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9 June
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आलू की फसल में खरपतवारों से पाएं छुटकारा | Methods of Weed Control in Potato

उच्च गुणवत्ता की फसल एवं अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए खरपतवार प्रबंधन एक महत्वपूर्ण चरण है। खरपतवारों की अधिकता आलू की उपज में कमी होने का एक बड़ा कारण भी है। खरपतवारों की समस्या होने पर कंदों का विकास भी पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम आलू की फसल में खरपतवारों से होने वाले नुकसान एवं खरपतवारों पर नियंत्रण के विभिन्न तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

आलू की फसल में खरपतवारों से होने वाले नुकसान | Damage from weeds in potato cultivation

  • पोषक तत्वों की कमी: खरपतवार मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों, पानी और धूप ग्रहण कर लेते हैं। जिससे आलू के पौधों का उचित विकास नहीं हो पाता है।
  • उपज एवं गुणवत्ता में कमी: पोषण की कमी के कारण आलू की उपज और इसकी गुणवत्ता में कमी आ सकती है।
  • कंदों के विकास में बाधा: उचित मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलने के कारण आलू के कंदों का पूर्ण विकास नहीं हो पाता है, जो किसानों के लिए आर्थिक उकसान का कारण बनता है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी: खेत में खरपतवारों की अधिकता से आलू के पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। ऐसे में विभिन्न रोगों एवं कीटों के होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • श्रम लागत में वृद्धि: खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त श्रम की आवश्यकता होती है।
  • कृषि में होने वाली लागत में वृद्धि: खरपतवार नाशक का उपयोग करने पर कृषि में होने वाली लागत में बढ़ोतरी होती है। इसके साथ कीट एवं रोगों पर नियंत्रण के लिए भी विभिन्न दवाओं का के प्रयोग से लागत बढ़ती है।
  • बाजार मूल्य में कमी: आलू की फसलों में खरपतवार कम उपज और गुणवत्ता के कारण फसल के बाजार मूल्य को कम कर सकते हैं।
  • पर्यावरण के लिए प्रतिकूल: खरपतवारनाशक जैव विविधता को कम करते हैं। इसके अत्यधिक इस्तेमाल से पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।

आलू की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के विभिन्न तरीके | Various methods of weed control in potato

  • फसल चक्र: विभिन्न मौसम में एक ही खेत में अलग-अलग फसलें लगाने से खरपतवार के जीवन चक्र बाधित होती है। इस तरह फसल चक्र अपनाना खरपतवार की वृद्धि को कम करने में सहायक साबित हो सकता है।
  • मल्चिंग: मल्चिंग में आलू के पौधों के चारों ओर की मिट्टी को पुआल या पत्तियों जैसे कार्बनिक पदार्थों से ढंकना शामिल है। यह खरपतवार के विकास को दबाने और मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद कर सकता है।
  • निराई-गुड़ाई: इसमें हाथों से खरपतवारों को हटाना या कुदाल एवं दरांती जैसे उपकरणों का उपयोग करना शामिल है। इस विधि में श्रम की आवश्यकता अधिक होती है लेकिन छोटे क्षेत्रों में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए यह एक प्रभावी तरीका हो सकता है।
  • यांत्रिक विधि का प्रयोग: खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप विभिन्न यंत्रों का सहारा ले सकते हैं। छोटी क्षेत्रों में आप खुरपी, कुदाल, जैसे छोटे यंत्रों के द्वारा खरपतवारों को निकाल सकते हैं। वही बड़े क्षेत्रों में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप कल्टीवेटर या हैरो जैसे उपकरणों का प्रयोग कर सकते हैं।
  • रासायनिक विधि: खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए बाजार में कई तरह की शाकनाशक दवाएं उपलब्ध हैं। जिनका प्रयोग करके आप बहुत कम समय में खरपतवारों पर नियंत्रण कर सकते हैं।

आलू की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए रासायनिक विधि | Chemical method to control weeds in potato

