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7 May
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टमाटर : खरपतवारों पर नियंत्रण के सटीक उपाय (Tomato: Perfect solution for weed control)

टमाटर : खरपतवारों पर नियंत्रण के सटीक उपाय (Tomato: Perfect solution for weed control)


टमाटर की खेती में खरपतवार नियंत्रण महत्वपूर्ण है क्योंकि वे पोषक तत्वों, पानी और प्रकाश के लिए टमाटर के पौधों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। इससे पैदावार कम हो सकती है और फल की गुणवत्ता खराब हो सकती है। उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त करने के लिए पौधों को विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचाने के अलावा खरपतवारों पर नियंत्रण करना भी आवश्यक है। खरपतवारों की अधिकता से टमाटर की पैदावार में 30 से 70 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। इसके साथ ही टमाटर की गुणवत्ता पर भी बुरा असर होता है। ऐसे में समय रहते खरपतवारों पर नियंत्रण करना आवश्यक है।

टमाटर में खरपतवारों से होने वाले नुकसान एवं नियंत्रण (Damage and control caused by weeds in tomato)

खरपतवारों से होने वाले नुकसान :

  • खरपतवार पोषक तत्वों और पानी के लिए टमाटर के पौधों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं, जो टमाटर के पौधों की वृद्धि और उपज को कम कर सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप छोटे फल और कम पैदावार हो सकती है।
  • खरपतवार सूर्य के प्रकाश के लिए भी टमाटर की फसल से प्रतिस्पर्धा करते हैं जिसके कारण पौधे अपना भोजन अच्छे से नहीं बना पातें हैं जिससे वह कमजोर हो जाते हैं।
  • खरपतवार कीटों और बीमारियों के लिए मेजबान के रूप में काम करते हैं जो टमाटर के पौधों पर हमला कर सकते हैं। इससे टमाटर की फसल में कीट और रोग के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
  • खरपतवार पौधों को छायांकित करके टमाटर की फसल की गुणवत्ता को कम कर सकते हैं, जिससे वह अच्छे से परिपक्व नहीं होते और वह एक प्रकार की गंध देते हैं। इसके कारण टमाटर के फलों का आकर और बाहरी सौंदर्य भी ख़राब दिखाई पड़ता है।

खरपतवार नियंत्रण के तरीके:

  • निराई : यह खरपतवार नियंत्रण का सबसे पुराना और प्रभावी तरीका है। इसमें हाथ से या कुदाली से नियमित रूप से निराई करें, विशेष रूप से रोपाई के बाद शुरुआती चरणों में। मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए निराई के बाद हल्की सिंचाई करना चाहिए।
  • मल्चिंग : मिट्टी को ढकने के लिए कार्बनिक पदार्थों जैसे सूखी घास, भूरा, चूरा, या पुआल का उपयोग करें या फिर प्लास्टिक मल्चिंग शीट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा करने से मिटटी की नमी बरकरार रहेगी, और मिट्टी के तापमान को भी नियंत्रित करने और खरपतवारों के विकास को कम करने में मदद करती है।
  • कवर क्रॉप : टमाटर के पौधों के बीच फलियां या अनाज वाली फसलों को कवर फसलें के तौर पर उगाएं। कवर फसलें मिट्टी के पोषण को बेहतर बनाने, खरपतवारों को दबाने और मिट्टी के क्षरण को रोकने में भी मदद करती हैं।
  • जुताई : इसके अलावा गहरी जुताई करें। कटाई के बाद, किसान खरपतवारों को हटाने और अगली फसल के लिए मिट्टी तैयार करने के लिए जुताई करें।
  • बीज का चुनाव : उन्नत और प्रतिरक्षात्मक बीज का चयन करें, जो खरपतवारों के खिलाफ प्रतिरक्षा देते हों।
  • प्राकृतिक नियंत्रण : नेमाटोड, कीटाणु, और अन्य फफूंद जनित रोगों के लिए प्राकृतिक नियंत्रण उपायों का उपयोग करें। उदाहरण के लिए, नीम का तेल, नीम की खल, नीम का छालक छान का प्रयोग करें।
  • सबसे पहले, 200 लीटर पानी में 400 मिलीलीटर पेंडीमेथिलीन को अच्छे से मिलाएं ताकि वह अच्छे से विघटित हो जाए उसके बाद बुवाई से पहले, इस मिश्रण को प्रति एकड़ भूमि पर छिड़काव करें। ध्यान रखें दवा के छिड़काव के बाद 24 घंटे तक बुवाई न करें।
  • मेट्रीबुजीन 70% डब्ल्यू.पी. (मेट्रिमैक्स) दवा का छिड़काव 100-400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से करें। यह संकरी और चौड़ी पत्ती वाले दोनों प्रकार के खरपतवारों को नियंत्रित करता है। इसका प्रयोग बुवाई से पहले और बाद दोनों में किया जा सकता है।

