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जैविक खेती
कृषि ज्ञान
5 July
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जैविक खेती क्या है (What is Organic Farming)


जैविक खेती कृषि एक प्राकृतिक और जैविक तरीके से फसलों का उत्पादन करने का एक प्रभावशाली तरीका है। इस पद्धति में प्राकृतिक उर्वरकों का उपयोग किया जाता है जैसे कि खाद और कम्पोस्ट, जबकि सिंथेटिक कीटनाशकों और उर्वरकों से बचाव किया जाता है। यह प्रक्रिया फसल रोटेशन, कवर क्रॉप और मिट्टी की स्वास्थ्य और जैव विविधता को बढ़ावा देने वाली होती हैं। जैविक खेती का उद्देश्य एक स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से भोजन का उत्पादन करना होता है, साथ ही मिट्टी, पौधों, जानवरों और खेती के सभी प्रक्रियाओं में शामिल लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण को भी ध्यान में रखते हुए।

जैविक खेती कैसे करें? (How to do organic farming?)

  • मिट्टी की तैयारी: जैविक खाद, गोबर खाद, कंपोस्ट आदि का उपयोग करके मिट्टी की उर्वरता बढ़ जाती है। हरी खाद (ग्रीन मैन्योर) के रूप में ढैंचा, मूंग, उड़द आदि की बुवाई की जाती है और फिर उन्हें मिट्टी में मिला दिया जाता है।
  • बीज चयन: बीजों का चयन जैविक विधियों से उत्पादित बीजों से किया जाता है। बीजों को जैविक विधियों से उपचारित किया जाता है, जैसे नीम का अर्क, गोमूत्र आदि।
  • बुवाई और रोपाई: सही समय और दूरी पर बुवाई की जाती है। पौधों के बीच उचित दूरी रखी जाती है ताकि वे स्वस्थ रह सकें और उनकी वृद्धि अच्छी हो।
  • जैविक खाद और कीटनाशक: नीम का तेल, गोमूत्र, गाजर घास का अर्क, लहसुन और मिर्च का अर्क आदि का उपयोग किया जाता है। कम्पोस्ट, वर्मी कंपोस्ट, हरी खाद, गोबर खाद आदि का उपयोग किया जाता है।
  • फसल प्रबंधन: फसल की देखभाल के लिए उचित सिंचाई, निराई-गुड़ाई, और समय-समय पर जैविक खाद और कीटनाशक का उपयोग किया जाता है। मिश्रित खेती और फसल चक्र का पालन किया जाता है जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और कीटों का प्रकोप कम होता है।
  • फसल कटाई और भंडारण: फसल की कटाई सही समय पर की जाती है। फसल को जैविक तरीके से सुरक्षित और साफ-सुथरे स्थान पर भंडारित किया जाता है।

जैविक खेती के लाभ (Benefits of Organic Farming)

  • स्वास्थ्य भोजन : जैविक उत्पादों में अधिक पोषक तत्व होते हैं और ये स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।
  • किसानों के लिए सुरक्षित : इसमें रसायनों का प्रयोग नहीं होता, जिससे किसानों की सेहत पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।
  • अधिक टिकाऊ : जैविक खेती मिट्टी को स्वस्थ रखती है और पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करती।
  • बेहतर स्वाद : जैविक फसलें अधिक स्वादिष्ट होती हैं।
  • अधिक मांग : जैविक उत्पादों की बाजार में अधिक मांग और कीमत होती है।
  • अर्थव्यवस्था में सुधार : जैविक खेती रोजगार के अवसर पैदा करती है।
  • प्रदूषण रहित : जैविक खेती से पर्यावरण में प्रदूषण नहीं होता।
  • मिट्टी की उर्वरता : इससे मिट्टी की संरचना और उर्वरता में सुधार होता है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता : जैविक उत्पाद मनुष्य और पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
  • लागत में कमी : इसमें रसायनों पर खर्च कम होता है।
  • आय में वृद्धि : जैविक फसलों की ऊंची कीमत से किसानों की आय बढ़ती है।
  • जल धारण क्षमता : मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ती है।
  • कचरे का उपयोग : बेकार कचरे का खाद के रूप में उपयोग होता है।
  • उत्कृष्ट गुणवत्ता : जैविक फसलों की गुणवत्ता बहुत अधिक होती है।
  • अंतरराष्ट्रीय बाजार : अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत अधिक होती है।
  • कार्बनिक पदार्थ : जैविक खेतों में कार्बनिक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन : जैविक खेती ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जल प्रदूषण को कम करती है।
  • जैव विविधता संरक्षण : जैविक खेती लाभकारी कीड़ों और जीवों को नुकसान नहीं पहुंचाती, जिससे जैव विविधता बनी रहती है।

