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30 Sep
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फसलों में कैल्शियम की कमी के लक्षण और उपाय (Symptoms and solutions of calcium deficiency in crops)


कैल्शियम पौधों के विकास के लिए एक जरूरी पोषक तत्व है, जो उनकी कोशिकाओं की दीवारों को मजबूत बनाता है और उन्हें स्वस्थ रखता है। यह पौधों में पोषक तत्वों का सही उपयोग करने वाले एंजाइमों को सक्रिय करता है और जल के प्रवाह को भी सुनिश्चित करता है। जब पौधों में कैल्शियम की कमी होती है, तो जड़ों और नई पत्तियों का विकास रुक जाता है, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं। इसके कारण पत्तियां मुड़ जाती हैं, सड़न होने लगती है, और फलों का आकार छोटा और स्वादहीन हो जाता है। इसलिए, पौधों की अच्छी वृद्धि और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए कैल्शियम की सही मात्रा का होना बहुत जरूरी है। इसे उचित उर्वरकों और खेती के सही तरीकों से पूरा किया जा सकता है। इस लेख में, हम फसलों में कैल्शियम की कमी के कारण, उसके लक्षण, प्रभाव, और समाधान पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

फसलों में कैल्शियम की कमी के लक्षण कैसे दिखाई देते हैं? (How are calcium deficiency symptoms visible in crops?)

फसलों में कैल्शियम की कमी के कारण (Causes of calcium deficiency in crops):

  • मिट्टी का पीएच मान: अगर मिट्टी का पीएच 7.5 से अधिक या 5.5 से कम होता है, तो कैल्शियम की उपलब्धता कम हो जाती है।
  • मिट्टी में पानी की मात्रा: अत्यधिक या बहुत कम पानी होने पर मिट्टी से कैल्शियम का अवशोषण ठीक से नहीं हो पाता।
  • अत्यधिक नाइट्रोजन का उपयोग: जब मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक हो जाती है, तो पौधों में कैल्शियम का संतुलन बिगड़ जाता है।
  • रेतीली और हल्की मिट्टी: इस प्रकार की मिट्टी में कैल्शियम का अवशोषण कम होता है।
  • एक ही जगह बार-बार खेती करना: बार-बार एक ही जगह पर खेती करने से मिट्टी में कैल्शियम की कमी हो जाती है, क्योंकि पौधे लगातार इसे अवशोषित करते रहते हैं।

कैल्शियम की कमी के लक्षण (Symptoms of calcium deficiency):

  • कैल्शियम की कमी वाले पौधों में कलियाँ मुड़ी हुई होती हैं, और पत्तियों के किनारों के नीचे की ओर मुड़ने तथा टिप्स के लटकने की समस्या होती है।
  • यह स्थिति पौधों के सामान्य विकास को प्रभावित करती है, क्योंकि कैल्शियम कोशिका दीवारों की मजबूती और पत्तियों की संरचना के लिए आवश्यक है।
  • कैल्शियम की कमी से पौधे कमजोर और अस्वस्थ (रोगी) हो जाते हैं।

कैल्शियम की अधिकता के लक्षण (Symptoms of Calcium Toxicity):

  • कैल्शियम की अधिकता से मैग्नीशियम और पोटेशियम का अवशोषण प्रभावित होता है, जिससे पौधों में इनकी कमी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
  • कैल्शियम की अधिकता से नई पत्तियों और टहनियों का विकास रुक जाता है।
  • पत्तियों पर सफेद या पीले रंग के जलने जैसे धब्बे बन जाते हैं।

कैल्शियम की कमी के समाधान (Solutions for Calcium Deficiency)

