Post Details
Listen
fertilizer
soybean
कल्पना
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
Follow

सोयाबीन : बेहतर पैदावार के लिए इस तरह करें उर्वरक प्रबंधन

हमारे देश में रबी फसल की कटाई के बाद सोयाबीन की खेती की जाती है। बाजार में इसकी बीज के साथ इसके तेल की मांग भी हमेशा बनी रहती है। इसलिए किसानों के लिए यह अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। हालांकि कई बार सोयाबीन की खेती के समय कुछ लापरवाहियों के कारण पैदावार में कमी आ जाती है। जिनमें उर्वरक प्रबंधन भी शामिल है। सही समय पर एवं सही मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग नहीं करने से फसल की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल असर होता है। सोयाबीन की बेहतर फसल प्राप्त करने के लिए उर्वरक प्रबंधन की जानकारी यहां से प्राप्त करें।

सोयाबीन की खेती का उपयुक्त समय

  • पर्वतीय क्षेत्र में बुवाई के लिए 25 मई से 15 जून तक का समय उपयुक्त है।

  • मैदानी क्षेत्रों में इसकी बुवाई 20 जून से 10 जुलाई तक की जाती है।

बेहतर फसल के लिए उर्वरक प्रबंधन

  • खेत की आखिरी जुताई से पहले प्रति एकड़ खेत में 4 टन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या गली हुई रूड़ी की खाद मिलाएं।

  • खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में नाइट्रोजन 12.5 किलोग्राम (यूरिया 28 किलोग्राम) और फॉस्फोरस 32 किलोग्राम (सिंगल सुपर फॉस्फेट 200 किलोग्राम) 8 किलोग्राम सल्फर यानी गंधक मिलाएं।

  • पोटाश की कमी होने पर ही पोटाश का इस्तेमाल करें।

  • पौधों के अच्छे विकास और बेहतर पैदावार के लिए यूरिया 3 किलोग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर बुवाई के 60 दिनों बाद एवं बुवाई के 70 दिनों बाद छिड़काव करें।

  • अच्छी उपज के लिए प्रति एकड़ भूमि में 80 किलोग्राम जिप्सम का भी प्रयोग करें।

यह भी पढ़ें :

हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र इस जानकारी का लाभ उठाते हुए सोयाबीन की बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। पशु पालन एवं कृषि संबंधी अधिक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।



1 Like
Like
Comment
Share
Get free advice from a crop doctor

Get free advice from a crop doctor