सोयाबीन की उन्नत किस्में (Improved varieties of soybean)

सोयाबीन एक महत्वपूर्ण खाद्य और तिलहन फसल है, जो अपने उच्च पोषक तत्वों और कृषि में व्यापक उपयोग के लिए प्रसिद्ध है। भारत में सोयाबीन की खेती मुख्यतः महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में की जाती है। खरीफ के मौसम में इसकी खेती सबसे अधिक उपयुक्त होती है। विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधानों और कृषि विश्वविद्यालयों ने सोयाबीन की कई उन्नत किस्में विकसित की हैं, जो उच्च उपज, कीट प्रतिरोध, और बेहतर गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं। यहाँ हम कुछ प्रमुख किस्मों की जानकारी दे रहे हैं, जो किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हो सकती हैं।
सोयाबीन की उन्नत किस्में कौन सी हैं? (Which are the improved varieties of soybean?)
- के.डी.एस-726 : इस किस्म को पकने में लगभग 105 से 110 दिन का समय लगता है। इसकी उपज की बात करें तो 35 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। एक एकड़ में बिजाई के लिए 22 से 28 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। यह किस्म उच्च अंकुरण क्षमता के साथ कई कीटों के लिए प्रतिरोधी है इसकी फली का रंग भूरा और फूलों का रंग सफेद होता है साथ ही बीज मोठे होते हैं। इसकी फली कम टूटती है जिससे उपज अच्छी होती है। यह किस्म मशीन से कटाई के लिए उपयुक्त है।
- जे.एस-335 : जे.एस-335 जल्दी पकने वाली किस्म है जिसे पकने में 95 से 100 दिन लगते हैं। इस किस्म की उपज की बात करे तो 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है। इसके फूलों का रंग बैंगनी होता है।
- जे.एस-9305 : यह जल्दी पकने वाली किस्म है इसे तैयार होने में लगभग 90 से 95 दिन लगते हैं। इसका उत्पादन 20 से 25 क्विंटल एक हेक्टेयर में होता है। यह किस्म कम पानी में भी खेती के लिए उपयुक्त है क्योंकि इसमें सूखा सहन करने की क्षमता होती है।
- जे.एस-9560 : यह भी जल्दी पकने वाली किस्म है जिसे तैयार होने में लगभग 80 से 85 दिन लगते हैं। इसकी उपज 20 से 25 क्विंटल तक एक हेक्टेयर में होती है। इस किस्म को कम पानी की आवश्यकता होती है और इसके दाने अच्छी गुणवत्ता वाले होते हैं।
- एन.आर.सी-86 : यह किस्म पकने में 90 से 95 दिन लेती है और इससे लगभग 20 से 25 क्विंटल उत्पादन एक हेक्टेयर में मिल जाता है। इसके फूलों का रंग सफ़ेद होता है और यह किस्म कई प्रकार के कीटों के लिए प्रतिरोधी होती है।
- पूसा-16 : यह मध्यम समय में पकने वाली किस्म है जिसे लगभग 110 से 115 दिन लगते हैं तैयार होने में। इस किस्म से 25 से 35 क्विंटल उपज एक हेक्टेयर में होती है। इस किस्म के फूल पीले रंग के होते हैं और यह उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए उपयुक्त होती है।
- पूसा-20 : यह सोयाबीन की उन्नत किस्मों में से एक है इसको लगभग 110 से 115 दिन लगते हैं पककर तैयार होने में और इसकी उपज 30 से 32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इस किस्म की अंकुरण क्षमता अच्छी होती है।
- पी.के-416 : इसे पकने में 115 से 120 दिन लगते हैं और इससे 30 से 35 क्विंटल एक हेक्टेयर में उपज प्राप्त कर सकते हैं। इसके फूलों का रंग पीला होता है।
- एम.ए.सी.एस-1407 : यह किस्म लगभग 104 से 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इससे लगभग 39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है। इसके फूलों का सफेद होता है। यह किस्म कीटों के लिए प्रतिरोधी है साथ ही इस किस्म के दानों में तेल और प्रोटीन की मात्रा भी ज्यादा पाई जाती है। यह किस्म विपरीत मौसम को भी सहन करने की क्षमता रखती है।
- एम.ए.यू.एस-81 (शक्ति) : इस किस्म को पकने में लगभग 93 से 97 दिन लगते हैं और इसका उत्पादन प्रति हेक्टेयर 33 से 35 क्विंटल तक होते हैं इनके फूल भी बैंगनी रंग के होते हैं। यह किस्म अच्छी उपज के साथ साथ ज्यादा तेल और प्रोटीन उत्पादन करती।
- प्रताप सोया-1 (आर.ए.यू.एस-5) : यह किस्म 90 से 104 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। इससे लगभग 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज होती है। इसके फूलों का रंग बैंगनी होता है। यह किस्म गर्डल बीटल, स्टेम फ्लाई और डिफोलिएटर जैसे कीटों के लिए प्रतिरोधी है। यह किस्म उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए उपयुक्त होती हैं।
आप सोयाबीन की कौन सी किस्म लगाते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। खेती से संबंधित अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: सोयाबीन की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?
A: सोयाबीन की कई किस्में भारत में खेती के लिए उपयुक्त हैं, जैसे जेएस 335, जेएस 9305, एनआरसी 7, एनआरसी 37, पीके 472, पीके 1059 और एम.ए.सी.एस 13 है। सबसे अच्छी किस्म का चयन स्थान, मिट्टी, जलवायु और बाजार की मांग पर निर्भर करता है। इसके लिए कृषि विशेषज्ञों से सलाह ले कर किस्मों का चुनाव करें।
Q: सोयाबीन बोने का सही समय क्या है?
A: सोयाबीन बोने का सही समय क्षेत्र और मौसम पर निर्भर करता है: उत्तर भारत में सोयाबीन की खेती मई के अंतिम सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह तक करते हैं। वहीं मध्य भारत में जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह तक और दक्षिण भारत में जुलाई के अंतिम सप्ताह से अगस्त के पहले सप्ताह तक सोयाबीन की किस्मों की बुवाई करते हैं। सोयाबीन की बुवाई ठंड में के प्रति संवेदनशील है, इसलिए सर्दियों में बुवाई से बचें।
Q: सोयाबीन की 1 एकड़ में कितनी पैदावार होती है?
A: 1 एकड़ में सोयाबीन की औसत उपज 12-15 क्विंटल (1200-1500 किलोग्राम) होती है। अच्छी प्रबंधन प्रथाओं से उपज 20-25 क्विंटल (2000-2500 किलोग्राम) तक बढ़ाई जा सकती है।
Q: सोयाबीन की अच्छी पैदावार के लिए क्या करें?
A: अच्छी पैदावार के लिए अच्छी तरह सूखी हुई उपजाऊ मिट्टी तैयार करें। उच्च गुणवत्ता वाले, कीट और रोग प्रतिरोधी बीजों का चुनाव करें। सही समय पर अनुशंसित दूरी पर बुवाई करें। मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का उपयोग करें। खरपतवार नियंत्रण और कीट प्रबंधन करें। सूखे के दौरान पर्याप्त सिंचाई दें। इन पद्धतियों का पालन कर किसान अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
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