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कटहल के फलों के काला होने का कारण और समाधान
कटहल का पेड़ एक सदाबाहर फलदार वृक्ष है। कटहल के फल का इस्तेमाल सब्जी बनाने के लिए सबसे अधिक किया जाता है। इसके पेड़ पर जनवरी से फरवरी महीने के बीच फल लगने शुरू हो जाते हैं। कुछ समय बाद ही कटहल पर काले धब्बे भी दिखाई देने लग जाते हैं। इस रोग के कारण फल गलने लगता है और फसल की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम किसानों को कटहल के काले होने का कारण, लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय बताएंगे। जिनको अपनाकर किसान अपनी फसल को खराब होने से बचा सकते हैं। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।
कटहल के फलों के काला होने का कारण
कटहल पर काले धब्बे राइजोपस आर्टोकारपाई नामक कवक के कारण होते हैं।
यह फल में लगने वाला फल गलन रोग है।
फल में दिखाई देने वाले लक्षण
इस बीमारी का प्रकोप फल की छोटी अवस्था में देखने को मिलता है।
शुरुआत में फल के डंठल के पास सड़न लगती है।
इसके बाद धीरे-धीरे पूरा फल सड़ जाता है।
कटहल के फल सड़ने के कारण गिरने लग जाते हैं।
यह हवा द्वारा बहुत तेज गति से फैलता है।
नियंत्रण के उपाय
पौधों के बीच हवा का संचार अच्छे से होना चाहिए।
पेड़ों को सूरज की रौशनी अच्छे से मिले।
फल पर घाव न लगने दें।
संक्रमित फलों को पेड़ से काट कर नष्ट कर दें।
फलों का भंडारण 10 डिग्री सेंटीग्रेट से कम तापनाम पर करें।
फलों को इस रोग से बचाने के लिए प्रति लीटर पानी में 4 से 5 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लूपी मिला कर 10 दिनों के अंतराल पर 3 से 4 बार छिड़काव करें।
बीमारी के रोकथाम के लिए 2 ग्राम डाइथेन एम-45 प्रति लीटर पानी में घोलकर 15 दिनों के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करें।
देहात फुल स्टॉप की 25 से 30 ग्राम मात्रा को 15 लीटर पानी के साथ मिला कर छिड़काव करें।
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आशा है कि यह जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें और अपने किसान मित्रों के साथ जानकारी साझा करें। जिससे अधिक से अधिक लोग इस जानकारी का लाभ उठा सकें और कटहल के फल को काला होने से बचाकर अधिक लाभ प्राप्त कर सकें। इससे संबंधित यदि आपके कोई सवाल हैं तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। कृषि संबंधी अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।
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