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12 Sep
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टमाटर में वायरस रोग का लक्षण और प्रबंधन (Symptoms and management of virus diseases in tomato)


टमाटर की फसल में बीज बोने से लेकर फल बनने तक कई वायरस जनित रोग लग सकते हैं, जो फसल को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। समय पर इन रोगों का नियंत्रण न किया जाए तो पैदावार में काफी कमी आ सकती है। इस आर्टिकल में हम आपको टमाटर की फसल में लगने वाले प्रमुख वायरस और उनके नियंत्रण के बारे में जानकारी देंगे।

टमाटर की फसल में कौन से रोग वायरस द्वारा होते हैं? (Which tomato diseases are caused by viruses?)

टमाटर लीफ कर्ल वायरस (Tomato Leaf Curl Virus):

  • सफेद मक्खी इस वायरस को एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलाने का मुख्य कारण है। यह कीट संक्रमित पौधों से वायरस को चूसकर स्वस्थ पौधों में स्थानांतरित कर देती है।
  • संक्रमित पौध सामग्री जैसे टहनी या बीज भी इस रोग के प्रसार का कारण बन सकते हैं।
  • संक्रमित पौधों की पत्तियां किनारों से मुड़ने लगती है और सिकुड़ जाती हैं। यह मुड़ाव पौधे की ऊपरी पत्तियों पर अधिक दिखाई देता है।
  • यह रोपाई के 40 से 50 दिन में दिखाई पड़ता है, और फलों की तुड़ाई तक इसका प्रकोप दिखाई दे सकता है।
  • पत्तियों का रंग हरे से पीले में बदलने लगता है, विशेषकर नसों (लीफ वैन) के बीच का हिस्सा। यह वायरस का एक प्रमुख लक्षण है।
  • वायरस से प्रभावित पत्तियों की शिराएं गाढ़ी और हरी हो जाती हैं, जो पौधे में असामान्य विकास का संकेत देती हैं।
  • संक्रमित पौधों की सामान्य वृद्धि रुक जाती है, जिससे पौधे छोटे रह जाते हैं और उनका विकास ठीक से नहीं हो पाता।
  • रोग के कारण पौधों के फूल और फल समय से पहले गिरने लगते हैं, जिससे टमाटर के उत्पादन में भारी कमी होती है।
  • संक्रमित पौधों से उत्पन्न टमाटर विकृत, छोटे और अकार्बनिक होते हैं, जिससे उनकी गुणवत्ता खराब हो जाती है।
  • लीफ कर्ल वायरस से प्रभावित पौधों का उत्पादन काफी कम हो जाता है। फलों का आकार छोटा और विकृत हो जाता है, जिससे उनकी गुणवत्ता गिर जाती है।

नियंत्रण:

  • टमाटर की उन किस्मों का चयन करें जो लीफ कर्ल वायरस के प्रति प्रतिरोधी हों। इससे रोग के फैलाव को रोका जा सकता है।
  • सफेद मक्खियों के प्राकृतिक शत्रुओं जैसे कि लेडीबग (Ladybugs) और परजीवी ततैया (Parasitic Wasps) का उपयोग सफेद मक्खियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है।
  • नीम तेल (Neem Oil) का 250 मिली प्रति एकड़ छिड़काव करने से सफेद मक्खियों की संख्या कम होती है और वायरस का प्रसार नियंत्रित किया जा सकता है।
  • 4 से 6 स्टिकी ट्रैप प्रति एकड़ खेत के अनुसार उपयोग करें, जिससे सफेद मक्खी का नियंत्रण किया जा सकता है।
  • संक्रमित पौधों को तुरंत खेत से हटा देना चाहिए और फसल के अवशेषों को जलाकर नष्ट कर देना चाहिए। इससे रोग का फैलाव कम किया जा सकता है।
  • डायफेंथियूरोन 50% WP (धानुका पेजर,  इंडोफिल बेमिरोन) कीटनाशक दवा को 240 ग्राम एक एकड़ खेत में छिड़काव करने से रोग को आने से नियंत्रित किया जा सकता है।
  • थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्बडासीहैलोथ्रिन 9.5% जेड.सी. (देहात एन्टोकिल, सिंजेंटा अलिका) दवा को 50 से 80 एम.एल. प्रति एकड़ खेत पर छिड़काव करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.80% SL (धानुका मीडिया, बायर कॉन्फीडोर) दवा को 60 से 80 एम.एल. प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
  • इंडोक्साकार्ब 10.0% + थियामेथोक्सम 10.0% WG कीटनाशक को 300  ग्राम प्रति एकड़ खेत  इस्तेमाल करें।

मोजेक वायरस रोग (Mosaic Virus):

  • मोजेक वायरस टमाटर की एक प्रमुख बीमारी है जो बीज जनित होती है और दूषित उपकरणों, बर्तनों या पौधों में चोट लगने से फैलती है।
  • यह रोग पौधों की पत्तियों को विकृत कर देता है जिससे टमाटर की पैदावार में भारी गिरावट आती है।
  • पत्तियों पर हल्के या गहरे हरे रंग की चित्तियां (धब्बे) दिखाई देती हैं।
  • पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं और उनका आकार छोटा हो जाता है।
  • पौधों का विकास रुक जाता है, पत्तियां विकृत हो जाती हैं।