खरपतवारनाशक का उपयोग करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • सही मात्रा: फसल को नुकसान न पहुंचे और खरपतवार पूरी तरह से नियंत्रित हों, उतनी ही मात्रा में खरपतवार नाशक का उपयोग करें।
  • समय: खरपतवार नाशक का उपयोग सही समय पर करें, शाम का समय छिड़काव के लिए ज्यादा प्रभावी माना जाता है।
  • एक्सपायरी: एक्सपायरी हुई खरपतवार नाशक का उपयोग न करें।
  • छिड़काव: फ्लैट फेन नोजल या अच्छे छिड़काव वाले पंप का उपयोग करें।
  • नमी: छिड़काव से पहले या बाद में बारिश होने पर जमीन में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
  • अनुकूल परिस्थितियाँ: तेज हवा या बारिश की संभावना न होने पर ही छिड़काव करें।
  • पीछे पीछे: छिड़काव करते समय पीछे पीछे जाएं ताकि किसी भी भूमिगत फसल को नुकसान न हो।
  • अन्य फसलों का ध्यान रखें: आसपास की फसलों को नुकसान न पहुंचे।
  • हुड का उपयोग: फसल को खतरे से बचाने के लिए हुड का उपयोग करें।
  • सिफारिश का पालन करें: परिस्थिति के अनुसार सिफारिश के अनुसार खरपतवार नाशक का उपयोग करें और बार-बार उपयोग से बचें।
  • वर्मीकंपोस्ट और गोबरखाद: खरपतवार नाशक छिड़काव वाली जमीन में वर्मीकंपोस्ट और गोबरखाद का उपयोग करें।
  • चिपको का उपयोग: दवा के साथ चिपको का उपयोग करें ताकि दवा आसानी से पूरे पौधे तक पहुंचे और जल्दी असर दिखाए।

आप टमाटर की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए क्या जुगाड़ करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'खरपतवार जुगाड़' चैनल को अभी फॉलो करें। अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: टमाटर बोने का सही समय क्या है?

A: भारत में, टमाटर लगाने का सही समय क्षेत्र और जलवायु पर निर्भर करता है। आमतौर पर, टमाटर के बीज जून से जुलाई के महीनों के दौरान नर्सरी में बोए जाते हैं, और 25-30 दिनों के बाद रोपाई को मुख्य खेत में प्रत्यारोपित किया जाता है। हालांकि, विशिष्ट स्थान और मौसम की स्थिति के आधार पर सटीक समय भिन्न हो सकता है।

Q: टमाटर में लगने वाले रोग कौन से हैं?

A: टमाटर की फसल कई तरह की बीमारियों के लिए संवेदनशील हैं। टमाटर को प्रभावित करने वाले रोग जैसे - अर्ली ब्लाइट, लेट ब्लाइट, बैक्टीरियल मुरझाना, फ्यूजेरियम विल्ट, वर्टिसिलियम विल्ट, टमाटर मोज़ेक वायरस, पाउडर फफूंदी आदि हैं।

Q: टमाटर में खरपतवार कैसे नियंत्रित करें?

A: टमाटर की फसलों में खरपतवारों को नियंत्रित करने के कई तरीके हैं, जिनमें शामिल हैं: जुताई, मल्चिंग, हाथ से निराई, फसल चक्र, शाकनाशी का छिड़काव इन सभी तरीकों से खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है।

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