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27 Nov
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सरसों में लाही की रोकथाम (Syptoms and Management of Mustard Aphid Pest)


सरसों की फसल के लिए लाही कीट (Aphid) एक गंभीर खतरा है। ये छोटे भूरे या काले रंग के कीट पौधों का रस चूसकर उनके विकास को बाधित कर देते हैं। लाही कीट का प्रकोप फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित करता है, इसलिए समय रहते इसका प्रबंधन करना जरूरी होता है। इस लेख में लाही कीट के लक्षण और प्रभावी प्रबंधन के तरीकों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

लाही कीट के लक्षण एवं नुकसान (Symptoms and Damage of Mustard Aphid Pest)

  • पत्तियों का मुरझाना और सिकुड़ना: जब लाही कीट पौधों का रस चूसते हैं, तो पौधों की पत्तियां धीरे-धीरे मुरझाने लगती हैं और सिकुड़ जाती हैं। इससे पौधों की वृद्धि में बाधा आती है और वे कमजोर हो जाते हैं।
  • फूलों में कमी: लाही कीट के प्रकोप से फूलों की संख्या घट जाती है, जिससे सरसों की फसल की पैदावार पर नकारात्मक असर पड़ता है।
  • फलियों में दाने न बनना: प्रभावित फलियों में दाने नहीं बन पाते हैं, जिससे फसल का उत्पादन भारी मात्रा में कम हो जाता है।
  • पौधों का विकास रुकना: यदि लाही कीट का प्रकोप बढ़ जाता है, तो पौधों के विकास की गति रुक जाती है, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं।
  • पौधों की कमजोरी: यह कीट पौधों का आवश्यक रस चूसकर उनकी ताकत को कम कर देते हैं, जिससे पौधे की संरचना और स्वास्थ्य कमजोर हो जाता है।
  • फूलों और फलियों का नुकसान: फूलों और फलियों का रस चूसने के कारण उनकी संख्या में भारी गिरावट होती है, जिससे फसल उत्पादन में भारी कमी आती है।
  • प्राकृतिक शिकारियों की कमी: लाही कीट द्वारा छोड़े गए मीठे पदार्थ (हनीड्यू) पर फफूंद और काला पदार्थ विकसित हो सकता है, जिससे प्राकृतिक शिकारियों के लिए प्रतिकूल वातावरण बनता है और उनका प्रजनन कम हो सकता है।

लाही कीट पर नियंत्रण के प्रभावी उपाय (Effective Control Measures for Mustard Aphid Pest)

  • लाही कीट पर नियंत्रण के लिए 5-6 पीली स्टिकी ट्रैप प्रति एकड़ खेत में लगाएं। ये ट्रैप कीटों को आकर्षित करके फंसा लेते हैं, जिससे उनकी संख्या में कमी आती है।
  • खेत में खरपतवार को समय-समय पर हटाएं, ताकि लाही कीट को शरण न मिल सके और इनका प्रकोप कम हो।
  • लेडी बर्ड बीटल जैसे प्राकृतिक शिकारियों का उपयोग खेत में बनाए रखें, जो लाही कीट को खाकर उनकी संख्या नियंत्रित करते हैं।

रासायनिक नियंत्रण (Chemical Control):

