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टमाटर की फसल को फफूंद जनित रोगों से बचाने के सटीक उपाय
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टमाटर की फसल में कई तरह के फफूंद जनित रोग होने का खतरा बना रहता है। फफूंद जनित रोगों के कारण टमाटर की पैदावार में भारी कमी आती है। परिणामस्वरूप किसानों को मुनाफे की जगह नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में टमाटर की फसल में लगने वाले फफूंद जनित रोगों के लक्षण एवं बचाव के उपाय की जानकारी होना आवश्यक है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम टमाटर की फसल में लगने वाले फफूंद जनित रोगों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
रोग के लक्षण
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फफूंद जनित रोग होने पर पौधों की पत्तियों पर छोटे-छोटे धब्बे उभरने लगते हैं।
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यह धब्बे काले रंग के होते हैं।
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रोग बढ़ने के के साथ पौधों के विकास में बाधा आती है।
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प्रभावित पौधों में फूल एवं फल नहीं आते हैं।
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यदि फूल-फल आ भी गए तो समय से पहले गिरने लगते हैं एवं उनके आकार विकृत हो जाता है।
नियंत्रण के तरीके
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बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम केप्टान 75 डब्लू.पी से उपचारित करें।
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टमाटर के पौधों में फफूंद जनित रोगों पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 30 ग्राम रिडोमिल गोल्ड (मेटैलेक्सिल + मैनकोज़ेब) एवं 5 मिलीलीटर एक्टिवेट (स्टिकर) मिलाकर छिड़काव करें।
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आवश्यकता होने पर 10 दिनों के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें।
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हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र इस जानकारी का लाभ उठाते हुए टमाटर के पौधों को फफूंद जनित रोगों से बचा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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