शिवांश खाद के फायदे एवं इसे तैयार करने की विधि | Benefits of Shivansh Compost and Its Preparation Method

शिवांश खाद उच्च गुणवत्ता युक्त एक जैविक खाद है, जिसे बहुत कम खर्च में आसानी से तैयार किया जा सकता है। केवल 18 दिनों में ही इस खाद को तैयार किया जा सकता है। इसे तैयार करने के लिए गोबर, पत्ते, फसल के अवशेष और अन्य जैविक कचरे का उपयोग किया जाता है। यह खाद मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को पूरा करती है। यह विशेष रूप से मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने और उसे सुधारने में मददगार साबित होती है। इस खाद का प्रयोग करने से उर्वरकों पर होने वाले खर्च में कमी आती है। साथ ही फसलों की पैदावार में भी वृद्धि होती है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से शिवांश खाद इस्तेमाल करने के फायदे, इसे तैयार करने की प्रक्रिया, इस खाद को उपयोग करने की विधि, जैसी जानकारियों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
शिवांश खाद उपयोग करने के फायदे | Benefits of Using Shivansh Compost
- मिट्टी की उर्वरता में सुधार: शिवांश खाद के उपयोग से खेत की मिट्टी अधिक उपजाऊ होती है। यह मिट्टी में जैविक तत्वों की मात्रा बढ़ाता है, जिससे पौधों को पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है।
- रासायनिक खादों की आवश्यकता कम होती है: शिवांश खाद के उपयोग से किसानों को रासायनिक खादों पर निर्भरता कम हो जाती है। जैविक खाद होने के कारण यह मिट्टी और पर्यावरण दोनों के लिए लाभदायक होती है। खेत में यूरिया, डीएपी, एमओपी, आदि की आवश्यकता में कमी आती है।
- फसल की गुणवत्ता में सुधार: इस खाद के उपयोग से फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है। इससे फसलें अधिक पौष्टिक और सुरक्षित होती हैं, जिससे बाजार में इनकी मांग भी बढ़ती है।
- जलधारण क्षमता में वृद्धि: इस खाद के कारण मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ जाती है। इससे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी फसलें बेहतर तरीके से उगाई जा सकती हैं। इसके साथ ही सिंचाई के समय पानी की आवश्यकता भी कम होती है।
- पर्यावरण की सुरक्षा: शिवांश खाद पूरी तरह से जैविक है, इस खाद के इस्तेमाल से खेत की मिट्टी एवं वातावरण में किसी तरह की हानि नहीं होती है। इसके उपयोग से भूमि, जल और वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
- मिट्टी के रोग नियंत्रण में सहायक: यह खाद मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट और रोगों को नियंत्रित करने में सहायक है। इससे फसलों को रोगों से बचाया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से फसलों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- उत्पादन में वृद्धि: शिवांश खाद के उपयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि होती है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।
- लागत प्रभावी: इसे बहुत कम लागत में घर में आसानी से तैयार किया जा सकता है। इसके साथ ही उर्वरकों पर होने वाले खर्च में भी कमी आती है। जिससे उर्वरकों पर होने वाली लागत में कमी आती है।
शिवांश खाद तैयार करने के लिए आवश्यक सामग्री | Ingredients Required for Preparing Shivansh Compost
- यह खाद मुख्य तीन तरह की सामग्री से बनाई जाती है - सूखी सामग्री, हरी घास एवं गोबर।
- सूखी सामग्री में सूखी घास, सूखे हुए खरपतवार, सूखी हुई पत्तियां, लकड़ी के सूखे हुए टुकड़े, भूसा, फसलों के सूखे अवशेष आदि का प्रयोग करें।
- हरी सामग्री में हरी घास, हरी पत्तियां, आदि का प्रयोग करें।
- गाय, भैंस, बकरी, घोड़े, आदि के गोबर का प्रयोग करें।
- सुखी सामग्री, हरी सामग्री एवं गोबर का अनुपात 9:6:3 होना चाहिए।
शिवांश खाद तैयार करने की विधि | Method of Preparing Shivansh Compost
- सबसे पहले सूखी सामग्री की परत लगाएं। इसके बाद इसमें थोड़ा पानी डालें।
- इसके ऊपर हरी सामग्री की परत लगाएं। इसके ऊपर फिर से थोड़े पानी का छिड़काव करें।
- तीसरी परत गोबर की डालें।
- ढेर की ऊंचाई कम से कम 4 फुट होने तक इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं।
- इसे अच्छी तरह से ढक कर 4 दिनों तक ऐसे ही रहने दें।
- 4 दिनों बाद इसे अच्छी तरह पलटते हुए मिलाएं। अच्छी तरह पलटने के बाद ढक दें।
- इसके बाद हर 2 दिनों के अंतराल पर 6 से 7 बार खाद को पलटें।
- 18 दिनों बाद आपको उच्च गुणवत्ता की शिवांश खाद तैयार मिलेगी।
- इस खाद को किसी सूखी एवं छांव वाली जगह पर 3 महीने तक भंडारित कर सकते हैं।
कैसे करें शिवांश खाद का उपयोग? | How to Use Shivansh Compost?
