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कृषि ज्ञान
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9 Sep
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सब्जियों में खरपतवार प्रबंधन (Weed Management in Vegetables)


भारत में लगभग 60 प्रकार की सब्जियों की खेती होती है, जिससे यह सब्जी उत्पादन में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। सब्जियां हमारे आहार का अहम हिस्सा हैं, लेकिन किसानों के लिए सब्जी उत्पादन महंगा होता है, क्योंकि इसमें पानी, खाद और संसाधनों की अधिक जरूरत होती है। खरपतवारों से उपज और गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए उनका समय पर और सही प्रबंधन जरूरी है।

खरपतवारों से फसलों को होने वाले नुकसान (Damage caused to crops by weeds):

  • पोषण की कमी: खरपतवार मिट्टी से आवश्यक पोषक तत्वों को ग्रहण करते हैं, जिससे फसलों को पोषण की कमी हो जाती है।
  • पानी की कमी: खरपतवार फसल के लिए पानी की उपलब्धता को कम कर देते हैं, जिससे फसल की वृद्धि प्रभावित होती है।
  • प्रकाश की कमी: खरपतवार पौधों को ढककर सूर्य की रोशनी से वंचित करते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है।
  • रोग और कीट: खरपतवार रोगों और कीटों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं, जिससे फसलों में रोग और कीट लगते हैं।
  • उपज में कमी: खरपतवारों के कारण फसल की उपज में 20-50% तक की कमी हो सकती है।
  • फलों की गुणवत्ता में कमी: खरपतवारों के कारण फलों का आकार छोटा हो सकता है और उनकी गुणवत्ता भी कम हो जाती है।
  • लागत में वृद्धि: खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए किसानों की लागत बढ़ जाती है।

खरपतवार नियंत्रण के आसान तरीके (Easy ways to control weeds):

  • फसल चक्र (Crop Rotation): फसल चक्र एक महत्वपूर्ण तकनीक है, जिसमें एक ही खेत में अलग-अलग मौसम में विभिन्न फसलों की खेती की जाती है। इससे खरपतवारों के जीवन चक्र को बाधित किया जा सकता है और उनका प्रसार कम हो जाता है। सब्जियों में यह तकनीक बेहद प्रभावी है, क्योंकि यह विशिष्ट खरपतवारों को अनुकूल वातावरण नहीं देता।
  • जुताई (Tillage): जुताई एक पारंपरिक विधि है, जिसमें मिट्टी को पलटने और ढीला करने से खरपतवारों को नियंत्रित किया जाता है। खेत में गहराई तक जुताई करने से मिट्टी में दबे हुए खरपतवारों के बीज नष्ट हो जाते हैं। यह विधि सब्जियों में खरपतवारों की समस्या को काफी हद तक कम करती है, खासकर जुताई के बाद बीज अंकुरण की संभावना कम हो जाती है।
  • फसलों को कवर करें (Cover Crops): कवर क्रॉप, जैसे आच्छादन फसलें, खरपतवारों की वृद्धि को कम करने के लिए एक बेहतर विकल्प हैं। ये फसलें मिट्टी की नमी को बनाए रखती हैं और खरपतवारों को प्रकाश से वंचित करती हैं, जिससे उनकी वृद्धि रुक जाती है। सब्जियों में आच्छादन का उपयोग मिट्टी के स्वास्थ्य को सुधारता है और खरपतवारों के खिलाफ एक प्राकृतिक रक्षा तंत्र प्रदान करता है।
  • जैविक नियंत्रण (Biological Control): जैविक नियंत्रण एक स्थायी और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से सुरक्षित विधि है, जिसमें प्राकृतिक शत्रुओं जैसे कीड़े, कवक और बैक्टीरिया का उपयोग करके खरपतवारों को नियंत्रित किया जाता है। कुछ विशेष प्रकार के कीड़े और रोगजनक कवक सीधे खरपतवारों को नष्ट करते हैं, जिससे सब्जियों में खरपतवार की समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।
  • यांत्रिक नियंत्रण (Mechanical Control): यांत्रिक विधियों में किसान हाथों या यंत्रों का उपयोग करके खरपतवारों को हटाते हैं। हाथों से खरपतवार निकालना छोटे खेतों के लिए एक प्रभावी विधि है, जबकि बड़े खेतों में रोटरी वीडर, मोल्ड बोर्ड प्लाऊ और हारो जैसे यंत्रों का उपयोग किया जा सकता है। इन यंत्रों के उपयोग से समय और श्रम की बचत होती है और खरपतवारों का तेजी से नियंत्रण किया जा सकता है।
  • सस्य क्रियाएं (Agronomic Practices): सब्जियों में ऐसी फसलों का चयन करना चाहिए, जो तेजी से बढ़ें और जिनमें रोग एवं कीटों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता हो। ये फसलें तेजी से बढ़ती हैं और खरपतवारों को कवर करके उनकी वृद्धि को रोकती हैं। इसके अलावा, गहरी और फैलने वाली जड़ वाली फसलों का चयन खरपतवारों को मिट्टी में जड़ें जमाने से रोकने में मदद करता है।
  • कार्बनिक खादों का प्रयोग (Organic Manure): कार्बनिक खाद का उपयोग सब्जियों में खरपतवार नियंत्रण के लिए एक शानदार तरीका है। कार्बनिक खाद से मिट्टी की संरचना में सुधार होता है, जिससे खरपतवारों की वृद्धि धीमी हो जाती है। इससे मिट्टी की नमी बनाए रखने में भी मदद मिलती है और सब्जियों की फसलों को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।
  • समय पर खरपतवार नियंत्रण (Timely Weed Control): खरपतवार नियंत्रण के उपायों को सही समय पर लागू करना बहुत जरूरी है। सब्जियों में खरपतवारों के जीवन चक्र के महत्वपूर्ण चरणों में हस्तक्षेप करके उनकी वृद्धि को रोका जा सकता है। विशेष रूप से शुरुआती वृद्धि चरणों में खरपतवारों का नियंत्रण उनकी संख्या और प्रभाव को कम करने में सहायक होता है।
  • निगरानी (Monitoring): खरपतवारों की नियमित निगरानी करना बहुत जरूरी है, ताकि उनकी बढ़ती समस्या का समय रहते पता लगाया जा सके। निगरानी से यह सुनिश्चित होता है कि खेत में खरपतवार प्रबंधन के उपाय सही तरीके से काम कर रहे हैं और कोई नई समस्या उत्पन्न नहीं हो रही है।
  • रासायनिक नियंत्रण (Chemical Control): सभी तरीके से खरपतवारों को नियंत्रित करने के बाद भी अगर यह कंट्रोल नहीं होते हैं, तो रासायनिक नियंत्रण एक अपनाना चाहिए। खरपतवार नाशक (Herbicides) का उपयोग करके खरपतवारों का तुरंत और प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। हालांकि, इसका उपयोग सभी फसलों के अनुसार करना चाहिए।

