विभिन्न फसलों में जिंक के प्रयोग के फायदे

पौधों के लिए 16 आवश्यक पोषक तत्वों में से एक है जिंक। यह पौधों के लिए बहुत जरूरी है। इसकी कमी होने पर पौधों की वृद्धि में बाधा आती है। खेत की मिट्टी में इसकी पूर्ति के लिए जिंक युक्त खाद का प्रयोग करना चाहिए। तो आइए जानते हैं विभिन्न फसलों में जिंक प्रयोग करने के फायदे एवं इसकी पूर्ति के तरीके।
क्या हैं जिंक के फायदे?
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दलहन फसलों में जिंक के प्रयोग से पौधों में प्रोटीन संचय करने की क्षमता बढ़ जाती है।
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जिंक पौधों में क्लोरोफिल के निर्माण में सहायक होता है।
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पौधों में नाइट्रोजन को पचने की क्षमता को बढ़ाता है।
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यह विभिन्न फसलों में प्रकाश को ग्रहण करने में सहायक है।
फसलों में जिंक की कमी के क्या हैं लक्षण?
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जिंक की कमी से पौधों का विकास रुक जाता है।
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पत्तियां मुड़ने लगती हैं।
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धान की फसल में जिंक की कमी के कारण खैरा रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
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आम, नींबू, लीची, आदि में इसकी कमी होने पर पत्तियां छोटी रह जाती हैं।
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सेब एवं आड़ू में जिंक की कमी के कारण रोजेट रोग होने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
कैसे करें जिंक की आपूर्ति?
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पौधों में जिंक की कमी के लक्षण नजर आने पर 30 लीटर पानी में 10 ग्राम देहात एजी वाइटल मिला कर छिड़काव करें। इसके प्रयोग से जिंक के साथ बोरोन, मॉलीबेड़नुम, आयरन, मैंगनीज, कॉपर की भी पूर्ति होती है।
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खेत तैयार करते समय गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद, आदि मिलाने से भी जिंक की कमी पूरी की जा सकती है।
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इसके अलावा खेत तैयार करते समय या जिंक की कमी लक्षण नजर आने पर जिंक सल्फेट, जिंक फॉस्फेट, जिंक कार्बोनेट का छिड़काव कर सकते हैं।
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