वर्षा के मौसम में बढ़ रहा इन रोगों का प्रकोप, पशु चिकित्सक से जानें लक्षण एवं नियंत्रण के तरीके | Diseases in Rainy Season in Animals: Their Symptoms and Method of Control

वर्षा का मौसम अपने साथ हरियाली, वातावरण में नमी के साथ कई रोगों को भी ले कर आता है। जिस तरह वर्षा के मौसम में हम सर्दी, जुकाम, बुखार, जैसे रोगों की चपेट में आते हैं, वैसे ही पशु भी लंगड़ा बुखार, गलघोटूं रोग, खुरपका-मुंहपका, आदि रोगों से जल्दी प्रभावित होते हैं। पशुओं को होने वाले कुछ रोग संक्रामक भी होते हैं, जो इस मौसम में बहुत तेजी से फैलते हैं। सही समय पर उपचार नहीं करने पर पशु पालकों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ना है। हालांकि, शुरुआती लक्षणों पर ध्यान दे कर हम पशुओं को कई रोगों से बचा सकते हैं। लेकिन, इसके लिए हमें रोगों के लक्षणों की जानकारी होना बहुत जरूरी है। वर्षा के मौसम में बछड़े/बछिया एवं व्यस्क पशुओं में होने वाले कुछ प्रमुख रोगों के लक्षण और इससे बचाव की जानकारी के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।
वर्षा के मौसम में बछड़े/बछिया एवं व्यस्क पशुओं में होने वाले रोग | Diseases in Calves and Adult Cattle During the Monsoon Season
बरसात के मौसम के दौरान, बढ़ी हुई आर्द्रता और नमी के स्तर के कारण बछड़े/बछिया एवं व्यस्क पशु विभिन्न रोगों के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं।
- लंगड़ा बुखार: देश के विभिन्न क्षेत्रों में इस रोग को लंगड़िया रोग, जहरवाद, एकटंगा रोग, आदि नाम से जाना जाता है। क्लोस्ट्रीडियम चैवाई नामक जीवाणु के कारण होने वाले इस रोग की मृत्यु दर 80 से 100 प्रतिशत है। इस रोग से 6 माह से 2 वर्ष तक के पशु अधिक प्रभावित होते हैं। इस रोग से प्रभावित पशुओं में तेज बुखार, लाल आंखें, आहार में कमी, जुगाली बंद करना, जैसे शुरूआती लक्षण नजर आते हैं। कुछ समय बाद पशुओं के पुट्ठे, जांघ (पैर के ऊपरी भाग) एवं गर्दन पर सूजन होने लगती है। सूजन वाले भाग को दबाने पर चर-चर की आवाज भी आती है। प्रभावित पशु अचानक लंगड़ा कर चलने लगते हैं। समय रहते इलाज नहीं मिलने पर पशुओं की मृत्यु भी हो सकती है।
- खुरपका-मुंहपका रोग: यह रोग एफथोबायरस कुल के विषाणु के कारण होता है। इस रोग से सभी आयु के गाय एवं भैंस प्रभावित होते हैं। इस रोग के होने पर पशुओं को तेज बुखार होता है। पशुओं के पैरों में सूजन एवं मुंह से लार निकलने लगता है। मसूड़े, जीभ एवं खुरों के बीच में छोटे-छोटे दाने उभरने लगते हैं, जो बाद में जख्म का रूप ले लेते हैं। इस रोग से प्रभावित पशुओं में गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है।
- बोवाइन रेस्पिरेटरी डिजीज (बीआरडी): बीआरडी एक आम सांस की बीमारी है जो बछड़ों और बछिया सहित युवा पशुओं को भी प्रभावित करता है। यह रोग बैक्टीरिया और वायरस के संयोजन के कारण होता है। इस रोग से संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने वाले पशु भी प्रभावित हो सकते हैं। इस रोग से प्रभावित पशुओं में लक्षणों के तौर पर खांसी, बुखार और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं देखी जा सकती हैं।
- परजीवी संक्रमण: बरसात के मौसम में टिक्स, जूं और चिंचड़ी जैसे परजीवी आम हैं और बछड़ों और बछिया में विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। इन कीटों के लक्षणों में वजन घटना, खून की कमी होना, चिड़चिड़ापन, स्वास्थ्य खराब होना, आदि शामिल है।
