বিস্তারিত বিবরণ
Listen
papaya | पपीता | पपई
कल्पना
कृषि विशेषयज्ञ
5 year
Follow

पपीता की प्रमुख प्रजातियां

पपीता का उपयोग कच्चे और पके दोनों रूप में किया जाता है। पका पपीता फलों में शामिल है वहीं कच्चे पपीते की सब्जी बनाई जाती है। विटामिन ए और विटामिन सी से भरपूर पपीते की कई प्रजातियां होती हैं। जिनमे स्थानीय (देशी) किस्मों के साथ विदेशी किस्में भी शामिल हैं। पपीता की खेती करने से पहले कुछ प्रमुख किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है।

देशी किस्में

  • पूसा नन्हा : इस किस्म को वर्ष 1983 में विकसित किया गया था। इसके एक पौधे से 25 से 30 किलोग्राम पपीता का फल प्राप्त होता है। इसके फल आकार में छोटे और माध्यम होते हैं। पौधों की ऊंचाई 120 सेंटीमीटर के करीब होती है। पौधों की ऊंचाई जमीन की सतह से 30 सेंटीमीटर ऊपर होने पर इनमें फल लगना शुरू हो जाता है।

  • पूसा जायंट : वर्ष 1981 में इसे विकसित किया गया। इसके फल बड़े आकर के होते हैं। सब्जी और पेठे बनाने के लिए यह उपयुक्त प्रजाति है। एक पौधे से 30 - 35 किलोग्राम फल का उत्पादन होता है। इस प्रजाति के पौधे जब 92 सेंटीमीटर के हो जाते हैं तब इनमें फल लगना शुरू हो जाता है।

  • सूर्या : यह प्रमुख संकर किस्मों में से एक है। इसके एक फल का वजन 500 से 700 ग्राम तक होता है। फलों की भंडारण क्षमता अच्छी होती है। प्रति पौधा 55 - 56 किलोग्राम फल की पैदावार होती है।

  • पूसा डेलिशियस : इसे वर्ष 1986 में विकसित किया गया था। एक पौधे से 40 से 45 किलोग्राम पपीता का उत्पादन होता है। स्वादिष्ट फल वाले इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 216 सेंटीमीटर होती है। पौधों की ऊंचाई 80 सेंटीमीटर होने पर पौधों में फल लगने शुरू हो जाते हैं।

  • रेड लेडी 786 : यह संकर किस्मों में शामिल है। इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक ही पौधे में नर और मादा फूल लगते हैं। इसके कारण हर पौधे से फल की प्राप्ति होती है। लगाने के केवल 9 महीने बाद पौधों में फल लगने शुरू हो जाते हैं। अन्य किस्मों की तुलना में इस किस्म के फलों की भंडारण क्षमता अधिक होती है।

विदेशी किस्में

  • को 2 : यह विदेशी किस्मों में से एक है। भारत में भी इस किस्म की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। इसके एक फल का वजन करीब 1.25 से 1.5 किलोग्राम तक होता है। एक पौधा से प्रति वर्ष 80 से 90 फल की प्राप्ति होती है। फलों में पपेन की मात्रा अधिक होती है।

  • को 7 : इसका विकास वर्ष 1997 में किया गया। लाल रंग के गूदे वाले फलों का आकर लंबा और अंडाकार होता है। प्रति पौधा लगभग 100 से 110 फलों की उपज होती है।

इन किस्मों के अलावा भारत में खेती की जाने वाली कई अन्य देशी और विदेशी उन्नत किस्में हैं। जिनमे वाशिंग्टन , पिंक फ्लेश स्वीट, सनराइज़ सोलो, पूसा ड्वार्फ, पूसा मैजेस्टी, को 1, को 3, को 4, को 5, को 6, सीलोन, हनीड्यू, कूर्गहनीड्यू आदि शामिल हैं।

63 Likes
39 Comments
Like
Comment
Share
Get free advice from a crop doctor

Get free advice from a crop doctor