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आलू में क्यों होता है चितकबरा रोग?
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आलू भारतीय रसोईयों में एक लोकप्रिय और सामान्य सब्जी है। लेकिन कई बार इसमें कुछ रोग उत्पन्न होते हैं जो पौधों को प्रभावित करते हैं। आलू के पौधों में होने वाले रोगों में कुछ सामान्य और कुछ गंभीर समस्याएं शामिल हो सकती हैं। इनमें से एक है चितकबरा रोग, जो आलू की उपज एवं गुणवत्ता को खराब कर सकता है। आइए आलू की फसल में चितकबरा रोग के लक्षण एवं इस पर नियंत्रण की विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
आलू की फसल में चितकबरा रोग के कारण होने वाले नुकसान
- चितकबरा रोग के कारण पत्तियां पीली होने लगती हैं।
- पौधों का विकास रुक जाता है।
- पौधों में कम संख्या में कंद आते हैं।
- कंदों का आकार छोटा रह जाता है।
आलू की फसल में चितकबरा रोग पर नियंत्रण के तरीके
- इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 300 मिलीलीटर डाइमेथोएट 30% EC (एफएमसी- रोगोर, टाटा रैलिस- टैफगोर) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 300 मिलीलीटर ऑक्सीडीमेटॉन मिथाइल 25% EC (यूपीएल- मेटासिसटॉक्स) का प्रयोग करें।
आपके आलू की फसल में किस रोग की समस्या अधिक होती है? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। फसलों को रोगों एवं कीटों से बचाने की अधिक जानकारी के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।
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