केसर: प्रमुख कीट, लक्षण, बचाव एवं नियंत्रण | Saffron: Major Pests, Symptoms, Prevention and Control
केसर की गिनती सबसे कीमती और मूल्यवान फसलों में होती है। इसके पौधों को विशेष ध्यान और देखभाल की आवश्यकता होती है। केसर के पौधे नाजुक होते हैं और इन्हें कई प्रकार के कीटों का सामना करना पड़ता है जो फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं। इन कीटों का समय पर प्रबंधन न किया जाए, तो यह फसल को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इस पोस्ट में हम केसर के पौधों में लगने वाले कुछ प्रमुख कीटों और उनके नियंत्रण के उपायों पर जानकारी प्राप्त करेंगे, जिससे किसान अपनी फसल को सुरक्षित और स्वस्थ रख सकें।
केसर की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख कीट | Major pests affecting Saffron crop
एफिड्स से होने वाले नुकसान: इस कीट को माहु के नाम से भी जाना जाता है। आकार में छोटे एवं समूह में पाए जाने वाले ये कीट केसर के पौधों की पत्तियों, फूलों एवं नरम हिस्सों का रस चूस कर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। प्रभावित पौधों की पत्तियां धीरे-धीरे ऊपर की तरफ मुड़ने लगती हैं। इस कीट का प्रकोप बढ़ने पर केसर की गुणवत्ता एवं उत्पादन में कमी आती है। इसके साथ ही पौधों का विकास भी प्रभावित होता है।
एफिड्स पर नियंत्रण के तरीके:
- इस कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 4-6 स्टिकी ट्रैप लगाएं।
- इन कीटों पर नियंत्रण के नीचे दी गई दवाओं में से किसी एक का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 40-80 ग्राम थियामेथोक्सम 25%डब्ल्यू.जी (देहात एसियर) का प्रयोग करें।
- 200 लीटर पानी में 100 ग्राम इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस जी (देहात इल्लीगो) मिला कर छिड़काव करें।
- 80 मिलीलीटर थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेड सी (देहात एंटोकिल) को 150-200 लीटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- 200 लीटर पानी में 80 मिलीलीटर क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% w/w एससी (एफएमसी कोराजन) मिला कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
थ्रिप्स से होने वाले नुकसान: थ्रिप्स कीट पत्तियों के साथ पौधों की कोमल शाखाओं एवं फूलों का रस चूसते हैं। जिससे पत्तियां धीरे-धीरे पीली होने लगती हैं। कई बार पत्तीयां नीचे की तरफ मुड़ने लगती हैं। कुछ समय बाद पौधे कमजोर हो कर मुरझाने लगते हैं। कई बार ये कीट वायरस जनित रोगों को एक पौधे से दूसरे पौधों में फैलाने का काम भी करते हैं।
थ्रिप्स पर नियंत्रण के तरीके:
- इस कीट पर नियंत्रण के लिए 200 लीटर पानी में 100 ग्राम थियामेथोक्सम 25%डब्ल्यू.जी (देहात एसियर) का छिड़काव करें।
- प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर पानी में 80 ग्राम एसिटामिप्रिड 20% एसपी (टाटा रैलिस माणिक) का प्रयोग करें।
- 80 मिलीलीटर थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेड सी (देहात एंटोकिल) 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- 200 लीटर पानी में 300 मिलीलीटर क्लोपाइरीफोस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी (देहात सी-स्क्वायर) का घोल बना कर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
सफेद ग्रब कीट से होने वाले नुकसान: सफेद ग्रब कीट अंग्रजी के 'C' अक्षर की तरह नजर आते हैं। ये कीट दिन के समय ज्यादातर मिट्टी के अंदर रहते हैं और रात होने पर ये पौधों को काट कर खाने शुरू करते हैं। इस कारण फसल को काफी क्षति पहुंचती है। ये कीट पौधों की जड़ों को ज्यादा नुकसान पहुंचते हैं। जिससे पौधे मिट्टी से पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों और पानी को अवशोषित करने में सक्षम नहीं रहते हैं। प्रभावित पौधों की पत्तियां धीरे-धीरे पीली होने लगती हैं और पौधे मुरझाने लगते हैं। सफेद ग्रब कीट का प्रकोप होने पर पौधों का विकास अवरुद्ध हो सकता है और समस्या बढ़ने पर पौधे नष्ट भी हो सकते हैं।
सफेद ग्रब कीट पर नियंत्रण के तरीके:
- बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करें। इससे मिट्टी में पहले से मौजूद कीट ऊपर आ कर तेज धूप से नष्ट हो जाएंगे।
- खेत में कच्ची गोबर का प्रयोग करने से बचें। कच्चे गोबर में कीटों में पनपने की संभावना अधिक होती है। जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 6.67-13 किलोग्राम फिप्रोनिल 0.3 प्रतिशत जीआर (देहात सलेमाइट) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 175-200 ग्राम फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% डब्लूजी (देहात डेमफिप) का प्रयोग करें।
