पोस्ट विवरण
सुने
फल
बागवानी
बेर
कृषि ज्ञान
18 Oct
Follow

थाई एप्पल बेर: जानें खेती का उपयुक्त समय एवं सही तरीका | Thai Apple Ber Cultivation

बेर की अन्य किस्मों की तुलना में थाई एप्पल बेर का आकार बड़ा होता है। यह एक थाईलैंड की किस्म है। हल्के खट्टे-मीठे स्वाद वाले थाई एप्पल बेर दिखने में कच्चे सेब की तरह होता है। फल हल्के हरे रंग के होते हैं। इसमें कई तरह के पोषक तत्व होते हैं। आइए थाई एप्पल बेर की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

थाई एप्पल बेर की खेती कैसे करें | How to Cultivate Thai Apple Ber?

  • थाई एप्पल बेर की खेती के लिए जलवायु: पौधों के बेहतर विकास के लिए 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर फलों को नुकसान पंहुचता है। अच्छी गुणवत्ता के फल प्राप्त करने के लिए वातावरण में 70-80% आर्द्रता की आवश्यकता होती है। फल शुष्क परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील होता है, और कम आर्द्रता के कारण फल सिकुड़ सकते हैं और फट सकते हैं।
  • उपयुक्त मिट्टी: इसकी खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। लेकिन कार्बनिक पदार्थों में समृद्ध दोमट मिट्टी या रेतीली दोमट मिट्टी पौधों के सर्वोत्तम मानी जाती है। मिट्टी की जल धारण क्षमता अच्छी होनी चाहिए। मिट्टी का पीएच स्तर 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। थाई एप्पल बेर के पौधे अम्लीय, क्षारीय एवं लवणता के प्रति संवेदनशील होते हैं और ऐसी मिट्टी में पौधों के विकास में बाधा आती है। इसलिए ऐसी मिट्टी वाले क्षेत्रों में इसकी खेती करने से बचें।
  • पौधों की रोपाई का उपयुक्त समय: भारत में इसकी खेती के लिए वर्षा का मौसम यानी जून से सितंबर तक का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। हालांकि इसकी खेती वर्ष में 2 बार की जाती है। नए पौधों की रोपाई के लिए जुलाई-अगस्त का महीना उपयुक्त है। इसके अलावा फरवरी-मार्च के महीने में भी पौधों की रोपाई की जा सकती है। ठंडा तापमान पौधे की वृद्धि और विकास को प्रभावित कर सकता है, इसलिए ठंड के मौसम में पौधों की रोपाई करने से बचें।
  • खेत की तैयारी: सबसे पहले खेत से खरपतवारों, कंकड़-पत्थरों को बाहर निकालें। इसके बार एक बार करीब 11-12 इंच गहरी जुताई करें। मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। इसके साथ ही आवश्यकता के अनुसार नईट्रोजेन, फॉस्फोरस एवं पोटैशियम का इस्तेमाल करें। इसके बाद हल्की जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी एवं समतल बनाएं। खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
  • रोपाई की विधि: इसकी खेती बीज के द्वारा नहीं की जाती है। मुख्य खेत में पौधों की रोपाई से पहले नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते हैं। जब पौधे करीब 6-8 सप्ताह के हो जाएं और पौधों की ऊंचाई भूमि की सतह से 6-8 इंच लम्बी तो तब पौधों को नर्सरी से निकाल कर मुख्य खेत में रोपाई करें। थाई एप्पल बेर की खेती पौधों की कटिंग लगा कर भी की जा सकती है। पौधों/कटिंग की रोपाई पक्तियों में करें। सभी पक्तियों के बीच  6-8 मीटर की दूरी होनी चाहिए। वहीं पौधों से पौधों के बीच करीब 4-6 मीटर की दूरी रखें।
  • सिंचाई प्रबंधन: पौधों की रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए नियमित रूप से सिंचाई करें। शुष्क मौसम के दौरान पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है। सिंचाई की आवृति मिट्टी के प्रकार, मौसम एवं पौधों की आयु पर निर्भर करती है। पौधों के विकास की अवस्था में हर 2-3 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। सिंचाई के लिए उपयोग किया जाने वाला पानी लवण और अन्य दूषित पदार्थों से मुक्त होना चाहिए।
  • खरपतवार प्रबंधन: बाग में खरपतवारों की समस्या होने से फलों की उपज और गुणवत्ता कम हो सकती है। इसके साथ ही कीटों और रोगों के पनपने का कारण भी बनते हैं। खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए हाथों से निराई-गुड़ाई की जाती है। निराई-गुड़ाई के लिए आप खुरपी, कुदाल जैसे छोटे कृषि यंत्रों का सहारा भी ले सकते हैं। पौधों के चारों तरह मिट्टी की सतह को पुआल, पत्तियों या घास अदि से ढक कर मल्चिंग करें। इसके अलावा बाजार में मिलने वाले प्लास्टिक शीट से भी मल्चिंग कर सकते हैं।
  • रोग एवं कीट नियंत्रण: थाई एप्पल बेर के पौधों में कई तरह के रोगों एवं कीटों का प्रकोप होता है। जिनमें झुलसा रोग, कॉलर रॉट रोग, पाउडरी मिल्ड्यू रोग, लीफ माइनर कीट, लाल मकड़ी, आदि प्रमुख हैं। पौधों को विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचाने के लिए नियमित अंतराल पर फसल का निरीक्षण करें और किसी भी रोग या कीट के प्रकोप का लक्षण नजर आने पर उचित मात्रा में कीटनाशक या फफूंद नाशक दवाओं का प्रयोग करें। समस्या बढ़ने पर कृषि विशेषज्ञ से परामर्श करें।
  • फलों की तुड़ाई: थाई एप्पल बेर के फलों को हाथ से धीरे से घुमा कर सावधानी से तोड़ें। फलों की कटाई के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण फल के प्रकार और पेड़ की ऊंचाई पर निर्भर करते हैं। फल को चोट लगने या नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए उसे सावधानी से संभालना महत्वपूर्ण है। फल को उसके आकार, रंग और गुणवत्ता के आधार पर छांटा और वर्गीकृत किया जाना चाहिए।
  • फलों का भंडारण: कटाई के बाद, फल को उसकी गुणवत्ता और ताजगी बनाए रखने के लिए ठंडी और सूखी जगह पर संग्रहित किया जाना चाहिए। कुछ फलों को खराब होने से बचाने के लिए विशिष्ट भंडारण स्थितियों की आवश्यकता होती है, जैसे कम तापमान या उच्च आर्द्रता।
  • थाई एप्पल बेर की पैदावार: प्रत्येक वृक्ष से करीब 20 वर्षों तक फल प्राप्त किया जा सकता है। शुरुआत में हर वर्ष प्रत्येक वृक्ष से 30 से 50 किलोग्राम तक फलों की पैदावार होती है। कुछ वर्षों बाद पैदावार बढ़ने लगती है। जिससे आगे चल कर प्रत्येक वृक्ष से करीब 100 किलोग्राम तक पैदावार प्राप्त किया जा सकता है।

