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तरबूज की फसल में लीफ कर्ल वायरस के लक्षण एवं बचाव के सटीक उपाय
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लीफ कर्ल वायरस को पत्ती मरोड़ रोग भी कहा जाता है। यह बहुत तेजी से फैलने वाला वायरस है। छोटे पौधों में इस रोग के होने की संभावना अधिक होती है। इस वायरस रोग पर पूरी तरह नियंत्रण के लिए अभी तक कोई जैविक या रासायनिक दवा तैयार नहीं की है। इसलिए पौधों को इस रोग से बचाने के लिए इस रोग का कारण, लक्षण एवं बचाव के तरीकोण की जानकारी होना आवश्यक है। आइए तरबूज की फसल में होने वाले लीफ कर्ल वायरस पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
लीफ कर्ल वायरस के कारण
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बीज के द्वारा : रोपाई के लिए इस रोग से प्रभावित पौधों के बीज का प्रयोग न करें।
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मिट्टी के द्वारा : यह वायरस कुछ समय तक मिट्टी में रहते हैं। यदि खेत में पहले भी इस रोग का प्रकोप हुआ है तो बाद में खेती की जाने वाली फसलें भी इस रोग से प्रभावित हो सकती हैं।
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कीटों के द्वारा : सफेद मक्खियां इस वायरस को एक पौधे से दूसरे पौधों पहुंचाने का काम करती हैं। यदि आपकी खेत के आस-पास की फसल इस रोग से प्रभावित हैं तो सफेद मक्खियां आपकी फसल में भी इस रोग को फैला सकती हैं।
लीफ कर्ल वायरस के लक्षण
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पौधों की ऊपर की पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं।
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प्रभावित पत्तियों की बढ़वार में बाधा आती है।
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पौधों के विकास में बाधा आती है।
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धीरे-धीरे पूरा पौधा पीला हो कर सूखने लगता है।
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इस रोग से प्रभावित पौधों में फूल एवं फल नहीं आते हैं।
लीफ कर्ल वायरस से बचाव के तरीके
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फसल चक्र अपनाएं। लगातार एक ही फसल या एक कुल की फसल की खेती करने से बचें।
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किसी प्रमाणित खाद-बीज भंडार से ही बीज खरीदें।
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बुवाई से पहले बीज को उपचारित करें।
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लीफ कर्ल वायरस को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पौधों को नष्ट कर दें।
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सफेद मक्खी के प्रकोप को कम करने के लिए प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एससी मिलाकर छिड़काव करें।
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पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पोषक तत्व एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति करें। इसके लिए आप प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर देहात न्यूट्रीज़ाइम मिला कर छिड़काव करें।
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सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे बोरोन, आयरन, मैंगनीज, कॉपर, जिंक एवं मॉलीबेड़नुम की पूर्ति के लिए 30 लीटर पानी में 10 ग्राम एजीवाइटल मिला कर छिड़काव करें।
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