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27 Sep
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स्ट्रॉबेरी की खेती से होगी लाखों की कमाई | Strawberry Cultivation

देखने में आकर्षक और खाने में उतना ही स्वादिष्ट स्ट्रॉबेरी में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी, प्रोटीन और खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। कुछ समय पहले तक स्ट्रॉबेरी की खेती ठंडे स्थानों में की जाती थी। लेकिन अब इसकी खेती बिहार, हरियाणा जैसे राज्यों में भी सफलतापूर्वक की जा रही है। कई औषधीय गुणों से भरपूर स्ट्रॉबेरी की खेती करके किसान कम समय में लाखों की कमाई कर सकते हैं। इस पोस्ट के माध्यम से स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु, खेत तैयार करने की विधि, सिंचाई, आदि जानकारियों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करें? How to Cultivate Strawberry

  • स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उपयुक्त समय: उत्तर भारतीय क्षेत्रों में इसकी खेती सितंबर से जनवरी महीने में की जाती है। उत्तर पूर्वी भारतीय क्षेत्रों में इसकी खेती नवंबर से जनवरी महीने में की जाती है। दक्षिण भारतीय क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी की खेती नवंबर से जनवरी महीने में और अगस्त महीने में की जाती है। महाराष्ट्र में इसकी खेती अगस्त से नवंबर के आखिरी सप्ताह तक की जाती है। मध्य भारतीय क्षेत्रों में इसकी खेती के लिए अक्टूबर-नवंबर महीना उपयुक्त है। हालांकि पॉलीहाउस में वातावरण को नियंत्रित कर के किसी भी समय इसकी खेती की जा सकती है।
  • उपयुक्त जलवायु: स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए ठंडी और नमीयुक्त जलवायु सबसे अधिक उपयुक्त होती है। शीतोष्ण जलवायु में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। ठंड के मौसम में खेती करने से पौधों का विकास और फलों गुणवत्ता दोनों बेहतर होती है। पौधों को 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। अधिक गर्मी और सूखा पौधों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसे अधिक ऊंचाई वाले ठंडे क्षेत्रों में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। पहाड़ी क्षेत्रों में भी इसकी खेती लाभकारी हो सकती है।
  • उपयुक्त मिट्टी: स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। इसके अलावा इसकी खेती बलुई दोमट मिट्टी में भी की जा सकती है। मिट्टी का पीएच स्तर 5.7 से 6.5 के बीच होना चाहिए। अधिक अम्लीय या क्षारीय मिट्टी पौधों की वृद्धि में रुकावट पैदा कर सकती है। मिट्टी की जल निकासी अच्छी होनी चाहिए।
  • बेहतरीन किस्में: इसकी अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए आप चांडलर, टिओगा, टोरे, सेल्वा, बेलरूबी, फर्न, पाजारो, प्रीमियर, रेड कॉस्ट, लोकल जौलिकोट, दिलपसंद, बैंगलोर, फ्लोरिडा 90, कटरैन स्वीट, पूसा अर्ली ड्वार्फ और ब्लैकमोर किस्मों का चयन कर सकते हैं।
  • पौधों की मात्रा: स्ट्रॉबेरी की व्यावसायिक खेती पौधों की रोपाई के द्वारा की जाती है। टिशू कल्चर के द्वारा भी इसके पौधों को तैयार किए जा सकते हैं। प्रति एकड़ खेत में 22,000 पौधे लगाए जा सकते हैं। उच्च गुणवत्ता वाले फल प्राप्त करने के लिए रोग मुक्त, स्वस्थ पौधों का चयन करें।
  • खेत तैयार करने की विधि: सबसे पहले सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें। इसके बाद 2-3 बार हल्की जुताई करके मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बना लें। आखिरी जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 30 टन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। इसके साथ ही खेत में उपयुक्त मात्रा में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम जैसे उर्वरकों का भी प्रयोग करें। पौधों की सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन की पाइप लाइन लगाएं। स्ट्रॉबेरी की खेती में मल्चिंग का उपयोग करना जरूरी है। मल्चिंग से नमी बनी रहती है और खरपतवारों की वृद्धि भी रुकती है। जैविक मल्चिंग (पत्तियां, भूसा) का उपयोग किया जा सकता है। सामान्यतौर पर प्लास्टिक मल्चिंग का प्रयोग किया जाता है।
  • उर्वरक प्रबंधन: उर्वरकों की मात्रा मिट्टी पर निर्भर करती है। प्रति एकड़ खेत में 10-12 टन एफवाईएम, 65-85 किलोग्राम यूरिया, 35-60 किलोग्राम डीएपी, 27-53 किलोग्राम एमओपी की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही  यूरिया 2%, जिंक सल्फेट 0.5%, कैल्शियम सल्फेट 0.5%, और बोरिक एसिड 0.2% का फोलियर स्प्रे करें।
  • रोपाई की विधि: स्ट्रॉबेरी की व्यावसायिक खेती रनर प्लांट विधि के द्वारा की जाती है। बड़े क्षेत्रों में रोग मुक्त पौधों की कजेटी करने के लिए टिशू कल्चर का प्रयोग किया जाता है। मुख्य खेत में पौधों की रोपाई कतारों में करें। सभी कतारों के बीच 12 इंच की दूरी होनी चाहिए। वहीं पौधों से पौधों के बीच की दूरी 12 इंच की दूरी बनाए रखें।
  • सिंचाई प्रबंधन: स्ट्रॉबेरी की खेती में सिंचाई का सही प्रबंधन करना बहुत जरूरी है। पौधों को नमी की जरूरत होती है, लेकिन जलभराव से बचाना भी आवश्यक है। इसलिए स्ट्रॉबेरी की खेती में ड्रिप सिंचाई प्रणाली सबसे अच्छी मानी जाती है। इससे पौधों को नियमित और आवश्यक मात्रा में नमी मिलती है और पानी की बचत भी होती है। गर्मी के मौसम में 4-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें और ठंड के मौसम में 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। आवश्यकता से अधिक मात्रा में सिंचाई करने पर पौधों की जड़ें प्रभावित हो सकती हैं।
  • खरपतवार नियंत्रण: खरपतवारों से स्ट्रॉबेरी की फसल को काफी नुकसान हो सकता है। इसलिए, खरपतवारों का सही समय पर नियंत्रण करना आवश्यक है। प्लास्टिक मल्चिंग से खरपतवारों की वृद्धि को रोका जा सकता है। इसलिए खेत में मल्चिंग का प्रयोग जरूर करें। इसके साथ ही आवश्यकता होने पर हाथों से निराई-गुड़ाई भी करें।
  • रोग एवं कीट नियंत्रण: स्ट्रॉबेरी के पौधों पर कई तरह के रोग और कीट हमला कर सकते हैं। जिनमें चूर्णिल आसिता रोग, झुलसा रोग, पत्ती धब्बा रोग, एन्थ्रेक्नोज, मकड़ी, माहु, सफेद मक्खी, थ्रिप्स, आदि कुछ प्रमुख हैं। इस पर नियंत्रण के लिए कृषि विशेषज्ञों की परामर्श के अनुसार उचित कीटनाशक एवं फफूंद नाशक दवाओं का प्रयोग करें। पौधों को नुकसान से बचाने के लिए रासायनिक दवाओं की मात्रा का विशेष ध्यान रखें।
  • फलों की तुड़ाई: फलों की तुड़ाई फरवरी से अप्रैल महीने के बीच की जाती है। आमतौर पर पौधों की रोपाई के करीब 3-4 सप्ताह बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। स्ट्रॉबेरी के फल जब पूरी तरह से लाल हो जाएं तब फलों की तुड़ाई कर लेनी चाहिए। फलों में लम्बे समय तक ताजगी बनाए रखने के लिए तुड़ाई सुबह या शाम के समय करें। क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए फलों को हाथों से घुमा कर तोड़ें। तुड़ाई के बाद फलों को ठंडे स्थान पर रखें।