नियंत्रण:

  • रोग मुक्त और उपचारित बीजों का उपयोग करें। यानी रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
  • संक्रमित पौधों को तुरंत हटाकर नष्ट करें।
  • प्रारंभिक अवस्था में प्रति लीटर पानी में 2-3 मिलीलीटर नीम का तेल मिलाकर छिड़काव करें।
  • टमाटर के बीजों को बुवाई से पहले उपचारित करना जरूरी है उसके लिए थीरम + कार्बोफ्यूरान (धानुका वीटावैक्स पावर) 2 ग्राम दवा से करें।

धब्बेदार उकठा रोग (spotted wilt virus):

  • पत्तियों और पके फलों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे नजर आते हैं।
  • कच्चे फलों पर हल्के हरे रंग के धब्बे दिखते हैं।
  • रोग के बढ़ने पर धब्बों का आकार बढ़ता जाता है।
  • पौधों का विकास रुक जाता है और पौधे कमजोर हो जाते हैं।
  • यह रोग पौधे के ऊपरी भाग से नीचे की ओर फैलता है।
  • यह ज्यादातर थ्रिप्स कीट के कारण फैलता है।

नियंत्रण:

  • पौध रोपण से 15 दिन पहले खेत में मक्का, ज्वार, या बाजरा की 2 पंक्तियां लगाएं। ये कवर फसलें वायरस के फैलाव को कम करने में मदद करती हैं।
  • हर दो साल में फसल चक्र अपनाएं ताकि मिट्टी की सेहत अच्छी बनी रहे और वायरस के संक्रमण का खतरा कम हो सके।
  • बुवाई के लिए वायरस प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें, जो टमाटर की फसल को सुरक्षित रखने में सहायक होती हैं।
  • खेत को साफ रखें, संक्रमित पौधों और खरपतवारों को तुरंत निकालकर नष्ट करें ताकि वायरस फैल न सके।
  • चूसक कीटों को नियंत्रित करने के लिए थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्बडासीहैलोथ्रिन 9.5% जेड सी (देहात एन्टोकिल, सिंजेंटा अलिका) दवा को 50 से 80 एम.एल. प्रति एकड़ खेत पर छिड़काव करें।
  • फ्लक्समेटामाइड 10% ईसी (गोदरेज ग्रासिया,  शिनवा) दवा को 160 एमएल प्रति एकड़ इस्तेमाल करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 70% डब्लूजी (एड-फ़ायर, बायर एडमायर) कीटनाशक को 20 ग्राम प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें।

क्या आप भी टमाटर में वायरस रोगों से परेशान हैं और आप इसके लिए क्या उपाय अपनाते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: 1 एकड़ में टमाटर का उत्पादन कितना होता है?

A: 1 एकड़ में टमाटर का उत्पादन कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे टमाटर की किस्म, मिट्टी की गुणवत्ता, जलवायु और प्रबंधन की विधियां। औसतन 1 एकड़ में 15 से 20 टन तक टमाटर का उत्पादन हो सकता है। अगर अच्छी किस्म और सही प्रबंधन का उपयोग किया जाए तो यह उत्पादन और भी बढ़ सकता है।

Q: टमाटर बोने का सही समय क्या है?

A: टमाटर बोने का सही समय क्षेत्र की जलवायु पर निर्भर करता है। सामान्यतः: टमाटर के बीज जून से जुलाई के महीनों में नर्सरी में बोए जाते हैं, और 25-30 दिन बाद पौधों को मुख्य खेत में प्रत्यारोपित किया जाता है। ठंडे क्षेत्रों में, टमाटर की बुवाई फरवरी-मार्च में भी की जा सकती है। सही समय पर बुवाई करने से पौधों की अच्छी वृद्धि और उत्पादन संभव होता है।

Q: टमाटर के प्रमुख रोग कौन से हैं?

A: टमाटर की फसल में कई रोग होते हैं, जिनमें पछेती झुलसा (लेट ब्लाइट), अगेती झुलसा (अर्ली ब्लाइट) और विल्ट प्रमुख हैं। पछेती झुलसा रोग टमाटर के पौधों को भारी नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा, बैक्टीरियल विल्ट और फफूंद जनित रोग भी टमाटर के पौधों को प्रभावित कर सकते हैं।

Q: टमाटर के पौधे क्यों मर जाते हैं?

A: टमाटर के पौधों के मरने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। प्रमुख कारणों में विल्ट रोग, जड़ सड़न, पोषक तत्वों की कमी और अनियमित जल प्रबंधन शामिल हैं। इसके अलावा, फसल पर कीटों का प्रकोप भी पौधों की मृत्यु का कारण बन सकता है।

Q: टमाटर सड़ने का कारण क्या है?

A: टमाटर के फलों में सड़न का मुख्य कारण ब्लॉसम एंड रॉट होता है। यह समस्या तब होती है जब पौधों को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम नहीं मिलता या सिंचाई की अनियमितता होती है।

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