सब्जियों वाली फसलों में पोषक तत्व प्रयोग करने के लाभ एवं कमी के लक्षण
सब्जियों में मौजूद पोषक तत्वों के कारण इसका सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। उच्च गुणवत्ता की सब्जियां प्राप्त करने के लिए एवं पौधों के अच्छे विकास के लिए पोषक तत्व प्रयोग करना बहुत जरूरी है। सामान्य तौर पर सब्जियों वाली फसलों में नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश का प्रयोग किया जाता है। वहीं कई बार जानकारी के अभाव में किसान सब्जी वाली फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्व की कमी को अनदेखा कर देते हैं। जिसका सीधा असर फसल की पैदावार एवं गुणवत्ता पर होता है। आइए सब्जियों वाली फसलों में दिए जाने वाले पोषक तत्वों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
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नाइट्रोजन : यह वानस्पतिक वृद्धि एवं पौधों को हरा रंग प्रदान करने में सहायक है। नाइट्रोजन की कमी होने पर पौधों की निचली पत्तियां झड़ने लगती हैं और पौधों के विकास में बाधा आती है। पौधों में नाइट्रोजन की कमी के लक्षण दिखने पर पौधों में आवश्यकता अनुसार नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों जैसे यूरिया, एनपीके या अमोनियम नाइट्रेट का प्रयोग करें। पूरी फसल के दौरान नाइट्रोजन की कुल मात्रा को कई भागों में बांट कर प्रयोग करें।
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फॉस्फोरस : इसके प्रयोग से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। पौधों की जड़ों का अच्छा विकास होता है। सही मात्रा में फॉस्फोरस के प्रयोग से पौधों में फल जल्दी आने शुरू हो जाते हैं। इसकी कमी होने पर पौधों की जड़ों के विकास में बाधा आती है और जड़ें सूखने लगती हैं। तने का रंग पीला होने लगता है। पौधों में फलों का सही विकास नहीं होता है। मिट्टी में फॉस्फोरस की मात्रा का पता लगाने के लिए खेत तैयार करने से पहले मिट्टी की जांच कराएं।
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पोटैशियम : इसके प्रयोग से जड़ों को मजबूती मिलती है और पौधे गिरने से बचते हैं। फसलों की गुणवत्ता में एवं पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। यह प्रोटीन के निर्माण में सहायक है। इसकी कमी होने पर पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे उभरने लगते हैं और पत्तियां झुलसी हुई नजर आने लगती हैं। खेत तैयार करते समय उचित मात्रा में पोटाश मिला कर इसकी कमी पूरी की जा सकती है।
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जिंक : जिंक का प्रयोग नाइट्रोजन के पाचन के लिए आवश्यक है। इसके साथ ही यह पौधों में प्रकाश ग्रहण करने में भी सहायक है। जिंक की कमी होने पर पत्तियां पीली होने लगती हैं। तनों की लंबाई कम रह जाती है और पौधों के विकास में बाधा आती है। इसकी पूर्ति के लिए प्रति एकड़ भूमि में 6 से 12 किलोग्राम जिंक सल्फेट का छिड़काव करना चाहिए।
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बोरोन : यह फलों को फटने से बचाता है। इसके साथ ही यह पौधों में कैल्शियम एवं पोटैशियम के अनुपात को नियंत्रित करने में सहायक है। इसके प्रयोग से परागण एवं प्रजनन क्रियाओं में भी आसानी होती है। इसकी कमी होने पर फलों के फटने की समस्या शुरू हो जाती है। पत्तियां मोटी हो कर मुड़ने लगती हैं। पौधों की जड़ें विकृत हो जाती हैं जिससे पौधे झाड़ी की तरह नजर आते हैं। पौधों में बोरान की कमी की पूर्ति के लिए प्रति लीटर पानी में 1 ग्राम बोरान मिला कर छिड़काव करें।
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