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21 July
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जैविक तरीके से करें खरपतवारों पर नियंत्रण | Weed Control in Organic Farming

जैविक तरीके से करें खरपतवारों पर नियंत्रण | Weed Control in Organic Farming

खेती में बढ़ती लागत एवं मिट्टी की घटती उर्वरक क्षमता को बढ़ाने के लिए जैविक खेती का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए जैविक खेती में खाद के तौर पर गोबर, गौमूत्र, नीम की खली, कंपोस्ट खाद, राख से बनी हुई खाद, शिवंश खाद, आदि का प्रयोग किया जाता है। केवल इतना ही नहीं जैविक विधि से बिना हानिकारक रसायनों का प्रयोग किए विभिन्न खरपतवारों को भी नष्ट किया जा सकता है। यहां से आप जैविक विधि से खरपतवारों पर नियंत्रण की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

जैविक विधि से खरपतवारों पर नियंत्रण के फायदे | Benefits of Controlling Weeds through Organic Methods

  • पर्यावरण के अनुकूल: जैविक विधि से खरपतवारों पर नियंत्रण करने से मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीव नष्ट नहीं होते हैं। इसके साथ ही हानिकारक रसायनों का प्रयोग नहीं करने से फसलों एवं खेत की मिट्टी पर भी प्रतिकूल असर नहीं होता है।
  • लागत में कमी: खरपतवार नाशकों का प्रयोग नहीं करने से कृषि में होने वाली लागत में कमी आती है।
  • उपज एवं गुणवत्ता: फसलों की उपज एवं गुणवत्ता बेहतर होती है।
  • सुरक्षित: जैविक खरपतवार नियंत्रण विधि फसलों और किसानों दोनों के लिए सुरक्षित है। इससे फसलों या मिट्टी में रसायनों का हानिकारक अवशेष नहीं रहता है।
  • मिट्टी की उपजाऊ क्षमता: हानिकारक रसायनों का प्रयोग नहीं करने से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है।

जैविक विधि से खरपतवारों को नियंत्रित करने के तरीके | Methods to Control Weeds through Organic Methods

गहरी जुताई

  • बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार नष्ट हो जाएंगे।
  • आप चाहे तो बुवाई से पहले खेत में निकलने वाले खरपतवारों की जुताई कर उसे खेत में मिला सकते हैं। यह हरी खाद का काम करेगी। इससे खरपतवार नष्ट भी हो जाएंगे और मिट्टी में हरी खाद के प्रयोग से कई पोषक तत्वों की पूर्ति भी हो जाएगी।

फसलों के बीच की दूरी

  • बीज की बुवाई या पौधों की रोपाई के समय दूरी का विशेष ध्यान रखें।
  • आवश्यकता से अधिक दूरी होने पर खरपतवारों को पनपने की जगह मिलती है।

निराई-गुड़ाई

  • निराई-गुड़ाई एक प्रमुख तकनीक है जो खरपतवारों को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है।
  • बुआई के बाद, पहली निराई-गुड़ाई को 20 से 25 दिनों के बाद किया जा सकता है।
  • इसके बाद, आवश्यकता के अनुसार इस प्रक्रिया को दोहराया जा सकता है।
  • निराई-गुड़ाई करने से फसल को अच्छी तरह से पोषण मिलता है और खरपतवारों को कम करने में मदद मिलती है।

मल्चिंग

  • खेत में खरपतवार के नियंत्रण के लिए मल्चिंग अथवा 'पलवार' एक उन्नत विधि है।
  • खेत में लगे पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक कवर, पुआल या पत्तों आदि के द्वारा सही तरीके से ढकने को मल्चिंग कहते हैं।
  • इससे खरपतवार का अंकुरण या विकास नहीं हो पाता है। इस तकनीक से फसल को लंबे समय तक खरपतवारों से सुरक्षित रखा जा सकता है।

यांत्रिक विधि

  • खुरपी, पैडी वीडर, कोनोवीडर, आदि कई तरह के कृषि यंत्र बाजार में उपलब्ध हैं।
  • खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए इनका उपयोग बहुत लाभदायक साबित होता है। इससे समय एवं श्रम दोनों की बचत होती है।

फसल चक्र

  • खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए फसल चक्र अपनाएं।
  • खेत में मौसम के अनुसार विभिन्न फसलों को लगाने से खरपतवारों का जीवन चक्र बाधित हो सकता है।
  • इससे खरपतवारों की समस्या में कमी आती है।

कवर फसलों की खेती

  • नकदी फसलों के बीच मिट्टी को ढंकने के लिए कवर फसलें लगाई जाती हैं।
  • कवर फसलों की खेती खरपतवारों को पनपने से रोकने में काफी हद तक कारगर साबित होती है।

जैविक विधि से खेती करने पर आप खरपतवारों की समस्या से निजात पाने के लिए क्या करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'देसी जुगाड़' चैनल को अभी फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: जैविक खेती में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें?

A: जैविक खेती में खरपतवार नियंत्रण के लिए बाजार में हानिकारक रसायनों युक्त खरपतवार नाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। खरपतवारो पर नियंत्रण के लिए हाथों से निराई की जा सकती है। लेकिन इसमें समय एवं श्रम की आवश्यकता अधिक होती है। मल्चिंग के द्वारा खरपतवारों को पनपने से रोका जा सकता है। इसके अलावा फसल चक्र अपना कर या कवर फसलें की खेती भी खरपतवारों को नियंत्रित करने में कारगर साबित होती है।

Q: खरपतवार को नियंत्रण कैसे किया जाता है?

A: खरपतवारों को नियंत्रित करने के कई तरीके हैं, जिनमें निराई-गुड़ाई, मल्चिंग और रासायनिक नियंत्रण शामिल है। इसके अलावा कई तरह के कृषि उपकरण भी उपलब्ध हैं जिससे आप खरपतवारों पर नियंत्रण कर सकते हैं।

Q: खरपतवार नियंत्रण की आवश्यकता क्यों है?

A: खरपतवार खेत में मौजूद पोषक तत्वों को ग्रहण कर लेते हैं। जिसे फसलों में पोषण की कमी हो जाती है। इसके अलावा कई ऐसे कीट एवं फफूंद हैं जो खरपतवारों में पहले पनपते हैं और बाद में मुख्य फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। जिससे फसलों की उपज एवं गुणवत्ता कम होने लगती है। इसलिए खरपतवारों पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है।

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