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करेले की 5 बेहतरीन किस्में (Best Bitter Gourd Varieties)
करेला एक महत्वपूर्ण औषधीय और पौष्टिक सब्जी है जो भारत के विभिन्न हिस्सों में उगाई जाती है। यह कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है और इसके औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में इसे विशेष स्थान प्राप्त है। करेला न केवल खाने में स्वादिष्ट होता है, बल्कि इसके साथ ही यह उच्च पोषण मूल्य भी प्रदान करता है। वर्तमान में, विभिन्न किस्मों के करेले की खेती की जा रही है, जो अधिक उत्पादन, बेहतर गुणवत्ता, और लंबी दूरी के परिवहन के लिए उपयुक्त है। इस लेख में, हम पांच बेहतरीन करेला किस्मों के बारे में जानेंगे, जो किसान भाइयों के लिए लाभकारी साबित हो सकती हैं।
करेले की 5 मुख्य किस्में कौन सी हैं? (What are the 5 best bitter gourd varieties?)
DHS-2115 हाइब्रिड करेला :
- DHS-2115 एक हाइब्रिड करेला किस्म है जो उच्च उपज देती है।
- इस किस्म के फल गहरे हरे रंग के होते हैं और इन पर कांटे होते हैं।
- इसकी विशेषता यह है कि यह किस्म लंबी दूरी के परिवहन के लिए उपयुक्त है और इसकी रखरखाव क्षमता भी उत्कृष्ट है।
- इस किस्म में फल की लंबाई 8-10 सेंटीमीटर होती है, जबकि फल का औसत वजन 40-60 ग्राम होता है।
- इसकी पहली तुड़ाई बुवाई के 40-45 दिन बाद की जाती है।
- इसके बीज की दर 600-800 ग्राम प्रति एकड़ होती है।
- किसानों के लिए यह एक बेहतरीन विकल्प है, जो अधिक उत्पादन चाहते हैं और परिवहन के दौरान फल को नुकसान से बचाना चाहते हैं।
DHS-2150 हाइब्रिड करेला :
- DHS-2150 हाइब्रिड किस्म अत्यधिक बलशाली होती है और इसकी उच्च उपज क्षमता इसे किसानों के लिए एक आदर्श विकल्प बनाती है।
- इस किस्म के फल मध्यम लंबाई के होते हैं, जिनका रंग गहरा हरा और कांटेदार होता है।
- इस किस्म की पहली तुड़ाई बुवाई के 55-60 दिन बाद की जाती है। फल की लंबाई 16-18 सेंटीमीटर होती है, और इसका औसत वजन 120-130 ग्राम होता है।
- यह किस्म लंबी दूरी के परिवहन के लिए उपयुक्त है और अच्छे रखरखाव के साथ उच्च गुणवत्ता बनाए रखती है। इसकी बीज दर 600-800 ग्राम प्रति एकड़ होती है।
- किसानों को यह किस्म विशेष रूप से उन खेतों के लिए उपयुक्त होती है जहाँ पर अधिक उपज की आवश्यकता हो।
DHS-2180 हाइब्रिड करेला :
- DHS-2180 एक और बेहतरीन हाइब्रिड करेला किस्म है, जो विशेष रूप से लंबी अवधि तक फल देने के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
- यह किस्म उच्च उत्पादन देती है और इसके फल लंबाई में 20-25 सेंटीमीटर तक हो सकते हैं। फल का वजन 100-140 ग्राम के बीच होता है।
- इसकी पहली तुड़ाई बुवाई के 50-55 दिन बाद की जाती है। यह किस्म लंबी दूरी के परिवहन के लिए आदर्श है और अच्छे रखरखाव के साथ अधिक उपज देती है।
- बीज की दर 600-800 ग्राम प्रति एकड़ होती है।
- किसान यदि ऐसे क्षेत्रों में करेला उगाना चाहते हैं जहाँ पर अधिक समय तक उत्पादन की आवश्यकता होती है, तो यह किस्म एक अच्छा विकल्प हो सकती है।
बी.ए.एस.एफ नन्हेस अमन श्री (BASF Nunhems Amanshri F1) :
- BASF नन्हेस अमन श्री एक उच्च गुणवत्ता वाली किस्म है, जो तेजी से परिपक्व होती है और इसके फल अच्छे आकार के होते हैं।