वर्षा के मौसम में पशुओं को विभिन्न रोगों से बचाने के तरीके | Protecting Livestock from Various Diseases During the Rainy Season
- पशु चिकित्सकों के अनुसार पशुओं को इन रोगों से बचाने के लिए सही समय पर टीकाकरण कराएं।
- खुरपका-मुंहपका रोग से बचाने के लिए 6 माह से ऊपर के स्वस्थ पशुओं को वर्ष में 2 बार टीकाकरण कराएं।
- लंगड़ा बुखार वर्षा ऋतु शुरू होने से पहले पशुओं को टीका लगवाएं।
- लंगड़ा बुखार से हुए सूजन वाले भाग पर चीरा लगा दें। इससे जीवाणु हवा की संपर्क में आ कर नष्ट हो जाएंगे।
- इसके साथ ही इन रोगों को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें।
- खुरपका से पीड़ित पशुओं के पैरों को कॉपर सल्फेट की घोल से साफ करें।
- पशुओं के मुंह से निकलने वाले लार एवं उनके पैरों की संपर्क में आने वाले पुवाल, भूसी, आदि को जला कर नष्ट कर दें।
- जूं और चिचड़ से राहत दिलाने के लिए 7 दिनों के अंतराल पर पशुओं के शरीर पर 2 बार आयोडीन लगाएं।
- पशुओं को जूं और किलनी से निजात दिलाने के लिए सप्ताह में 2 बार पशुओं के शरीर पर लहसुन का पाउडर लगाएं।
- पशुओं के लिए ताजे आहार एवं स्वच्छ पानी की व्यवस्था करें।
- पशुओं को कीचड़ वाले स्थान में जाने से बचाएं।
- पशु आवास को सूखा रखें और पशु आवास की फर्श को किसी कीटाणु नाशक दवा से साफ करें।
- किसी भी रोग के लक्षण नजर आने पर तुरंत पशु चिकित्सक के द्वारा उनके स्वास्थ्य की जांच कराएं।
वर्षा के मौसम में पशुओं को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए आप क्या तरीका अपनाते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। पशुओं के स्वास्थ्य एवं उनके आहार से जुड़ी अधिक जानकारियों के लिए ‘पशु ज्ञान’ चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट में दी गई जानकारी को अधिक से अधिक किसानों एवं पशु पालकों के साथ साझा करने के लिए इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: जानवरों को बीमारी से कैसे बचाया जा सकता है?
A: पशुओं एवं उनके आस-पास स्वच्छता बनाए रखना, पशुओं को संतुलित और पौष्टिक आहार प्रदान करना, उचित टीकाकरण और डीवर्मिंग कराना, पशुओं को विभिन्न रोगों से बचाने में सहायक साबित हो सकता है। पशु चिकित्सक द्वारा नियमित स्वास्थ्य जांच भी किसी भी स्वास्थ्य समस्या का शीघ्र पता लगाने और उपचार में मदद कर सकती है।
Q: पशुओं की देखभाल कैसे करनी चाहिए?
A: वर्षा के मौसम में पशुओं को संतुलित मात्रा में भोजन, स्वच्छ पानी, साफ एवं सूखा आवास और नियमित चिकित्सा की सुविधा प्रदान करनी चाहिए। बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए उन्हें स्वच्छ परिस्थितियों में रखा जाना चाहिए। उनके बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए पशु चिकित्सक द्वारा नियमित जांच कराना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, पशुओं को बासी खाना या दूषित पानी नहीं देना चाहिए। रोगी पशुओं के रहने और खाने-पीने की अलग व्यवस्था करें।
Q: जानवर बारिश से अपनी रक्षा कैसे करते हैं?
A: विभिन्न पशु-पक्षी अलग-अलग तरीकों से खुद को बारिश से बचाते हैं। पक्षियों की तरह कुछ पशुओं में भी जलरोधक पंख होते हैं जो पानी को पीछे हटाते हैं और उन्हें सूखा रखते हैं। गायों और भैंसों जैसे अन्य पशुओं की त्वचा मोटी होती है और इनके शरीर पर बाल होते हैं जो इन्सुलेशन प्रदान करते हैं और उन्हें गर्म और सूखा रखते हैं। कुछ छोटे पशु, जैसे गिलहरी और बंदर, भीगने से बचने के लिए पेड़ों के नीचे या गुफाओं या बीलों में शरण लेते हैं।
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