ता में कमी: उचित मात्रा में पोषक तत्व एवं नमी नहीं मिलने के कारण फसल की गुणवत्ता पर विपरीत असर पड़ता है। खरपतवारों की अधिकता से प्याज की फसल का आकार छोटा हो सकता है और उनका वजन भी कम हो जाता है।
  • उत्पादन में कमी: यदि समय पर खरपतवारों का नियंत्रण नहीं किया जाए, तो इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। इससे फसल की उपज में करीब 30-40 प्रतिशत तक कमी आती है।

प्याज की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के विभिन्न तरीके | Various methods of controlling weeds in onion crop

  • गहरी जुताई: प्याज की खेती से पहले खेत में एक बार गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार नष्ट हो जाएंगे।
  • निराई-गुड़ाई: खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए हाथों से निराई-गुड़ाई करें। इसके लिए आप खुरपी, कुदाल जैसे छोटे कृषि यंत्रों का भी सहारा ले सकते हैं। बुवाई के 25 से 30 दिनों बाद पहली निराई गुड़ाई करें। वाई के करीब 60 से 65 दिनों बाद फसल में दूसरी निराई गुड़ाई करें।
  • उच्च गुणवत्ता के बीज: कई बार फसलों के बीज में खरपतवारों के बीज भी मिले होते हैं, जो आगे चल कर किसानों के लिए समस्या बन जाते हैं। इसलिए बुवाई के लिए हमेशा उच्च गुणवत्ता के बीज का चयन करें।
  • पौधों के बीच की दूरी: रोपाई के समय कतारों एवं पौधों के बीच की दूरी का विशेष ध्यान रखें। आवशयकता से अधिक दूरी होने से खरपतवारों को पनपने के लिए अधिक जगह मिलती है।
  • मल्चिंग: खरपतवारों को पनपने से रोकने के लिए खेत में मल्चिंग करें। इसके लिए आप पुवाल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • फसल चक्र अपनाना: खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए फसल चक्र अपनाना भी एक बेहतर विकल्प है। इससे खेत में उगने वाले घासों का चक्र टूटता है, जिससे इस समस्या से रहत मिलती है।

रासायनिक विधि से खरपतवार नियंत्रण | Chemical method of controlling weeds

नीचे दी गई दवाओं में से किसी एक दवा का प्रयोग करें।

  • प्रति एकड़ खेत में 250-500 मिलीलीटर ऑक्सीफ्लोरफेन 23.5% ईसी (देहात ऑक्सीबिक्स, कात्यायनी ऑक्सीफेन, अडामा गैलिगन) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में  600-700 मिलीलीटर पेंडिमेथालिन 38.7% सीएस (देहात पेंडेक्स प्लस, बीएएसएफ स्टॉम्प एक्स्ट्रा, धानुका धनुटॉप सुपर) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में  300-400 मिलीलीटर क्विज़ालोफॉप इथाइल 5% ईसी (देहात कैपिएन्ज़ा, धानुका टार्गा सुपर) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 250 मिलीलीटर प्रोपाक्विज़ाफॉप 10% ईसी (अडामा एजिल, इंडोफिल सोसायटी) का प्रयोग करें।
  • प्याज के पौधों में 2-4 पत्तियां आने के बाद फसल में प्रति एकड़ खेत में 350 मिलीलीटर प्रोपाक्विज़ाफॉप 5% + ऑक्सीफ्लुरोफेन 12% w/w ईसी (अडामा डेकेल) का प्रयोग करें।

रासायनिक खरपतवार नाशक दवाओं के छिड़काव के समय रखें इन बातों का ध्यान | Consider these factors when applying herbicide

  • दवाओं की मात्रा का विशेष ध्यान रखें। इससे प्याज की फसल को किसी भी तरह के नुकसान से बचाया जा सकता है।
  • खरपतवार नाशक का प्रयोग करते समय खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी होनी चाहिए।
  • खरपतवार के छिड़काव के समय मौसम का विशेष ध्यान रखें। तेज धूप एवं बादल छाए रहने पर दवाओं का उपयोग करने से बचें।
  • खरपतवार नाशक उपयोग करने के लिए शाम का समय उचित है।
  • रासायनिक दवाओं को बच्चों एवं पशुओं की पहुंच से दूर किसी ठंडे एवं सूखे स्थान पर रखें।
  • खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग करते समय अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए दस्ताने, चश्मा आदि का प्रयोग करें।
  • चेहरे को कपड़े से अच्छी तरह ढकें।
  • हानिकारक दवाओं के प्रयोग के बाद हाथ को अच्छी तरह साफ करें।

प्याज की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप किस विधि का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। खरपतवारों पर नियंत्रण की अधिक जानकारी के लिए 'खरपतवार जुगाड़' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: प्याज में खरपतवार नाशक दवा कौन सी डालें?

A: प्याज की फसल में कई तरह के खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग किया जाता है। जिनमें कुछ दवाओं का प्रयोग बीज अंकुरित होने से पहले किया जाता है। वहीं कुछ दवाओं का प्रयोग खड़ी फसल में किया जाता है। विभिन्न खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप इस पोस्ट में बताई गई दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं।

Q: प्याज में खरपतवार कैसे नियंत्रित करें?

A: प्याज की फसलों में खरपतवारों को विभिन्न तरीकों जैसे हाथ से निराई, मल्चिंग और खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग करके नियंत्रित किया जा सकता है। हाथ से निराई-गुड़ाई करने में मानव श्रम एवं समय की आवश्यकता अधिक होती है। लेकिन छोटे क्षेत्रों के लिए यह एक प्रभावी तरीका है। बड़े क्षेत्रों के लिए आप कुदाल या कल्टीवेटर जैसे कृषि उपकरणों का प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा उचित मात्रा में रासायनिक खरपतवार नाशक दवाओं का भी प्रयोग कर सकते हैं।

Q: घास मारने की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

A: घास मारने की सबसे अच्छी दवा का चयन घास के प्रकार, फसल के प्रकार एवं फसल की अवस्था पर निर्भर करती है। फसलों को नुकसान से बचाने के लिए रासायनिक दवाओं का प्रयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श करना जरूरी है।

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