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10 Apr
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एलोवेरा की खेती: बुवाई से कटाई तक सम्पूर्ण जानकारी | Aloe Vera Cultivation: Complete information from sowing to harvesting


एलोवेरा का इस्तेमाल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट और आयुर्वेदिक दवाओं में काफी मात्रा में किया जाता है, यही वजह है कि बाजार में इसकी डिमांड बहुत है। एलोवेरा भारत में विदेश से आया है, लेकिन बाद में यह देश के शुष्क इलाकों में बड़ी संख्या में पाया जाने लगा। यह मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा हरियाणा के सूखे हिस्सों में बड़ी संख्या में पाया जाता है। इसकी खेती की सबसे अच्छी बात यह है कि आप सिर्फ एक बार पौधे लगाकर इससे 5 साल तक मुनाफा कमा सकते हैं।

कैसे करें एलोवेरा की खेती? |  How to cultivate aloe vera?

जलवायु: एलोवेरा की खेती के लिए उष्ण जलवायु उचित है। इसकी खेती आमतौर पर शुष्क क्षेत्र में न्यूनतम वर्षा और गर्म आर्द्र क्षेत्र में सफलतापूर्वक की जाती है। यह पौधा अत्यधिक ठंड की स्थिति के प्रति बहुत संवेदनशील है।

मिटटी : एलोवेरा की खेती रेतीली से लेकर दोमट मिट्टी तक विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। रेतीली मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी होती है। इसके अलावा अच्छी काली मिट्टी में भी इसकी खेती की जा सकती है। भूमि चयन करते समय हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि जल निकास की समुचित व्यवस्था हो क्योंकि इसमें पानी ठहरना नहीं चाहिए। इसकी मिट्टी का पीएच मान 8.5 होना चाहिए।

बुवाई का उचित समय: अच्छे विकास के लिए एलोवेरा के पौधे जुलाई-अगस्त में लगाना उचित रहता है। वैसे इसकी खेती सर्दियों के महीनों को छोडक़र पूरे वर्ष की जा सकती है।

खेत की तैयारी: भूमि को जुताई कर तैयार करना चाहिए। मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए अंतिम जुताई के दौरान लगभग 15 से 20 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डालनी चाहिए।

बीज की मात्रा: एक एकड़ भूमि के लिए करीब 5000 से 10000 कदों/सकर्स की जरूरत होती है। पौध की संख्या भूमि की उर्वरता तथा पौध से पौध की दूरी एवं कतार से कतार की दूरी पर निर्भर करता है।

बुवाई : एलोवेरा के बीज या वनस्पति साधनों जैसे ऑफसेट या कटिंग के माध्यम से प्रचारित किया जा सकता है। बीजों को अच्छी तरह से सूखी मिट्टी में, नर्सरी बेड में या गमलों में बोया जाता है। बीज को मिट्टी की एक पतली परत के साथ कवर किया जाना चाहिए और अंकुरण तक नम रखा जाना चाहिए।

रोपाई: एक बार जब अंकुर 3-4 इंच की ऊंचाई तक बढ़ जाते हैं, तो उन्हें मुख्य क्षेत्र में प्रत्यारोपित किया जा सकता है। इसके रोपण के लिए खेत में मेड़ (रिजेज एंड फरोज) बनाए जाते है। एक मीटर में इसकी दो लाइने लगती है तथा फिर एक मीटर जगह खाली छोड़ कर फिर एक मीटर में दो लाइनें लगानी चाहिए। पुराने पौधे के पास से छोटे पौधे निकालने के बाद पौधे के चारों तरफ जमीन को अच्छी तरह दबा देना चाहिए। खेत में पुराने पौधों से वर्षा ऋतु में कुछ छोटे पौधे निकलने लगते है इनकों जड़ सहित निकालकर खेत में पौधारोपण के लिए काम में लिया जा सकता है। इसकी रोपाई करते समय इस बात कर ध्यान रखना चाहिए कि इसकी नाली और डोली पर 40 सेंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिए। छोटा पौधा 40 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाया जाना चाहिए। इसका रोपण घनत्व 50 हजार प्रति हेक्टेयर होना चाहिए और दूूरी 40 गुणा 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए।

सिंचाई: बिजाई के तुरंत बाद एक सिंचाई करनी चाहिए बाद में आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहना चाहिए। एलोवेरा को मध्यम पानी की आवश्यकता होती है, और मिट्टी को पानी के बीच सूखने देना चाहिए। अधिक पानी देने से जड़ सड़न और अन्य बीमारियां हो सकती हैं।

खरपतवार नियंत्रण: खरपतवारों को हाथों से या खरपतवारनाशी के उपयोग से हटाया जा सकता है। हालांकि, एलोवेरा पौधों के शाकनाशी बहाव और संदूषण को रोकने के लिए देखभाल की जानी चाहिए।

एलोवेरा खेती में आने वाला खर्चा: इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) के अनुसार एक हेक्टेयर में प्लांटेशन का खर्च लगभग 27,500 रुपए आता है। जबकि, मजदूरी, खेत तैयारी, खाद आदि जोडक़र पहले साल यह खर्च 50,000 रुपए पहुंच जाता है।

एलोवेरा की खेती के फायदे: बेकार पड़ी भूमि व असिंचित भूमि में बिना किसी विशेष खर्च के इसकी खेती कर लाभ कमाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए खाद, कीटनाशक व सिंचाई की कोई विशेष आवश्यकता भी नहीं होती है। इसे कोई जानवर इसको नहीं खाता है। अत: इसकी रखवाली की विशेष आवश्यकता नहीं होती है। यह फसल हर वर्ष पर्याप्त आमदनी देती है। इस खेती पर आधारित एलुवा बनाने, जैल बनाने व सूखा पाउडर बनाने वाले उद्योगों की स्थापना की जा सकती है। इस तरह इसके सूखे पाउडर व जैल की विश्व बाजार में व्यापक मांग होने के कारण विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है। भारत में डाबर, पंतजलि सहित अन्य आयुर्वेदिक कंपनियां इसकी खरीद करती है।

क्या आप एलोवेरा का उपयोग करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ' बागवानी फसलें ' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: एलोवेरा कितने दिन में तैयार हो जाता है?

A: एलोवेरा का पौधा रोपाई के 8-10 महीने के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाता है।  यदि भूमि कम उपजाऊ है, तो इसके पौधों को तैयार होने में 10 से 12 महीने का समय लग सकता है।

Q: क्या एलोवेरा एक बारहमासी पौधा है?

A: एलोवेरा, जिसे आमतौर पर औषधीय एलो कहा जाता है, एक स्टोलोनिफेरस, तना रहित, उष्णकटिबंधीय बारहमासी है जो रसीले पत्तों की कड़ी रोसेट के साथ सीधा बढ़ता है।

Q: 1 एकड़ में कितना एलोवेरा उगाया जा सकता है?

A: एक किसान 1 एकड़ भूमि पर लगभग 60,000 एलोवेरा के पौधे उगा सकता है, और उस एकड़ की खेती में उसे 1.8 से 2 लाख रुपये के बीच खर्च आएगा।

Q: बिना बीज के एलोवेरा कैसे उगाएं?

A: एलोवेरा को बिना किसी बीज के उगाया जा सकता है, आपको बस इसके पत्ते को मिट्टी में अच्छे से दबाना होगा। इसके बाद कुछ दिन तक अच्छे से धूप लगाने पर पौधा खुद ब खुद उग जाएगा।

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