शिमला मिर्च की नर्सरी का उपयुक्त समय एवं खेत की तैयारी कैसे करें? जानें यहां

शिमला मिर्च की खेती मुख्य रूप से सब्जी के रूप में की जाती है। यह अन्य मिर्चों की तुलना में यह कम तीखी होती है। इसमें बीटा कैरोटीन और विटामिन ए, सी मुख्य रूप से पाई जाती है। इसलिए शरीर एवं स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है। बाजार में शिमला मिर्च लाल, पीली, बैंगनी, नारंगी और हरी रंग की देखने को मिलती हैं। शिमला मिर्च को इंग्लिश में कैप्सिकम और बेल पेपर के नाम से जाना जाता है। यदि किसान शिमला मिर्च की नर्सरी का उचित समय और खेत तैयार करने की विधि जान लें तो अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। तो आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से किसानों को शिमला मिर्च के लिए नर्सरी करने का उचित समय एवं खेत तैयार करने की विधि बतायेंगे। इस विधि से किसान अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। तो जानने के लिए पढिये यह आर्टिकल।
शिमला मिर्च की बुवाई का समय
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शिमला मिर्च की खेती साल में तीन बार खेती की जाती है।
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पहली बुवाई नर्सरी में जून से जुलाई तक की जाती है।
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खेत में पौधों की रोपाई जुलाई-अगस्त में की जाती है।
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दूसरी बुवाई अगस्त से सितम्बर में की जाती है।
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इसके लिए खेत में पौधों की रोपाई सितम्बर-अक्टूबर में की जाती है।
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तीसरी बुवाई नवंबर से दिसंबर में की जाती है।
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इसके लिए खेत में पौधों की रोपाई दिसंबर-जनवरी में की जाती है।
खेत तैयार करने की विधि
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शिमला मिर्च के लिए खेत तैयार करने से पहले अच्छी तरह से 4 से 5 बार खेत की जुताई करें।
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इसके बाद मिट्टी को धूप लगने के लिए कुछ दिन छोड़ा जाता है।
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अब खेत में 15 से 20 गाड़ी गोबर खाद डालें।
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अब मिट्टी को पलेवा लगा समतल कर दें।
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पलेवा के बाद खेत की आखरी जुताई के समय एन.पी.के. की उचित मात्रा का छिड़काव करें।
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यदि मिट्टी में सल्फर की मात्रा कम है, तो खेत में 20 किलोग्राम सल्फर की मात्रा को प्रति एकड़ के हिसाब से दें। इसके बाद खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर दें।
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नए पौधे लगाने के लिए 300 x 60 x 15 सेंटीमीटर आकार के सीड बैड तैयार करें।
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बीजों को अब तैयार किये गए बैडों पर बोएं और बिजाई के बाद नर्सरी बैडों को मिट्टी की पतली परत से ढक दे.
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बिजाई के बाद बीजों के अंकुरण के लिए बैडों पर हल्की सिंचाई करें।
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जब पौधे के 4-5 पत्ते निकलने शुरू हो तब पौधों का आरोपण करें।
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पौधों का आरोपण आमतौर पर बरसात के मौसम में किया जाता है। आरोपण के लिए मुख्यतः 50-60 दिनों की पौध का प्रयोग किया जाता है।
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दो पौधों की रोपाई करते समय बीच की दूरी लगभग 45 सेमी रखें।
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