टमाटर की फसल में फल सड़न रोग से बचाव के उपाय
टमाटर की फसल में पत्ती सिकुड़न रोग, आर्द्रपतन रोग, झुलसा रोग, फल सड़न रोग आदि का प्रकोप बना रहता है। इस पोस्ट के माध्यम से हम टमाटर की फसल में फल सड़न रोग के लक्षण एवं बचाव के उपाय जानेंगे।
रोग का कारण
-
खेत में जल जमाव होना इस रोग का मुख्य कारण है।
-
इसके साथ ही यदि फल मिट्टी के संपर्क में आते हैं तब भी फलों में सड़ने की समस्या बढ़ जाती है।
-
लगातार बारिश, ठंडे एवं नमी युक्त वातावरण में इसका प्रभाव ज्यादा होता है।
फल सड़न रोग के लक्षण
-
इस रोग का प्रकोप खरीफ मौसम में अधिक होता है।
-
इस रोग से पके हुए फल अधिक प्रभावित होते हैं।
-
रोग की शुरुआत में फल की निचली सतह सड़ने लगती है।
-
सड़े हुए भाग पर गोल छल्ले दिखने लगते हैं।
-
रोग का प्रकोप बढ़ने पर सड़े हुए भाग में दरारें पड़ने लगती हैं।
बचाव के उपाय
-
इस रोग से बचने के लिए खेत में जल जमाव ना होने दें। खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें व असीमित सिंचाई से बचें।
-
खेत में काम करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पौधे क्षतिग्रस्त न हों।
-
फलों को मिट्टी के संपर्क में आने से बचाने के लिए पौधों को लकड़ी से बांध कर ऊपर उठाएं।
-
खेत में अधिक नमी होने पर फसल में कार्य करने से बचें।
-
फल सड़न रोग को फैलने से रोकने के लिए रोग से प्रभावित फलों को पौधों से अलग करके नष्ट कर दें।
-
इस रोग से बचने के लिए प्रति एकड़ खेत में 2 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा मिलाएं।
अगर आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के द्वारा पूछ सकते हैं।
जारी रखने के लिए कृपया लॉगिन करें

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ
