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उर्वरकों के प्रयोग से बढ़ाएं अरंडी की पैदावार

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति वर्ष 10,00,000 मीट्रिक टन अरंडी का उत्पादन किया जाता है। तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा और राजस्थान में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इसकी बुवाई सामान्यतः जून-जुलाई महीने में की जाती है। अरंडी की फसल को अधिक मात्रा में खाद एवं उर्वरकों की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन फसल में प्रचुर मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग कर के हम इसकी बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

अरंडी की बेहतर पैदावार के लिए इस तरह करें उर्वरकों का प्रयोग

  • खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 4 टन जैविक खाद मिलाएं।

  • बुवाई के समय प्रति एकड़ खेत में 15 किलोग्राम एम.ओ.पी, 32 किलोग्राम यूरिया एवं 39 किलोग्राम डी.ए.पी का प्रयोग करें।

  • बुवाई के समय यूरिया की आधी मात्रा एवं डी.ए.पी की पूरी मात्रा खेत में मिलाएं।

  • बचे हुए यूरिया को फसल की बुवाई के करीब 30 दिनों बाद सिंचाई के समय प्रयोग करें।

  • सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं होने की स्थिति में बुवाई से पहले यूरिया की पूरी मात्रा का प्रयोग करें।

  • खेत की आखिरी जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 12 किलोग्राम सल्फर का प्रयोग करें।

  • वहीं सिंचित क्षेत्रों में बुवाई के समय प्रति एकड़ खेत में 10 किलोग्राम ज़िंक सल्फेट का प्रयोग करें।

आप अपनी फसल में जैविक उर्वरक एवं रासायनिक उर्वरक में किसका प्रयोग करते हैं? अपने विचार एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इसके साथ ही कृषि संबंधी किसी भी समस्या के समाधान के लिए हमारे टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर संपर्क करें। यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी हो तो इस पोस्ट को लाइक एवं शेयर करना न भूलें।

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