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20 May
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सोयाबीन की खेती: बुवाई से पहले रखें ध्यान और पाएं ज्यादा पैदावार (Soybean cultivation: Take care before sowing and get high yield)


सोयाबीन भारतीय कृषि के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण फसल है। इसकी खेती उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात जैसे राज्यों में की जाती है। सोयाबीन एक उत्कृष्ट स्रोत है नाइट्रोजन का, जो मिट्टी के गुणवत्ता को बढ़ा कर फसलोंत्पादन को बढ़ावा देता है। सोयाबीन में अच्छी उपज के लिए बुवाई से पहले उपयुक्त तैयारी, सही बीज का चयन, समय पर बुवाई, जल संसाधन, रोग और कीट प्रबंधन, और समय पर कटाई - ये सभी प्रक्रियाएं सोयाबीन की खेती में महत्वपूर्ण हैं। इन विशेष चीजों का ध्यान रखने से सोयाबीन की पैदावार और उत्पादकता में सुधार हो सकता है।

सोयाबीन की बुआई से पहले इन बातों का रखें ध्यान (Keep these things in mind before sowing soybean)

बीजों का चुनाव : सोयाबीन बीजों का चयन करते समय ध्यान रखें की बीज रोगों और कीटों के प्रति सहनशील हो। अच्छी किस्मों का चयन करें जो स्थानीय जलवायु और मिट्टी के अनुसार अनुकूल होने के साथ उच्च उपज क्षमता भी दे।

जलवायु : सोयाबीन की खेती के लिए शुष्क गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। बुवाई के लिए मिट्टी का तापमान लगभग 25-30 डिग्री सेल्सियस हो और मिट्टी में पर्याप्त नमी हो।

मिटटी : सोयाबीन की बुवाई के लिए उचित जल निकास वाली दोमट भूमि सबसे अच्छी रहती है। इसकी बुवाई के लिए मिटटी का पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। कार्बनिक पदार्थों से समृद्ध अच्छी उपज क्षमता वाली मिटटी जिसकी जल धारण क्षमता भी अच्छी हो ऐसी मिटटी का चुनाव करें।

बुवाई का समय : सोयाबीन की बुवाई का उचित समय मई के अंतिम सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह के बीच होता है। जो क्षेत्र और मौसम की स्थिति पर निर्भर करता है।

गहरी जुताई और समतलीकरण: खेतों में गहरी जुताई करें और उन्हें समतल करें ताकि पानी समान रूप से बांटा जा सके और पानी का प्रयोग प्रभावी हो।

बुवाई की तकनीक: बीजों को बोते समय कतारों के बीच उचित दूरी बनाए रखें। बीजों को 2.50 से 3 से.मी. की गहराई पर बोएं।

उन्नत किस्में :

  • जेएस-9560 : यह जल्दी पकने वाली किस्म है, जो 82 से 88 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म के पौधे गिरने और टूटने के लिए प्रतिरोधी है। इसके दानों का रंग मध्यम हरा होता है और इस किस्म का बीज दर: 25-30 किग्रा/एकड़ है।
  • KDS-726 : यह मध्यम - देर से पकने वाली किस्म है जो लगभग 105 से 110 दिन में तैयार होती है। उच्च अंकुरण क्षमता के साथ अच्छी उपज देती है इसके अलावा बहुत से कीटों के लिए प्रतिरोधी किस्म है। यह किस्म गिरने और टूटने के लिए प्रतिरोधी है।  इसकी बीज दर 22-28 किग्रा/एकड़ है।
  • JS-335 : यह लगभग 105 से 115 दिन में तैयार हो जाती है, इस किस्म की अंकुरण क्षमता अच्छी होती है साथ ही यह किस्म ज्यादा हवा में गिरने और टूटने के प्रति सहनशील है। इसके अलावा यह किस्म गिर्डल बीटल और स्टेम फ्लाई के लिए प्रतिरोधी है। इसका बीज दर 25-30 किग्रा/एकड़ है।
  • JS-2034 : यह जल्दी पकने वाली किस्म है जो 80 से 85 दिन में तैयार हो जाती है।
  • इसे ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। इसके तनें मजबूत होते हैं जिससे पौधा प्रतिकूल मौसम में भी गिरने और टूटने के लिए प्रतिरोधी है।  इसकी बीज दर 25-30 किग्रा/एकड़ है और यह लगभग 24 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है।
  • JS-9305 : यह 95 से 105 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। इसके एक बाली में चार बीज होते हैं और इसके तनें मजबूत होते हैं जिससे यह गिरने और टूटने के प्रति सहनशील है। यह जड़ सड़न रोग के लिए प्रतिरोधी किस्म है।  इसका बीज दर 25-30 किग्रा/एकड़ है।

उर्वरक प्रबंधन : मिट्टी के पोषक तत्वों की समीक्षा के बाद मिट्टी में उर्वरकों का उपयोग करें ताकि सोयाबीन को सही पोषण मिले।

रोग प्रबंधन :