- यह किस्म इनडोर और आउटकूटर दोनों प्रकार के वातावरण में उग सकती है, जिससे यह बहुत लचीलापन प्रदान करती है।
- इस किस्म के पौधे वायरस के प्रति प्रतिरोधी होते हैं और इसका जड़ तंत्र गहरा होता है, जिससे पौधा अधिक मजबूत होता है।
- इस किस्म की बुवाई विधि "डिब्लिंग" है, और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 6-8 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 1 फीट रखी जाती है।
- इसकी बीज दर 600-700 ग्राम प्रति एकड़ होती है।
- यह किस्म विशेष रूप से उन किसानों के लिए उपयुक्त है जो जल्दी परिपक्वता और अच्छी गुणवत्ता वाले फल चाहते हैं।
ईस्ट वेस्ट प्रगति 065 F1 (East West Pragati 065 F1) :
- ईस्ट वेस्ट प्रगति 065 F1 एक उच्च गुणवत्ता वाली करेला किस्म है, जो विशेष रूप से लंबी दूरी के परिवहन के लिए उपयुक्त है।
- इस किस्म के फल गहरे हरे रंग के होते हैं और इनकी लंबाई 16-18 सेंटीमीटर तक होती है। इसकी बुवाई विधि "चौबाई" है और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 6 फीट तथा पौधे से पौधे की दूरी 2 फीट रखी जाती है।
- इस किस्म की फसल पकने का समय बुवाई के 55-60 दिन बाद होता है। यह किस्म सघन पौधों के साथ उच्च ताकत वाली होती है, जिससे इसका उत्पादन बेहतर होता है।
- यह किस्म खासतौर पर उन किसानों के लिए उपयुक्त है जो परिवहन के लिए अच्छे गुणवत्ता वाले फल चाहते हैं।
क्या आप करेले की खेती करते हैं? अगर हाँ, तो आप कौन-सी किस्म का चुनाव करते हैं? अपना जवाब हमें कमेंट में जरूर बताएं। अगर यह पोस्ट पसंद आई हो, तो इसे लाइक करें और अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें। इसी तरह की अन्य रोचक और महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को फॉलो करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions - FAQs)
Q: 1 एकड़ में कितना करेले निकलता है?
A: 1 एकड़ में करेले की उपज 10 से 15 टन तक हो सकती है, यह किस्म, मिट्टी, जलवायु और फसल प्रबंधन पर निर्भर करता है। सही देखभाल और पोषण के साथ, उपज बढ़ाई जा सकती है।
Q: करेला बोने का सही समय क्या है?
A: करेला बोने का सही समय आमतौर पर गर्मी के मौसम में होता है, विशेषकर मार्च से जून तक। इस समय तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जो करेला के लिए उपयुक्त होता है।
Q: करेला कितने दिनों में फल देता है?
A: करेला की फसल को बुवाई के 40-60 दिन के भीतर फल मिलना शुरू हो जाता है, जो किस्म पर निर्भर करता है। हाइब्रिड किस्में जल्दी पकने वाली होती हैं।
Q: करेले के पौधे में कितना पानी देना चाहिए?
A: करेला के पौधों को नियमित रूप से हल्का पानी देना चाहिए, विशेषकर गर्मी के मौसम में। पानी का स्तर मिट्टी की नमी के आधार पर बदल सकता है, लेकिन पानी का अत्यधिक संचय नहीं होना चाहिए।
Q: करेले में कौन-कौन से रोग लगते हैं?
A: करेले में मुख्य रूप से पत्तियों का मुरझाना (ब्लाइट), सफेद मच्छर (एथलेटोस्पोरा), और येलो वर्टिसी (अल्टरनेरिया) जैसे रोग लग सकते हैं। इसके अलावा, जड़ सड़न और वायरस जनित रोग भी करेला पौधों को प्रभावित कर सकते हैं।
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