सरसों में खरपतवार प्रबंधन | Weed Management in Mustard Crop

सरसों की फसल भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है, जो न केवल खाने के तेल के उत्पादन के लिए बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। सरसों की खेती में खरपतवार एक प्रमुख समस्या के रूप में उभरते हैं, जो पौधों की बढ़वार, पोषण, और फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। सरसों की फसल में खरपतवारों के कारण इसकी विभिन्न किस्मों में उपज में 20 से 70 प्रतिशत तक कमी हो सकती है। खरपतवारों के कारण कई बार दानों में तेल की मात्रा भी कम हो जाती है। सरसों की फसल से अच्छा मुनाफा प्राप्त करने के लिए खरपतवारों पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। इसलिए, सरसों की खेती में खरपतवार प्रबंधन को सही समय पर और सही तरीके से अपनाना आवश्यक है, जिससे फसल की उत्पादकता में वृद्धि हो सके और किसान अधिक लाभ कमा सकें। इस आर्टिकल में हम सरसों की फसल में खरपतवारों से होने वाले नुकसान एवं खरपतवारों पर नियंत्रण के विभिन्न तरीकों पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।
सरसों की फसल में में खरपतवारों से होने वाले नुकसान | Damage caused by weeds in Mustard Crop
- पोषक तत्वों की कमी: खेत में मौजूद खरपतवार पोषक तत्वों को ग्रहण कर लेते हैं। जिससे पौधों को उचित मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता है और पौधे कमजोर हो जाते हैं। इस कारण पौधों में फूल एवं फलियों की मात्रा में कमी आती है।
- पैदावार एवं गुणवत्ता में कमी: खरपतवारों के कारण फसल की पैदावार में कमी तो होती ही है, इसके साथ ही फसलों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा दानों एवं पत्तों का स्वाद भी प्रभावित होता है।
- तेल की मात्रा में कमी: सरसों की फसल में खरपतवारों की अधिकता दानों में तेल की मात्रा में कमी होने का एक बड़ा कारण है। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है।
- रोग एवं कीटों का प्रकोप: खरपतवार कई तरह के रोगों एवं कीटों के पनपने का कारण बनते हैं। खेत में खरपतवारों की अधिकता होने से फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होने लगती है। जिससे पौधे आसानी से कई तरह के रोगों एवं कीटों की चपेट में आ जाते हैं।
- आर्थिक नुकसान: उपज में कमी होना और खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए कृषि लागत में वृद्धि, किसानों के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बन सकती है।
रासायनिक विधि के द्वारा खरपतवार नियंत्रण
- प्रति एकड़ खेत में 350 मिलीलीटर पेंडिमेथालिन 38.7% सीएस (धानुका धानुटॉप सुपर, यूपीएल दोस्त सुपर, कात्यायनी पेन्डा, बीएएसएफ स्टॉम्प एक्स्ट्रा) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 600 मिलीलीटर ऑक्साडियार्गिल 6% ईसी (पारिजात रफ़ाज़) का प्रयोग करें।
खरपतवारों को नियंत्रित करने के कुछ अन्य तरीके
- खेत की गहरी जुताई: सरसों की बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवारों के ऊपर आ जाते हैं और कुछ दिनों में सूख कर नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा बुवाई से पहले खेत में निकलने वाले खरपतवारों की जुताई कर उसे खेत में मिलाया जा सकता है। यह हरी खाद का काम करेगी। इससे खरपतवार नष्ट भी हो जाएंगे और मिट्टी में हरी खाद के प्रयोग से कई पोषक तत्वों की पूर्ति भी हो जाएगी।
- फसलों के बीच की दूरी: बीज की बुवाई के समय दूरी का विशेष ध्यान रखें। आवश्यकता से अधिक दूरी होने पर खरपतवारों को उगने के लिए अधिक जगह मिलता है। इसलिए पौधों से पौधों के बीच 4 से 5 इंच की दूरी रखें।
- निराई-गुड़ाई: निराई-गुड़ाई एक प्रमुख तकनीक है जो खरपतवारों को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है। बुआई के 30 दिनों के बाद बाद पहली निराई-गुड़ाई करें। इसके बाद, 15 दिन के अंतराल पर या आवश्यकता के अनुसार इस प्रक्रिया को दोहराया जा सकता है। निराई-गुड़ाई करने से फसल को अच्छी तरह से पोषण मिलता है और खरपतवारों को कम करने में मदद मिलती है। हालांकि, हाथों से निराई-गुड़ाई करने में अधिक समय लग सकता है। इसलिए बड़े क्षेत्रों में इस विधि के लिए आप छोटे कृषि यंत्रों का सहारा ले सकते हैं।
- फसल चक्र अपनाएं: खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए फसल चक्र अपनाएं। खेत में मौसम के अनुसार विभिन्न फसलों को लगाने से खरपतवारों का जीवन चक्र बाधित हो सकता है। इससे खरपतवारों की समस्या में कमी आती है।
सरसों की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। विभिन्न फसलों में सभी तरह के खरपतवारों पर नियंत्रण की विस्तृत जानकारी के लिए ‘खरपतवार जुगाड़’ चैनल को तुरंत फॉलो करें। यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी हो तो इस पोस्ट को लाइक एवं शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: सरसों में खरपतवार नाशक दवाई कौन सी है?
A: सरसों की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप इस पोस्ट में बताई गई दवाओं में से किसी भी एक दवा का प्रयोग कर सकते हैं। सरसों की फसल को नुकसान से बचाने के लिए रासायनिक दवाओं के प्रयोग के समय इसकी मात्रा का विशेष ध्यान रखें। वर्षा होने की संभावना होने पर खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग करने से बचें।
Q: सरसों का मुख्य खरपतवार क्या है?
A: ऐसे कई खरपतवार हैं जो सरसों की उपज में कमी का कारण बनते हैं। जिनमें मरगेजा, जंगली जई, जंगली सरसों, घास, जंगली राई, कनकी, सेंजी, बथुआ, प्याजी, जंगली पालक, जैसे खरपतवार शामिल हैं। इन पर नियंत्रण के लिए आप इस पोस्ट में दी गई दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं।
Q: खरपतवार प्रबंधन कैसे किया जाता है?
A: छोटे क्षेत्रों में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए हाथों से निराई करना सबसे बेहतर विकल्प है। इसके अलावा फसल चक्र अपनाना, खेत में गहरी जुताई करना, मल्चिंग करना, भी खरपतवारों पर नियंत्रण में सहायक है। खरपतवारों की समस्या बढ़ने पर उनके प्रकार के अनुसार उचित मात्रा में खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग भी किया जा सकता है।
Q: खरपतवार नाशक कितने दिन तक काम करता है?
A: खरपतवार नाशक का प्रभाव उपयोग किए गए शाकनाशी के प्रकार, मात्रा और पर्यावरण की परिस्थितियों पर निर्भर करती है। कुछ दवाओं का असर 7 से 14 दिनों तक रहता है। वहीं कई ऐसी दवाएं भी हैं जिनका असर लम्बे समय तक बना रहता है।
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