केसर मक्खी से होने वाले नुकसान: केसर मक्खी एक आम कीट है जो केसर की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। केसर मक्खी एक छोटा कीट है जो केसर के फूलों पर अपने अंडे देती हैं। इस कीट का लार्वा अंडों से निकलने के बाद फूलों को खाने लगता है। जिससे फसल को काफी नुकसान हो सकता है और केसर की गुणवत्ता कम हो सकती है। इस कीट के कारण पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे पौधों में अन्य कीरोन एवं रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है।
केसर मक्खी पर नियंत्रण के तरीके:
- प्रति एकड़ खेत में 60-150 मिलीलीटर क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी (देहात अटैक) का प्रयोग करें।
चूहों से होने वाले नुकसान: चूहे केसर की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचते हैं। ये पौधों की पत्तियों को खा कर फसल को क्षति पहुंचाते हैं। जिससे फसल की गुणवत्ता में कमी आती है। इसके अलावा ये पौधे के बल्ब और कॉर्म को खाते हैं। जिससे मुद्दे नष्ट होने लगते हैं और उपज में कमी आती है। चूहों का प्रकोप होने पर पौधे कमजोर हो जाते हैं परिणामस्वरूप पौधे अन्य कीटों और रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
चूहों पर नियंत्रण के तरीके:
- चूहे लहसुन की तेज गंध को नापसंद करते हैं। चूहों को खेत से भागने के लिए लहसुन की कलियों को कुचल कर उन्हें चूहे से संक्रमित क्षेत्रों में रख सकते हैं। इससे चूहों को पीछे हटाने में मदद मिलेगी।
- खेत में चूहों के बिल के पास रैट ट्रैप यानी चूहा जाल को लगाएं। ये चिपचिपे ट्रैप चूहों को पकड़ने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इसमें चूहे चिपक जाते हैं। चूहों के चिपकने के बाद आप ट्रैप को बदल सकते हैं। चूहे से प्रभावित क्षेत्रों में आप इसका प्रयोग कर सकते हैं।
- शाम के समय चूहों के बिल को मिट्टी से बंद करें। अगली सुबह खुले हुए बिल में 8 से 10 ग्राम जिंक फास्फाइड या 15 ग्राम ब्रोमेडायोलोन डालें।
मकड़ी से होने वाले नुकसान: मकड़ियों को आमतौर पर केसर की फसल के लिए लाभदायक कीट मन जाता है, क्योंकि ये एफिड्स, थ्रिप्स जैसे अन्य कीटों खाते हैं। लेकिन मकड़ियों की आबादी बहुत अधिक होने पर इसकी कुछ प्रजातियां केसर की फसल को नुकसान पहुंचा सकती है। मकड़ियों की कुछ प्रजातियां बड़ी मात्रा में जाल का उत्पादन कर सकती हैं, जो केसर के पौधों को कवर कर सकती हैं और प्रकाश संश्लेषण की उनकी क्षमता को कम कर सकती हैं। इसके परिणामस्वरूप उपज कम हो सकती है और केसर की गुणवत्ता कम हो सकती है। इसकी कुछ प्रजातियां पौधों में लगने वाले फूलों को खा कर भी नुकसान पहुंचाती हैं।
मकड़ी पर नियंत्रण के तरीके:
- यदि संभव हो तो इस कीट के अंडों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें।
- बुरी तरह प्रभावित पौधों को खेत से बाहर निकाल कर नष्ट करें।
- खेत की नियमित साफ-सफाई करें और खेत में खरपतवार पर नियंत्रण करें।
क्या आपकी केसर की फसल चूहों से प्रभावित होती है? चूहों एवं अन्य कीटों पर नियंत्रण के लिए आप क्या तरीका अपनाते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। फसलों की विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचाने की अधिक जानकारी के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: फसल को कीटों से कैसे बचाएं?
A: फसल को कीटों से बचाने के लिए फसल चक्र अपनाएं और प्रतिरोधी किस्मों की खेती करें। खेत में स्टिकी ट्रैप और फेरोमेन ट्रैप का इस्तेमाल भी लाभदायक साबित होता है। इसके अलावा जैविक एवं रासायनिक दवाओं के द्वारा भी फसल को रोगों एवं कीटों से बचाया जा सकता है।
Q: केसर के पौधों की देखभाल कैसे करें?
A: केसर के पौधों को अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और धूप वाले स्थान की आवश्यकता होती है। सिंचाई के समय जल जमाव नहीं होने देना चाहिए। इसके अतिरिक्त, केसर के पौधों को कार्बनिक पदार्थों के साथ निषेचित किया जाना चाहिए और कीटों और बीमारियों से संरक्षित किया जाना चाहिए।
Q: कीटनाशक का असर कितने दिन तक रहता है?
A: कीटनाशक के प्रभाव की अवधि विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि कीटनाशक का प्रकार, आवेदन की विधि, पर्यावरणीय स्थिति और लक्ष्य कीट। आम तौर पर, एक कीटनाशक का प्रभाव कुछ घंटों से लेकर कई हफ्तों या महीनों तक रह सकता है। किसी भी संभावित जोखिम को कम करने के लिए अनुशंसित आवेदन दरों और सुरक्षा सावधानियों का पालन करना महत्वपूर्ण है।
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