सिंचाई के विभिन्न तरीके

इंसान हो, पशु हो या पेड़-पौधे, पानी सभी के लिए महत्वपूर्ण है। पानी न मिलने पर सभी का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। पानी की कमी होने पर फसलों के विकास में भी बाधा आती है। कई बार पौधे सूखने भी लगते हैं। ऐसी स्थिति में सिंचाई के माध्यम से पौधे में जल की पूर्ति की जाती है। सिंचाई की अधिक जानकारी एवं इसके विभिन्न तरीकों की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
सिंचाई किसे कहते हैं?
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वर्षा न होने पर सूखे की स्थिति में या मिट्टी में पर्याप्त नमी की मात्रा को पूरी करने के लिए कृत्रिम रूप से पानी देने की प्रक्रिया को सिंचाई कहते हैं।
सिंचाई के फायदे
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फसलों में जल की कमी पूरी होती है।
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पेड़-पौधे एवं अन्य फसलों का अधिक ठंड से बचाव होता है।
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मिट्टी सूख कर कठोर नहीं होती है।
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खरपतवारों की वृद्धि पर भी कुछ समय तक नियंत्रण होता है।
सिंचाई के विभिन्न तरीके
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सतही सिंचाई : इस विधि का प्रयोग सदियों से किया जाता रहा है। आज भी कुछ सिंचित क्षेत्रों के 95 प्रतिशत हिस्सों में सिंचाई के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में क्यारियां बनाकर, मेड़ बनाकर, जल भराव, कंटवा विधि, थाला विधि, आदि के द्वारा फसलों में सिंचाई की जाती है।
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बौछारी सिंचाई : इस विधि में पाइप लाइन के द्वारा पानी को वर्षा की बूंदों या फुहारों की तरह फसलों पर छिड़काव किया जाता है। सतही सिंचाई की तुलना में इस विधि से सिंचाई करने पर 25 से 30 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है।
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ड्रिप सिंचाई : इस विधि में पानी को बूंद-बूंद करके पौधों की जड़ों में डाला जाता है। इस विधि से सिंचाई करने पर पानी की बचत होती है। सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की कमी वाले क्षेत्रों के लिए यह सिंचाई करने की सर्वोत्तम विधि है।
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