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मिर्च के पौधों में लगने वाले कुछ प्रमुख रोग
उकठा रोग, भभूतिया रोग, अगेती अंगमारी रोग, कुकड़ा रोग, तना सड़न रोग, आर्द्र गलन रोग, आदि कई रोगों के कारण मिर्च की फसल को भारी नुकसान होता है। मिर्च के पौधों को इन घातक रोगों से बचाने के लिए इन लोगों का लक्षण एवं नियंत्रण की जानकारी होना आवश्यक है। आइए मिर्च के पौधों में लगने वाले कुछ प्रमुख लोगों की विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
मिर्च के पौधों में लगने वाले कुछ प्रमुख रोग
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आर्द्र गलन रोग : इस रोग का प्रकोप छोटे पौधों में अधिक होता है। रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां पीली होने लगती हैं और कई बार पत्तियों पर सफेद रंग के धब्बे भी उभरने लगते हैं। इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति लीटर पानी में 20 ग्राम घुलनशील सल्फर मिलाकर छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर 15 दिनों बाद दोबारा छिड़काव करें।
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भभूतिया रोग : इस रोग को चूर्णी फफूंद रोग के नाम से भी जाना जाता है। गर्मी के मौसम में इस रोग का प्रकोप अधिक होता है। इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों पर सफेद चूर्ण के समान धब्बे उभरने लगते हैं। रोग बढ़ने के साथ पत्तियां पीली होकर सूखने लगती हैं और पौधों के विकास में बाधा आती है। इस रोग से निजात पाने के लिए 15 लीटर पानी में 25 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिलाकर छिड़काव करें।
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अगेती अंगमारी रोग : इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों पर काले रंग के छोटे धब्बे उभरने लगते हैं। रोग बढ़ने के साथ यह धब्बे छल्ले की तरह नजर आने लगते हैं। इस रोग से बचने के लिए प्रभावित पौधों को खेत से बाहर निकाल कर नष्ट कर दें। बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम केप्टान 75 डब्लू.पी. से उपचारित करें। पौधों में रोग के लक्षण नजर आने पर प्रति एकड़ खेत में 1 किलोग्राम मैनकोज़ेब 75 डब्लू.पी. का छिड़काव करें।
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कुकड़ा रोग : इस रोग को पत्ती मरोड़ रोग एवं लीफ कार्ल के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग वायरस के अलावा थ्रिप्स एवं माइट जैसे कीटों के साथ मौसम में परिवर्तन के कारण भी होता है। इस रोग में पत्तियां ऊपर या नीचे की तरफ मुड़ने लगती हैं। इस रोग से बचने के लिए रोग रहित प्रमाणित बीज का चयन करें। रोग से प्रभावित पौधों को नष्ट कर दें। थ्रिप्स के कारण पत्तियां मुड़ने पर प्रति लीटर पानी में 30 मिलीलीटर ट्राइजोफॉस 40 ई.सी. मिलाकर छिड़काव करें। माइट के कारण पत्तियां मुड़ने पर प्रति लीटर पानी में 40 मिलीलीटर प्रोपरजाईट 57 प्रतिशत मिलाकर छिड़काव करें।
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तना सड़न रोग : इस रोग के होने पर जमीन की सतह से सटे तने मुलायम होने लगते हैं। कुछ समय बाद पौधों का तना सड़ने लगता है। रोग बढ़ने पर पौधे सूख कर गिरने लगते हैं। इस रोग से बचने के लिए मिर्च की नर्सरी में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें। बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 1 ग्राम कार्बेंडाजिम से उपचारित करें। इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम केप्टान मिलाकर छिड़काव करें।
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हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी इस जानकारी का लाभ उठाते हुए मिर्च की फसल को इन घातक रोगों से बचा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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