  • जब सरसो की फसल 40-45 दिन की हो और (माहू) लाही कीटों का प्रकोप दिखाई देता है तो, क्लोरोपायरीफॉस 20% EC (टाटा रैलिस तफाबान) 200 मिलीलीटर दवा को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे के माध्यम से छिड़काव करें। इससे लाही कीट और अन्य चूसक कीटों को नष्ट किया जा सकता है।
  • सरसो की 45-50 दिन की फसल पर, अगर लाही कीट का प्रकोप बढ़ने लगे, तो एसिफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP (यूपीएल-लांसर गोल्ड, हाईफील्ड ऐस-गोल्ड) कीटनाशक का उपयोग 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से स्प्रे विधि से करें।
  • लाही कीट नियंत्रण के लिए सायंट्रानिलिप्रोल 10.26% ( एफएमसी बेनेविया) दवा को 240 मिलीलीटर दवा को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ खेत में 40-45 दिन की सरसो की फसल में छिड़काव करें। यह कीटनाशक कीटों पर तुरंत असर डालकर फसल की सुरक्षा करता है।
  • सरसों की फसल में लाही कीट से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड 70% WG (जैसे देहात कन्ट्रो-पेस्ट, प्रोन्टो, एडमायर) का उपयोग 12-14 ग्राम प्रति एकड़ सरसों की फसल पर छिड़काव करें, खासकर तब जब लाही कीट का प्रकोप ज्यादा दिखाई देने लगे।
  • थियामेथोक्साम 25% WG (देहात एसियर, अरेवा, एक्टारा) भी कीट नियंत्रण के लिए एक तेज़ असरदार दवा है जिसकी 40-50 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें। यह कीटनाशक शुरुआती प्रकोप के दौरान उपयोग करने पर बेहतर परिणाम देता है और कीटों को तुरंत नियंत्रित करता है।
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL (टाटा मिडा, कॉन्फिडोर, मीडिया) को 100 मिलीलीटर प्रति एकड़ खेत में 45-50 दिन की फसल पर कीटों का असर दिखने पर छिड़कें। यह कीटनाशक लाही कीटों के नियंत्रण में अत्यधिक प्रभावी होता है।
  • एसिटामिप्रिड 20% SP (टाटा माणिक, धन-प्रीत, पिरामिड) को 40 ग्राम प्रति एकड़ की मात्रा में 45 दिन की फसल पर लाही कीट के प्रकोप के समय छिड़कें।

क्या आप भी सरसों में लाही कीट से परेशान हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions - FAQs)

Q: सरसों में फूल आने पर क्या करें?

A: जब सरसों में फूल आने का समय आता है, तब पौधों की अच्छी देखभाल करना जरूरी होता है। इस समय पानी का ध्यान रखें, क्योंकि फसल में नमी बनाए रखना फूलों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, फसल में लाही कीट और अन्य कीटों का नियंत्रण भी करें। कीटनाशकों का छिड़काव सुबह या शाम के समय करें ताकि फसल को अधिकतम लाभ मिल सके।

Q: सरसों में कितनी बार पानी देना चाहिए?

A: सरसों की फसल में सही समय पर सिंचाई जरूरी है। आमतौर पर सरसों को 2-3 बार पानी देने की आवश्यकता होती है, खासकर फूल आने और दाना बनने के समय। अगर मिट्टी में नमी कम हो, तो सिंचाई बढ़ा सकते हैं। परंतु अत्यधिक पानी से बचें, क्योंकि इससे फसल को नुकसान हो सकता है।

Q: सरसों में जिंक कब डालें?

A: सरसों में जिंक की कमी को पूरा करने के लिए इसे पौधों की 4-6 पत्ती अवस्था या फूल आने से पहले डालना चाहिए। प्रति एकड़ 8-10 किलोग्राम जिंक सल्फेट का प्रयोग फसल में पौष्टिकता बढ़ाने और उपज में सुधार के लिए उपयोगी होता है।

Q: सरसों में लगने वाले प्रमुख रोग कौन से हैं?

A: सरसों की फसल में प्रमुख रोग जैसे - झुलसा रोग, सफेद रतुआ, और तना गलन रोग लग सकते हैं। इससे बचाव के लिए समय पर फफूंदनाशकों का छिड़काव और खेत में उचित जल निकासी का प्रबंध करना चाहिए।

Q: सरसों में कौन-कौन से कीट लगते हैं?

A: सरसों में लाही कीट, माहू, और चुरा कीट जैसे हानिकारक कीट लगते हैं। ये कीट पत्तियों और फलियों का रस चूस कर फसल को कमजोर कर देते हैं। इससे बचाव के लिए समय पर जैविक या रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए।

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