  • खरपतवारों को पनपने से रोकने के लिए पौधों के बीच उचित दूरी का ध्यान रखें। आवश्यकता से अधिक दूरी होने पर खरपतवारों को उगने के लिए अधिक जगह मिलता है।
  • खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए कुछ समय के अंतराल पर निराई-गुड़ाई करते रहें।
  • प्रति एकड़ खेत में 340-1700 मिलीलीटर पैराक्वाट डाइक्लोराइड 24% एस.एल. (देहात चॉपऑफ, यूपीएल यूनिक्वाट, धानुका ओजोन, बीएसीएफ मोक्स, क्रॉप केअर केयरक्वाट, क्रिस्टल ग्रामोक्सोन) का इस्तेमाल करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 250-500 मिलीलीटर ऑक्सीफ्लोरफेन 23.5% ईसी (देहात ऑक्सीबिक्स, अदामा गैलिगन, डाऊ गोल) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 300 मिलीलीटर मेट्रिब्यूजिन 70% डब्लू.पी. (धानुका बैरियर, बायर सेंकोर, टाटा मेट्री) का प्रयोग करें।

खरपतवार नाशक दवाओं के छिड़काव के समय रखें इन बातों का ध्यान | Things to keep in mind while applying herbicides

  • आलू की फसल में बार-बार एक ही खरपतवार नाशक का प्रयोग न करें। बार-बार एक ही दवा का प्रयोग करने से खरपतवार इसके प्रति सहनशील या प्रतिरोधी हो सकते हैं।
  • खरपतवार नाशक दवाओं के पैकेट पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और उनका पालन करें।
  • शाकनाशक दवाओं का प्रयोग करते समय, मिट्टी में नमी की मात्रा का विशेष ध्यान रखें। इससे दवा सही तरह से खरपतवार तक पहुंचते हैं।
  • खेत में खरपतवार नाशक दवाओं का छिड़काव करते समय मात्रा का विशेष ध्यान रखें, इससे फसलों को किसी भी तरह के बुरे प्रभावों से बचाने में आसानी होती है।
  • खरपतवार नाशक दवा को किसी भी कीटनाशक या फफूंदनाशक के साथ मिला कर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे खरपतवार नाशक का असर कम हो सकता है।
  • खरपतवार नाशक दवाओं में कई तरह के हानिकारक रसायन मौजूद होते हैं। इसलिए छिड़काव के समय आंख, नाक, मुंह, कान, आदि को अच्छी तरह ढकें।
  • दवाओं के संपर्क में आने के बाद तुरंत पानी से अच्छी तरह साफ करें और आवश्यकता होने पर नजदीकी डॉक्टर से परामर्श करें।

आलू की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इसके साथ ही कृषि संबंधी किसी भी समस्या के समाधान के लिए हमारे टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर संपर्क करें। यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी हो तो इस पोस्ट को लाइक एवं शेयर करना न भूलें। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'खरतपवार जुगाड़' चैनल को अभी फॉलो करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: आलू में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें?

A: आलू में खरपतवारों को निराई-गुड़ाई, मल्चिंग, रासायनिक शाकनाशक का प्रयोग करके, फसल चक्र अपनाकर, यांत्रिक खेती और जैविक नियंत्रण के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।

Q: खरपतवार की सबसे बेस्ट दवाई कौन सी है?

A: खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए बाजार में कई तरह की शाकनाशक दवाएं उपलब्ध हैं। विभिन्न फसलों में अलग-अलग दवाओं का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए भी अलग दवाएं दी जाती  हैं। इसलिए नर्सरी में फसलों की किस्में और अवस्था के अनुसार ही दवाओं का प्रयोग करें।

Q: खरपतवार नियंत्रण का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

A: खरपतवार नियंत्रण का सबसे अच्छा तरीका विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि फसल का प्रकार, खरपतवार के संक्रमण की गंभीरता और नियंत्रण विधि का पर्यावरणीय प्रभाव। एकीकृत खरपतवार प्रबंधन, जिसमें फसल चक्र अपनाना, यांत्रिक विधि का उपयोग और रासायनिक शाकनाशक दवाओं का इस्तेमाल करना शामिल है।

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