  • फसल चक्र (Crop Rotation) : हर साल एक ही खेत में सोयाबीन न लगाएं। मक्का, ज्वार, या कपास जैसी अन्य फसलों के साथ फसल चक्र अपनाएं।
  • मिट्टी का सौरीकरण (Soil Solarization) : राइजोक्टोनिया और फ्यूजेरियम जैसे मिट्टी जनित रोगजनकों को खत्म करने के लिए मिट्टी को प्लास्टिक शीट से ढककर धूप में रखें।
  • बीज उपचार (Seed Treatment) : सोयाबीन के बीजों को कार्बेन्डाजिम या थिरम जैसे फफूंदनाशी से उपचारित करें ताकि एन्थ्रेक्नोज और बीज सड़न जैसे बीज जनित रोगों से बचाव हो सके।
  • खेत की स्वच्छता (Field Sanitation) : मिट्टी जनित रोगजनकों के इनोकुलम को कम करने के लिए खेत से फसल अवशेषों और खरपतवारों को हटा दें और नष्ट कर दें।
  • रोग प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग (Use of Disease-Resistant Varieties) : सोयाबीन की ऐसी किस्मों का चयन करें जो जंग, लीफ स्पॉट, और स्टेम कैंकर जैसी सामान्य बीमारियों के लिए प्रतिरोधी हों।

कीट प्रबंधन :

  • खेत की स्वच्छता: कटवर्म, आर्मीवर्म और एफिड्स जैसे कीटों की संख्या को कम करने के लिए खेत से फसल अवशेषों और खरपतवारों को हटाकर नष्ट कर दें।
  • मिट्टी की तैयारी: मिट्टी में रहने वाले कीटों जैसे ग्रब और कटवर्म को उजागर करने और मारने के लिए बुवाई से पहले मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार करें।
  • बीज उपचार: सोयाबीन के बीज को इमिडाक्लोप्रिड या थियामेथोक्साम जैसे कीटनाशकों के साथ इलाज करें ताकि उन्हें बीन लीफ बीटल और सीडकॉर्न मैगॉट जैसे बीज-हमला करने वाले कीटों से बचाया जा सके।
  • कीट प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें: सोयाबीन की ऐसी किस्मों का चयन करें जो फली छेदक और लीफहॉपर जैसे सामान्य कीटों के लिए प्रतिरोधी हों।
  • जैविक नियंत्रण: कीटों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए परजीवी और शिकारियों जैसे प्राकृतिक दुश्मनों का उपयोग करें।जैसे, ट्राइकोग्रामा ततैया को फली छेदक को नियंत्रित करने के लिए छोड़ा जा सकता है।

सिंचाई: सोयाबीन के पौधों को समय और आवश्यकता के अनुसार पानी देना चाहिए। सोयाबीन के पौधों को विकास चरणों जैसे अंकुरण, फूल और फली भरने की अवस्था में सिंचाई की आवश्यकता होती है। फसल के अच्छे अंकुरण और स्थापना को सुनिश्चित करने के लिए बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई दी जानी चाहिए। बाद में सिंचाई मिट्टी की नमी की स्थिति और मौसम की स्थिति के आधार पर 10-15 दिनों के अंतराल पर दी जानी चाहिए। सोयाबीन में अधिक सिंचाई करने से बचे इससे जलभराव की सम्भावना होती है जिससे जड़ सम्बंधित रोग हो सकते हैं।

खरपतवारों का नियंत्रण: बुवाई के पहले खरपतवार नियंत्रण करने से पोषक तत्वों, पानी और धूप के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। जिससे सोयाबीन में अच्छी उपज प्राप्त होती है। बुवाई से पहले ही खरपतवारों को उगने से रोकने के लिए अच्छी गहरी जुताई करें, उचित खरपतवारनाशी कर उपयोग करें, मल्चिंग पॉलीथिन का इस्तेमाल करें और फसल चक्र अपनाएं।

सोयाबीन की खेती में बुवाई से पहले आप किस बात का ध्यान रखते हैं ? अपने विचार हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान मित्रों के साथ साझा करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions - FAQs)

Q: सोयाबीन की बुवाई का सही समय क्या है?

A: सोयाबीन की फसल को मानसून के मौसम में, जून और जुलाई के बीच बोया जाता है, जब मिट्टी की नमी अंकुरण और विकास के लिए पर्याप्त होती है। बुवाई का सही समय स्थान और मौसम की स्थिति के आधार पर भिन्न हो सकता है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि बुवाई के समय मिट्टी का तापमान कम से कम 20 डिग्री सेल्सियस हो, क्योंकि सोयाबीन के बीज को अंकुरित होने के लिए गर्म मिट्टी की आवश्यकता होती है।

Q: सोयाबीन कितने दिन में तैयार हो जाती है?

A: सोयाबीन लगभग 90-120 दिनों में तैयार हो जाती है।

Q: सोयाबीन की 1 एकड़ में कितनी पैदावार होती है?

A: सोयाबीन की 1 एकड़ में लगभग 10-15 क्विंटल पैदावार होती है।

Q: सोयाबीन के कौन-कौन से रोग हैं?

A: भारत में सोयाबीन की सामान्य बीमारियों में सोयाबीन रस्ट, एन्थ्रेक्नोज, सडन डेथ सिंड्रोम, फाइटोफ्थोरा रूट और स्टेम रॉट और बीन पॉड मोटल वायरस शामिल हैं।

Q: सोयाबीन का सबसे खरतनाक कीट कौन सा है?

A: सोयाबीन का सबसे खतरनाक कीट सोयाबीन स्टेम फ्लाई /तना मक्खी (मेलानाग्रोमाइज़ा सोजा) है, जो तने को नुकसान पहुंचाकर और पोषक तत्वों और पानी के परिवहन के लिए पौधे की क्षमता को कम करता है। इससे सोयाबीन की उपज में 20-30 प्रतिशत तक हानि पहुंचती है।

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