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तुलसी की खेती के लिए आवश्यक जानकारियां
तुलसी की खेती के लिए आवश्यक जानकारियां
तुलसी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। तुलसी की पत्तियों का सेवन करने से खांसी, जुकाम, बुखार आदि रोगों में राहत मिलती है। इससे कई आयुर्वेदिक दवाएं तैयार की जाती हैं। आयुर्वेदिक दवाओं की बढ़ती मांग के कारण कई बड़ी फार्मा कंपनियां तुलसी की अनुबंध खेती (कान्ट्रेक्ट फार्मिंग) करा रही हैं। बात करें किसानों के मुनाफे की तो तुलसी की व्यावसायिक खेती करने वाले किसान कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। तुलसी के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यक नहीं होती है और पौधों में कीटों का प्रकोप भी बहुत कम होता है। इसलिए इसकी खेती में लागत कम होती है। तुलसी की खेती से पहले इससे जुड़ी कुछ आवश्यक जानकारियां होना जरूरी है। यदि आप तुलसी की खेती करना चाहते हैं तो इससे जुड़ी जानकारियां यहां से प्राप्त करें।
क्या है बीज की सही मात्रा?
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प्रति एकड़ भूमि में खेती करने के लिए 80 से 120 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
कब करें बीज की बुवाई?
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बीज की बुवाई के लिए अप्रैल-मई का महीना सबसे उपयुक्त है।
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बुवाई के बाद 1 से 2 सप्ताह में बीज अंकुरित होने लगते हैं।
कब करें पौधों की रोपाई?
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वर्षा का मौसम पौधों की वृद्धि के लिए सर्वोत्तम है।
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नर्सरी में तैयार किए गए पौधों की जून-जुलाई महीने में मुख्य खेत में रोपाई करें।
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इसके अलावा अक्टूबर-नवंबर महीने में भी पौधों की रोपाई कर सकते हैं।
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पौधों की रोपाई लाइन में करें। सभी लाइनों के बीच 60 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
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पौधों से पौधों के बीच 30 सेंटीमीटर दूरी होनी चाहिए।
कितनी मात्रा में करें खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग?
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तुलसी में कई औषधीय गुण होते हैं। उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त करने के लिए रासायनिक खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करने से बचें।
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उर्वरकों की आवश्यकता हो तो जैविक उर्वरकों का प्रयोग करें।
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प्रति एकड़ खेत में 10 से 15 टन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या 5 टन कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करें।
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अधिक गर्म मौसम एवं अधिक ठंड के मौसम में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
कब करें सिंचाई?
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गर्मी के मौसम में 1 महीने में 2 से 3 बार सिंचाई करें।
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वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
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ठंड के मौसम में आवश्यकता होने पर ही सिंचाई करें।
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फसलों की कटाई से 10 दिन पहले सिंचाई का कार्य बंद कर दें।
कब करें तुलसी की कटाई?
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पौधों की रोपाई के 3 महीने बाद पहली कटाई की जा सकती है।
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यदि आप तुलसी की खेती तेल निकालने के लिए कर रहे हैं तो पौधों के ऊपरी हिस्सों यानी ऊपर से 25 से 30 सेंटीमीटर की कटाई करें।
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पौधों में फूल आने के बाद तेल की मात्रा कम हो जाती है। इसलिए कटाई में देर न करें।
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