आप किस किस्म के थाई एप्पल बेर की खेती करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ शेयर करना न भूलें। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र इस जानकारी का लाभ उठाते हुए अनार की खेती के द्वारा अच्छा मुनाफा कमा सकें। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए ‘कृषि ज्ञान’ चैनल को तुरंत फॉलो करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: एप्पल बेर कब लगाए जाते हैं?

A: भारत में, एप्पल बेर आमतौर पर बारिश के मौसम के दौरान लगाए जाते हैं, जो जून से सितंबर तक होता है। रोपण का सही समय स्थान और जलवायु के आधार पर भिन्न हो सकता है।

Q: एप्पल बेर कैसे उगाएं?

A: एप्पल बेर की खेती पौधों की रोपाई के द्वारा की जाती है। इसके अलावा आप पुराने पौधों की कटिंग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। कटिंग लगाने से पहले इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पौधे रोग एवं कीट मुक्त हों। पौधों की रोपाई के तुरंत बाद मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए हल्की सिंचाई करें।

Q: बेर का पेड़ कितने साल में फल देता है?

A: बेर के पेड़ आमतौर पर रोपण के बाद अपने तीसरे या चौथे वर्ष में फल देना शुरू कर देते हैं, हालांकि कुछ किस्मों में अधिक समय लग सकता है। पेड़ के परिपक्व होने पर उत्पादित फल की मात्रा में वृद्धि होगी, जिसमें 8-12 वर्ष की आयु के बीच चरम उत्पादन होगा। उचित देखभाल और रखरखाव, जैसे नियमित छंटाई और निषेचन, स्वस्थ विकास और फल उत्पादन सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं।

7 Likes
1 Comment
Like
Comment
Share
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