उर्वरक में मौजूद तत्व, उर्वरक के फायदे एवं नुकसान
उर्वरक का प्रयोग फसलों की पैदावार बढ़ने के लिए किया जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया में उर्वरकों का प्रयोग करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। उर्वरक पानी में जल्दी घुलते हैं और पौधों में पोषक तत्वों की कमी को पूरी करते हैं। तो चलिए जानते हैं उर्वरक के प्रयोग के लाभ एवं हानि।
उर्वरक के फायदे
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उचित समय पर सही मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग से पेड-पौधों की वृद्धि होती है।
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संतुलित उर्वरक प्रबंधन फसलों की पैदावार बढ़ोतरी के सभी कारकों को प्रभावित करती है।
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उच्च गुणवत्ता की फसल की उपज होती है।
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पोषक तत्वों की कमी पूरी होती है।
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संतुलित उर्वरक प्रबंधन पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करता है।
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पौधों की जड़ों की विकास मे सहायता प्रदान करते है। फूल और फलो की संख्या मे बढ़ोतरी करते हैं।
उर्वरक के नुकसान
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उर्वरक लंबे समय तक जमीन की सतह पर नहीं रहते।
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सिंचाई के बाद यह जल में मिल कर जमीन के नीचे चले जाते हैं। जिस कारण पौधों को पोषक तत्व नहीं मिल पाता है।
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उर्वरक मिट्टी में मौजूद जीवाणुओं और सुक्ष्मजीवों के लिए भी घातक साबित होते हैं।
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उर्वरक के अधिक प्रयोग से मिट्टी में हानिकारक रसायनों की मात्रा बढ़ने लगती है।
उर्वरक के मुख्य तत्व
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उर्वरक के लिए मुख्य रूप से तीन तत्वों का प्रयोग किया जाता है - नत्रजन (नाइट्रोजन), फॉस्फोरस और पोटैशियम।
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मुख्य तत्वों के अलावा कैल्शियम, सल्फर और मैग्नीशियम का भी प्रयोग किया जाता है।
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सूक्ष्म पोषक तत्वों को भी उर्वरक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। जिनमे मैगनीज, आयरन, जिंक, कॉपर, बोरोन , क्लोरीन आदि शामिल हैं।
प्रमुख रासायनिक उर्वरक
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यूरिया
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डाई अमोनियम फास्फेट
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सुपर फास्फेट
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जिंक सल्फेट
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पोटाश खाद
रासायनिक उर्वरक का विकल्प
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अधिक समय तक रासायनिक उर्वरक के प्रयोग के कई दुष्प्रभाव होते हैं। इससे बचने के लिए जैविक खाद का प्रयोग करना बेहतर होता है। जैविक खाद से पौधों और खेत की मिट्टी को हानि भी नहीं होती है और फसलों की पैदावार भी अच्छी होती है।
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