तम्बाकू : उर्वरक प्रबंधन | तम्बाकू में खाद प्रबंधन | fertilizer management in tobacco |

तम्बाकू की खेती भारत में खरीफ और रबी दोनों मौसम में की जाती है, और यह नकदी फसलों में महत्वपूर्ण स्थान रखती है, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिलता है। तम्बाकू की अच्छी फसल पाने के लिए उर्वरक प्रबंधन की जानकारी होना बहुत जरूरी है। अगर पौधों को सही समय पर और सही मात्रा में खाद एवं उर्वरक नहीं दिए जाते, तो इसका सीधा असर फसलों की उपज और गुणवत्ता पर पड़ता है। इस लेख में, हम तम्बाकू की खेती के लिए उर्वरक प्रबंधन के बारे में जानकारी साझा करेंगे, जिससे किसान अपनी फसल को बेहतर बना सकें।
तंबाकू में उचित खाद एवं उर्वरक प्रबंधन कैसे करें? (How to do proper manure and fertilizer management in tobacco?)
तम्बाकू की खेती में अच्छी उपज और बेहतरीन गुणवत्ता पाने के लिए उचित खाद और उर्वरक प्रबंधन करना बेहद जरूरी है। आपके खेत की आवश्यकता और मिट्टी की उर्वरता के अनुसार उर्वरकों का सही मात्रा में प्रयोग करना चाहिए, ताकि पौधों को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें और उनका विकास सही तरीके से हो सके।
तम्बाकू की नर्सरी में उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management in Tobacco Nursery)
- नर्सरी में पौधों की स्वस्थ वृद्धि और बेहतर विकास के लिए 10 वर्ग मीटर के बेड में 50 ग्राम अमोनियम सल्फेट, 50 ग्राम पोटेशियम सल्फेट, 300 ग्राम सुपर फॉस्फेट और 100 ग्राम डोलोमाइट मिलाना चाहिए।
- यह मिश्रण मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है और पौधों को मजबूत बनाता है। बीज अंकुरण के बाद, पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए 4 दिन के अंतराल पर 25 ग्राम अमोनियम सल्फेट की दो बार टॉप ड्रेसिंग करें।
- यह नाइट्रोजन की आवश्यक मात्रा प्रदान करता है, जिससे पौधों की जड़ों और पत्तियों का तेजी से विकास होता है, और नर्सरी के पौधे स्वस्थ एवं मजबूत बनते हैं।
तम्बाकू के मुख्य खेत में खाद एवं उर्वरक प्रबंधन (Manure and fertilizer management in main tobacco field)
- तम्बाकू की मुख्य फसल में खाद और उर्वरकों का सही मात्रा में प्रयोग पौधों के विकास और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुसार उर्वरकों की मात्रा निर्धारित की जाती है, जिससे पौधों को संतुलित पोषण मिलता है और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है।
- उत्तर भारत के लिए उर्वरक प्रबंधन: उत्तर भारत में तम्बाकू की खेती के लिए प्रति एकड़ 217 किलोग्राम यूरिया, 52 किलोग्राम डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) और 40 किलोग्राम एम.ओ.पी. (म्यूरेट ऑफ पोटाश) का प्रयोग किया जाता है। इस उर्वरक संयोजन से तम्बाकू के पौधों को आवश्यक नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश मिलता है, जिससे पौधों का समुचित विकास होता है और पैदावार अधिक होती है।
- दक्षिण भारत के लिए उर्वरक प्रबंधन: दक्षिण भारत में प्रति एकड़ 108 किलोग्राम यूरिया, 42 किलोग्राम डीएपी और 33 किलोग्राम एम.ओ.पी. का प्रयोग किया जाता है। दक्षिण भारत की जलवायु और मिट्टी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, यहां उर्वरकों की थोड़ी कम मात्रा का प्रयोग किया जाता है, जिससे फसल की बेहतर वृद्धि और उत्पादन सुनिश्चित किया जा सके।
ग्रीन मैन्योर और जैविक खाद का प्रयोग (Green manure and use of organic fertilizers):
- जैविक खाद और ग्रीन मैन्योर का प्रयोग मिट्टी की संरचना को सुधारने और पौधों को आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व उपलब्ध कराने के लिए किया जाता है।
- उत्तर भारत में तम्बाकू की खेती के लिए खेतों में सनहेम्प (सनई) का ग्रीन मैन्योर और 4-5.5 टन प्रति एकड़ एफवाईएम (फार्म यार्ड मैन्योर) या एफ.पी.सी (फार्म यार्ड कम्पोस्ट) का प्रयोग किया जाना चाहिए।
- इससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और पौधों को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं।
- वहीं, दक्षिण भारत में प्रति एकड़ 2 टन एफवाईएम (गोबर की खाद) का प्रयोग किया जाता है, जो मिट्टी की संरचना को सुधारता है और पौधों को आवश्यक पोषण प्रदान करता है।
- जैविक खाद का नियमित प्रयोग तम्बाकू की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है, जिससे बाजार में उसकी कीमत अधिक मिलती है।
क्या आप तम्बाकू की खेती करते हैं, और उसमें क्या खाद एवं उर्वरक देते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: तंबाकू की खेती सबसे अधिक कहाँ होती है?
A: भारत में तंबाकू की खेती मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और बिहार में की जाती है। देश के कुल तंबाकू उत्पादन का लगभग 85% हिस्सा इन्हीं राज्यों से आता है। इन क्षेत्रों में उपयुक्त जलवायु और मिट्टी की उपलब्धता तंबाकू की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है, जिससे किसान उच्च उपज प्राप्त कर सकते हैं।
Q: तंबाकू की बुवाई कब की जाती है?
A: तंबाकू की बुवाई रबी और खरीफ दोनों मौसम में की जाती है। रबी फसल की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच की जाती है, जबकि खरीफ फसल के लिए जून से जुलाई का समय सबसे उपयुक्त होता है। समय पर बुवाई से पौधों की वृद्धि और उपज दोनों में सुधार होता है, इसलिए किसान इन महीनों का विशेष ध्यान रखते हैं।
Q: तंबाकू की खेती के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी होती है?
A: तंबाकू की खेती के लिए दोमट और रेतीली दोमट मिट्टी को सबसे अच्छा माना जाता है। यह मिट्टी जल निकासी की अच्छी क्षमता रखती है और तंबाकू के पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है। तंबाकू की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
Q: तंबाकू की उपज कितनी होती है?
A: तंबाकू की उपज मिट्टी की गुणवत्ता, जलवायु और फसल प्रबंधन तकनीकों पर निर्भर करती है। एक औसत खेत में प्रति एकड़ 4 से 6 क्विंटल तंबाकू का उत्पादन होता है। अच्छी देखभाल और प्रबंधन से यह उत्पादन और भी बेहतर हो सकता है।
Q: तंबाकू की कटाई का सही समय कब होता है?
A: तंबाकू की पत्तियों की कटाई तब की जाती है जब वे पूरी तरह से विकसित हो जाती हैं और उनमें आवश्यक निकोटिन की मात्रा मौजूद होती है। यह समय आमतौर पर 90 से 120 दिनों के बीच आता है, जो तंबाकू की किस्म और फसल की स्थिति पर निर्भर करता है। सही समय पर कटाई से पत्तियों की गुणवत्ता और बाजार में उनकी मांग बढ़ती है।
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