विषैले दूध से भरा मदार है औषधीय गुणों का भंडार, जानें इसकी प्रजातियां

मदार को विभिन्न क्षेत्रों में मंदार, अकवन, आक, अर्क एवं अकौआ के नाम से भी जाना जाता है। इसके पौधे छोटे एवं फैले हुए होते हैं। इसकी पत्तियां मोटी एवं हरे रंग की होती हैं। पत्तियों पर सफेद रंग के आभा होती है। मदार के फूल गुच्छों में खिलते हैं। इसकी पत्तियों एवं शाखाओं को तोड़ने पर अंदर से दूध निकलता है। यह दूध बहुत विषैला होता है। आइए मंदार की प्रजातियों एवं इसके औषधीय गुणों की विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
मदार की प्रजातियां
मदार की मुख्यतः 3 प्रजातियां होती हैं। जिनमें रक्तार्क, श्वेतार्क एवं राजार्क शामिल है।
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रक्तार्क : इस किस्म के पौधों के फूलों का रंग बाहर से सफेद एवं अंदर से लाल एवं बैंगनी रंग का होता है। फूल छोटे एवं गोल आकार के होते हैं। इस किस्म में दूध की मात्रा कम होती है।
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श्वेतार्क : इस किस्म के फूलों का आकार रक्तार्क के फूलों से बड़ा होता है। फूल हल्की पीली आभा वाले सफेद रंग के होते हैं। इस किस्म के पौधों में दूध अधिक होता है। मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों पर इस किस्म को प्रमुखता से लगाया जाता है।
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राजार्क : इस किस्म के पौधों में केवल 1 ही टहनी होती है। जिस पर केवल 4 पत्ते होते हैं। इसके फूल चांदी की तरह चमकीले होते हैं। यह मदार की सबसे दुर्लभ प्रजाति है।
मदार के औषधीय गुण
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विषैले दूध से भरे होने के बावजूद चिकित्सा में मदार का उपयोग किया जाता है।
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इसके रस से माइग्रेन, कान का दर्द, बहरापन, आदि में आराम मिलता है।
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इसके पत्ते सूजन कम करने में सहायक हैं।
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इसके दूध से बवासीर कम होता है।
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मदार मूंह का लकवा सही करने में भी लाभदायक है।
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