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तरबूज एवं खरबूज की फसल को खर्रा/दहिया रोग से बचाने के सबसे सटीक उपाय
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तरबूज और खरबूज के खर्रा या दहिया रोग को पाउडरी मिल्ड्यू रोग के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग से तरबूज एवं खरबूज के अलावा अन्य फसलों को भी प्रभावित करता है। इनमे मटर, टमाटर, बैंगन, भिंडी, प्याज, खीरा, कद्दू, करेला, नींबू, चना, मूंगफली, मसूर, मक्का, सेम, कपास, ज्वार, आदि शामिल हैं। तेजी से फैलने वाले इस रोग से फसलें बुरी तरह प्रभावित होती हैं। तरबूज एवं खरबूज की फसल को इस घातक रोग से बचाने के तरीके यहां से देखें।
रोग का लक्षण
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इस रोग के लक्षण सबसे पहले पौधों की पत्तियों एवं तने पर नजर आते हैं।
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रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां एवं तने पर सफेद रंग के चूर्ण उभरने लगते हैं।
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प्रभावित पत्तियां पीली हो कर सड़ने लगती हैं।
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पौधों के विकास में बाधा आती है।
नियंत्रण के उपाय
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इस रोग से बचने के लिए प्रति किलोग्राम बीज को 3 ग्राम कार्बेन्डाज़िम 50 डब्लू.पी से उपचारित करें।
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रोग के लक्षण नजर आने पर प्रति एकड़ जमीन में 10 किलोग्राम गंधक के चूर्ण का छिड़काव करें।
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खड़ी फसल में प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर कार्बेन्डाज़िम मिलाकर छिड़काव करें।
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प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम मैंकोज़ेब 72 एम.जेड मिलाकर भी छिड़काव करने से भी इस रोग पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।
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आवश्यकता होने पर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें।
हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई दवाओं का छिड़काव कर आप पाउडरी मिल्ड्यू रोग पर आसानी से नियंत्रण प्राप्त कर सकेंगे। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान भाई/बहन भी यह जानकारी प्राप्त कर के अपनी फसलों को इस घातक रोग से बचा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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