जैविक खेती के हानि (Disadvantages of Organic Farming)

  • अधिक लागत : जैविक खेती में अधिक मेहनत और लागत की आवश्यकता होती है।
  • कम पैदावार : जैविक फसलें कीटों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं, जिससे पैदावार कम हो सकती है।
  • सरकारी सहयोग का अभाव : जैविक किसानों को पारंपरिक किसानों के समान सरकारी सहायता नहीं मिलती।
  • प्रमाणीकरण की समस्या : जैविक उत्पाद बेचने के लिए सख्त प्रमाणीकरण मानकों को पूरा करना पड़ता है, जो जटिल और महंगा हो सकता है।

जैविक खेती के लिए प्रमुख जैविक खाद और दवाइयां:

  • जैविक खेती के लिए उपयुक्त जैविक खाद और दवाइयां अहम भूमिका निभाती हैं। जैविक खाद में शामिल हैं नाडेप, बायोगैस स्लरी, वर्मी कंपोस्ट, हरी खाद, जैव उर्वरक, गोबर की खाद, नाडेप फास्फो कम्पोस्ट, पिट कम्पोस्ट, और मुर्गी का खाद। इन खादों का उपयोग मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने, पोषक तत्वों को संतुलित रखने और मिट्टी की स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
  • जैविक दवाइयों में शामिल हैं गौ-मूत्र, नीम-पत्तियों का घोल, मट्ठा, मिर्च/लहसुन, लकड़ी की राख, और नीम व करंज खली। ये दवाइयां कीटों, रोगों, और पौधों के संक्रमण को रोकने में मदद करती हैं और पौधों की प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाती हैं। इस प्रकार, जैविक खेती में उपयुक्त खाद और दवाइयां प्राकृतिक तरीके से फसलों की उन्नति और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण अंग होते हैं।

क्या आप भी जैविक खेती करना चाहते हैं ? अगर हाँ तो हमें कमेंट करके बताएं। ऐसी ही रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान मित्रों के साथ साझा करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: जैविक खेती कितने प्रकार के होते हैं?

A: जैविक खेती के दो प्रमुख प्रकार होते हैं। शुद्ध जैविक खेती में सभी अप्राकृतिक रसायनों से बचा जाता है और पोषण तत्व और कीटनाशक प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त किए जाते हैं। समाहित जैविक खेती में पोषण और कीट प्रबंधन का सम्मिलित उपयोग होता है, जो पारिस्थितिकी मानकों और आर्थिक मांगों को पूरा करता है।

Q: जैविक खेती के लाभ क्या है?

A: जैविक खेती विधि से कृषि करने से कई तरह के लाभ होते हैं। यह विधि न केवल खेती की लागत को कम करती है, बल्कि कृषकों को भी अधिक आय प्राप्त होती है। इसके अलावा, जैविक उत्पादों की उच्च मांग के कारण उनकी बिक्री में अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक दर का उतार-चढ़ाव भी होता है। यह बढ़ते हुए संवेदनशील उपभोक्ता आधार के बढ़ते हुए प्रशंसाएं लाती है, जो विशेषकर विदेशी बाजारों में महत्वपूर्ण हैं।

Q: जैविक खेती क्या होता है?

A: जैविक खेती, जिसे कार्बनिक कृषि (organic farming) भी कहा जाता है, यह एक ऐसी खेती है जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, शाकनाशी और अन्य कृत्रिम रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता है। इस प्रणाली में, भूमि की उर्वरता और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए जैविक खाद, फसल चक्र, और जैव नियंत्रण का उपयोग किया जाता है।

Q: जैविक खेती कैसे की जाती है?

A: जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों की जगह गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट खाद, हरी खाद, शिवंश खाद, राख से बनाई गई खाद, मटका खाद, आदि का प्रयोग किया जाता है।

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