- पौधों की रोपाई या बीज की बुवाई से 3 दिन पहले खेत में इसका छिड़काव करके जुताई करें। इससे खान समान रूप से खेत में मिल जाएगी।
- यदि खेत तैयार करते समय इसका प्रयोग नहीं किया गया है तो बुवाई के समय भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।
- इसके अलावा खड़ी फसल में भी शिवांश खाद का प्रयोग कर सकते हैं।
किन फसलों में शिवांश खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं? | Which Crops Can Shivansh Compost Be Used For?
- शिवांश खाद का उपयोग लगभग सभी प्रकार की फसलों में किया जा सकता है। जैविक विधि से उगाई जाने वाली फसलों के लिए यह खाद बहुत लाभदायक है।
- गेहूं, धान, मक्का, जौ, जैसी अनाज वाली फसलें, दलहन फसलें जैसे मूंग, अरहर, चना, उड़द, के साथ इसका इस्तेमाल सरसों, तिल, सूरजमुखी जैसी तिलहन फसलों में भी किया जा सकता है।
- इसके अलावा इस खाद का इस्तेमाल आलू, प्याज, भिंडी, बैंगन, गोभी, जैसी सब्जियों और आम, लीची, केले, पपीता, आदि फलों वाले पौधों में भी किया जा सकता है।
आप अपनी फसल में जैविक खाद के तौर पर किस खाद का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अन्य रोचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारियों के लिए ‘देसी जुगाड़’ चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: जैविक खाद कैसे तैयार की जाती है?
A: पौधे और पशुओं से प्राप्त सामग्री को सड़ाकर जैविक खाद तैयार किया जाता है। इस तरह तैयार किए खाद पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और इसका उपयोग फसलों के लिए प्राकृतिक उर्वरक के रूप में किया जा सकता है।
Q: जैविक खाद के 3 प्रकार कौन से हैं?
A: तीन प्रकार की जैविक खाद में पशु-आधारित खाद, पौधे-आधारित खाद और हरी खाद शामिल हैं। पशु-आधारित खाद को पशुओं के गोबर, हड्डी, आदि से तैयार किया जाता है। पौधे आधारित खाद को पत्तियों, पुआल और घास से आदि से तैयार किया जाता है। वहीं हरी खाद के लिए फसलों को उगा कर उनकी जुताई करके मिट्टी में मिलाया जाता है।
Q: सबसे अच्छा जैविक खाद कौन सा है?
A: सबसे अच्छा जैविक उर्वरक फसल और मिट्टी की आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। जैविक खाद के तौर पर गोबर की अच्छी तरह सड़ी हुई खाद का प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है।
Q: जैविक खाद का मुख्य स्रोत क्या है?
A: जैविक खाद का मुख्य स्रोत पशुओं का गोबर, मुर्गी और बकरी से प्राप्त किया जाने वाला पदार्थ है। इसके अलावा फसलों का अवशेष, पत्तियां, घास, फल एवं सब्जियों के छिलके, आदि कुछ अन्य अन्य स्रोतों में शामिल है। पोषक तत्वों से भरपूर खाद बनाने के लिए इन कार्बनिक पदार्थों को प्राकृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से विघटित किया जाता है जिसका उपयोग मिट्टी की उर्वरता और फसल की पैदावार में सुधार के लिए किया जा सकता है।
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