खरपतवार नाशक उपयोग करते समय सावधानियां:

  • सही मात्रा और समय पर खरपतवार नाशक का उपयोग करें।
  • शाम के समय छिड़काव करना अधिक प्रभावी होता है।
  • एक्सपायरी हुई दवा का उपयोग न करें।
  • फ्लैट फेन नोजल या उपयुक्त पंप से छिड़काव करें।
  • तेज हवा या बारिश की संभावना में छिड़काव से बचें।

सब्जी वर्गीय फसलों में लम्बे समय तक खरपतवार नियंत्रण के लिए क्या जुगाड़ करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'खरपतवार जुगाड़' चैनल को अभी फॉलो करें। अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: खरपतवार को नियंत्रित कैसे करते हैं?

A: खरपतवार अवांछित पौधे हैं जो पोषक तत्वों, पानी और धूप के लिए फसलों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। भारत में, किसान खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हैं, जिसमें मैनुअल निराई, मल्चिंग, रासायनिक खरपतवार नियंत्रण, फसल चक्र और कवर फसलें शामिल हैं। खरपतवारों को नियंत्रित करके, किसान स्वस्थ फसल विकास सुनिश्चित कर सकते हैं और अपनी पैदावार में सुधार कर सकते हैं।

Q: खरपतवार को कितने भागों में बांटा गया है?

A: खरपतवारों को तीन मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है: जड़ें, तने और पत्ते। एक खरपतवार की जड़ प्रणाली मिट्टी में पौधे को लंगर डालने और पानी और पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए जिम्मेदार होती है। एक खरपतवार का तना पत्तियों और फूलों के लिए समर्थन प्रदान करता है, और पूरे पौधे में पानी और पोषक तत्वों के परिवहन में भी मदद करता है। एक खरपतवार की पत्तियां प्रकाश संश्लेषण के लिए जिम्मेदार होती हैं, जो वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पौधे भोजन का उत्पादन करता है। कुछ खरपतवार फूल और बीज भी पैदा करते हैं, जो फैल सकते हैं और आगे संक्रमण का कारण बन सकते हैं।

Q: खरपतवार कितने प्रकार के होते हैं?

A: खरपतवारों के कई प्रकार हैं पर अगर जीवन चक्र के आधार पर बात करें तो यह तीन प्रकार के होते हैं: वार्षिक खरपतवार, द्विवार्षिक खरपतवार और बारहमासी खरपतवार।

Q: खरपतवार क्या है?

A: खरपतवार यानी वीड्स वे अवांछित पौधे हैं जो किसी खेती क्षेत्र में बिना बोए उगते हैं और फसलों को प्रतिकूल प्रभावित कर सकते हैं। ये पौधे फसलों के साथ पोषण ग्रहण के लिए जल, मिट्टी और सूर्य के संपर्क का साझा स्रोत बनते हैं, जिससे वे फसलों के विकास को प्रतिकूल प्रभावित कर सकते हैं। इनकी अधिकता से फसलों की उपज में कमी होती है जिससे किसानों को हानि होती है।

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