  • मिट्टी का परीक्षण करें: खेत की मिट्टी का परीक्षण करके उसमें कैल्शियम का स्तर निर्धारित करें। साथ ही, मिट्टी का पीएच स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। नियमित रूप से मिट्टी का परीक्षण करें और आवश्यकता अनुसार चूना मिलाएं।
  • फसल चक्र अपनाएं: फसल चक्र का पालन करें ताकि मिट्टी के पोषक तत्वों का संतुलन बना रहे।
  • हरी खाद का उपयोग करें: मिट्टी की संरचना और नमी को बनाए रखने के लिए हरी खाद, भूसा या अपघटित बुरादा का उपयोग करें, जिससे कैल्शियम की कमी को कम किया जा सकता है।
  • कैल्शियम सहन करने वाली फसलों का चयन करें: ऐसी फसलों का चयन करें जो कैल्शियम की कमी को सहन कर सकें।
  • जैविक पदार्थों का नियमित उपयोग: जैविक पदार्थों का नियमित उपयोग करें ताकि मिट्टी की संरचना और पोषण स्तर ठीक रहे।
  • सिंचाई प्रबंधन: नियमित सिंचाई करें, लेकिन अत्यधिक पानी देने से बचें, क्योंकि यह कैल्शियम की उपलब्धता को प्रभावित कर सकता है।
  • चूना पत्थर (लाइमस्टोन): चूना पत्थर मिट्टी के पीएच को संतुलित करता है और कैल्शियम की कमी को दूर करता है। इसका उपयोग मिट्टी को स्वस्थ बनाने और पौधों के विकास को सुधारने के लिए किया जाता है।
  • डोलोमाइट चूना: डोलोमाइट चूना कैल्शियम के साथ-साथ मैग्नीशियम भी प्रदान करता है, जो पौधों के विकास में सहायक होता है। यह मिट्टी की संरचना को सुधारने में भी मदद करता है।
  • कैल्शियम नाइट्रेट (CaNO3): कैल्शियम नाइट्रेट में 15.5% नाइट्रोजन (N) और 18.5% कैल्शियम (Ca) होता है। इसे 200 लीटर पानी में 500 ग्राम मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें। यह उर्वरक फसलों में जल्दी अवशोषित होता है और नई पत्तियों तथा जड़ों के विकास में सहायक होता है।
  • बोरोन के साथ कैल्शियम नाइट्रेट: इस उर्वरक में नाइट्रोजन (N) 14.5%, कैल्शियम (Ca) 17%, और बोरोन 0.3% होता है। इसे पत्तियों पर छिड़काव के लिए 5 ग्राम/लीटर की दर से उपयोग करें। यह पौधों की वृद्धि और स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है।

फसलों में कैल्शियम की कमी के लिए आप क्या उपाय करते हैं? अपना अनुभव और जवाब हमें कमेंट करके जरूर बताएं, और  इसी तरह फसलों से संबंधित अन्य रोचक जानकारी के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान मित्रों के साथ साझा करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल {Frequently Asked Questions (FAQs)}

Q: खेत में कैल्शियम की पूर्ति कैसे करें?

A: खेत में कैल्शियम की पूर्ति के लिए कैल्शियम युक्त उर्वरकों जैसे कैल्शियम नाइट्रेट और चूना पत्थर का उपयोग करें। जैविक उपायों में अंडे के छिलके और बायो चार का उपयोग किया जा सकता है। मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.5 के बीच रखना जरूरी है, इसके लिए नियमित परीक्षण करें और आवश्यकता अनुसार चूना मिलाना। सिंचाई का ध्यान रखें; अधिक पानी देने से बचें। हरी खाद का उपयोग मिट्टी की संरचना में सुधार करने में मदद करता है।

Q: कैल्शियम के 3 कमी लक्षण क्या है?

A: कैल्शियम की कमी के प्रमुख लक्षण हैं: नई पत्तियों का टेढ़ा-मेढ़ा होना, जहां वे ठीक से नहीं खुलतीं; पत्तियों के किनारों का भूरे पड़ना, जो पहले पीले और फिर भूरे होते हैं; और जड़ों का कमजोर होना, जिससे उनका विकास रुक जाता है। ये लक्षण पौधों की गुणवत्ता और उत्पादकता को प्रभावित करते हैं।

Q: कैल्शियम नाइट्रेट खाद क्या है?

A: कैल्शियम नाइट्रेट एक तेजी से अवशोषित उर्वरक है जिसमें कैल्शियम और नाइट्रोजन दोनों होते हैं। यह पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करता है और नई पत्तियों तथा जड़ों के विकास में सहायक है। इसे सिंचाई या छिड़कवा विधि के माध्यम से इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे पौधों में कैल्शियम की कमी दूर होती है।

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