तिल : बेहतर फसल के लिए करें इन किस्मों की खेती

तिल की खेती मुख्य रूप से तेल प्राप्त करने के लिए की जाती है। इसके अलावा बाजार में इसके दानों की भी मांग होती है। इसकी खेती खरीफ एवं जायद मौसम में की जाती है। इसके पौधों में सफेद एवं बैंगनी रंग के फूल खिलते हैं। बात करें इसकी खेती तो बुवाई से पहले इसकी कुछ प्रमुख किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है। आइए तिल की कुछ उन्नत किस्मों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
तिल की मुख्य किस्में
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तिल को रंगों के अनुसार मुख्यतः 3 किस्मों में बांटा गया है। जिनमें काला तिल, सफेद तिल एवं लाल तिल शामिल है।
तिल की कुछ उन्नत किस्में
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आर. टी. 346 : यह किस्म राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं बिहार में खेती के लिए उपयुक्त है। इस किस्म के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। यह किस्म सूखा के प्रति सहनशील है। बीज की बुवाई के बाद फसल को पक कर तैयार होने में करीब 80 दिनों का समय लगता है। इस किस्म के दानो में 50 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 2.8 से 3.6 क्विंटल तक पैदावार होती है।
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टी.सी. 25 : यह जल्दी पक कर तैयार होने वाली किस्मों में शामिल है। इस किस्म के पौधों की लम्बाई करीब 90 सेंटीमीटर होती है। पौधों में 4 से 6 शाखाएं होती हैं। बीज में करीब 48 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है। बुवाई के 90 से 100 दिनों बाद फसल पक कर तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 1.6 से 2 क्विंटल तक पैदावार होती है।
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आर.टी. 46 : इस किस्म के पौधों की लम्बाई 100 से 125 सेंटीमीटर होती है। पौधों में 4 से 6 शाखाएं होती हैं। इस किस्म के दानो में 49 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है। बुवाई के बाद फसल को पकने में 70 से 80 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 2.4 से 3.2 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त किया जा सकता है।
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टी. 13 : इस किस्म के पौधों की लम्बाई 100 से 125 सेंटीमीटर होती है। बुवाई के करीब 1 महीने बाद पौधों में फूल आने शुरू हो जाते हैं। बुवाई के 90 दिनों बाद फसल कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इस किस्म के दानो में 48 से 49 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 2 से 2.8 क्विंटल तक पैदावार होती है।
इन किस्मों के अलावा हमारे देश में तिल की कई अन्य किस्मों की खेती भी प्रमुखता से की जाती है। जिनमें आर. टी. 125, टी 78, आर. टी. 127, गुजरात तिल 4, पंजाब तिल 1, सूर्या, हरियाणा तिल 1, बी 67, सी ओ 1, टी एम वी- 4, वी आर आई 1, तरुण, आदि किस्में शामिल हैं।
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