स्ट्रॉबेरी की खेती में आपको किस तरह की समस्याएं आती हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। कृषि सम्बंधित अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इस जानकारी को अधिक किसानों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक और पोस्ट करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: स्ट्रॉबेरी कितने दिन में फल देने लगती है?

A: स्ट्रॉबेरी के पौधे आमतौर पर रोपाई के 3-4 सप्ताह बाद फल देना शुरू कर देते हैं। पौधों में फल आने में लगने वाला समय पौधों की किस्मों, जलवायु, मौसम की स्थिति और मिट्टी की उर्वरता के आधार पर भिन्न हो सकती है। सामान्य तौर पर फलों की तुड़ाई फरवरी से अप्रैल महीने के बीच की जाती है।

Q: स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करें?

A: स्ट्रॉबेरी की खेती ठंड के मौसम में की जाती है। इस मौसम में स्ट्रॉबेरी के पौधों का विकास अच्छा होता है। मिट्टी का पीएच स्तर 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। खरपतवारों पर नियंत्रण एवं मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए खेत में मल्चिंग शीट लगाना न भूलें। पौधों की रोपाई 12-16 इंच की दूरी पर करें और कतारों के बीच 24 इंच की दूरी रखें। सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई का प्रयोग करें।

Q: स्ट्रॉबेरी के बीज कब लगाए जाते हैं?

A: आमतौर पर स्ट्रॉबेरी की खेती बीज के द्वारा नहीं की जाती है। इसकी खेती पौधों की रोपाई के द्वारा की जाती है। पौधों की रोपाई के लिए सितंबर से दिसंबर तक का समय उपयुक्त है।

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