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26 Aug
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खुबानी की खेती (Apricot farming)


भारत में खुबानी की खेती मुख्य रूप से लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, और जम्मू-कश्मीर में की जाती है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश और उत्तर-पूर्वी पहाड़ी क्षेत्रों में भी इसकी सीमित मात्रा में खेती की जाती है। इस लेख में हम खुबानी की खेती के विभिन्न पहलुओं जैसे जलवायु, मिट्टी, किस्में, बीज, खेत की तैयारी, उर्वरक, सिंचाई, खरपतवार प्रबंधन, रोग एवं कीट, और कटाई के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे। खुबानी की खेती (Khubani ki Kheti) एक लाभदायक व्यवसाय के रूप में उभर रही है, जिससे किसान खुबानी का उत्पादन (Apricot Production) बढ़ा सकते हैं और इस व्यवसाय से अधिक लाभ कमा सकते हैं।

कैसे करें खुबानी की खेती? (How to cultivate apricots?)

  • जलवायु (Climate): खुबानी के पेड़ उगाने के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। ऊँचे पहाड़ी क्षेत्रों में यह पेड़ अच्छी तरह पनपता है, खासकर जहाँ ठंडक हो और तापमान 7°C से 24°C के बीच रहता हो। खुबानी की खेती (Khubani ki kheti) के लिए 1000-3000 मिमी. वर्षा वाले क्षेत्र आदर्श माने जाते हैं।
  • मिट्टी (Soil): खुबानी के पौधे (Apricot Plants) के लिए हल्की दोमट और अच्छे जल निकास वाली मिट्टी सर्वोत्तम होती है। मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। अच्छे उत्पादन के लिए खुबानी के पेड़ की जानकारी (Khubani ke ped ki jankari) के अनुसार, जैविक पदार्थों से समृद्ध मिट्टी और उत्तम जल निकासी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • बुवाई का समय (Sowing Time): खुबानी की रोपाई के लिए सबसे उपयुक्त समय नवंबर से मार्च के बीच होता है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में, पौधों की रोपाई जनवरी से लेकर जुलाई-अगस्त तक की जा सकती है, जब मौसम अपेक्षाकृत ठंडा रहता है। पौधों को ठंडे मौसम में लगाने से उनकी वृद्धि और विकास में मदद मिलती है।
  • प्रमुख किस्में (Varieties): खुबानी की विभिन्न किस्में हैं, जो अपने स्वाद और गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं। 'मोहर' किस्म के फल मध्यम आकार के, पीले रंग के और स्वाद में मीठे होते हैं। 'सरकारा' किस्म अपने उच्च उत्पादन और अच्छे स्वाद के लिए जानी जाती है, इसके फल बड़े और गोल होते हैं। 'न्यू कैस्टल' किस्म के फल बड़े आकार के और गहरे पीले रंग के होते हैं, और इनका स्वाद उत्कृष्ट होता है। इन किस्मों का चयन उनके उत्पादन और स्थानीय जलवायु के आधार पर किया जाता है।
  • बीज की तैयारी (Seed Preparation and Treatment): खुबानी की खेती के लिए स्वस्थ और रोग-मुक्त पौधों से प्राप्त बीजों का चयन करना चाहिए। बीजों को फफूंदनाशक जैसे कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करना चाहिए। इससे फफूंदी और अन्य बीमारियों से सुरक्षा मिलती है। बीजों को अंकुरण के लिए नर्सरी में पहले लगाया जा सकता है, और बाद में जब पौधे पर्याप्त मजबूत हो जाएँ, तो उन्हें खेत में रोपा जा सकता है। बीज उपचार से पौधों की वृद्धि में सुधार होता है और रोगों से बचाव होता है।
  • खेत की तैयारी (Field Preparation): खुबानी की खेती के लिए खेत की गहरी जुताई आवश्यक होती है, जिससे मिट्टी भुरभुरी और समतल हो जाती है। 3 x 3 x 3 फीट आकार के गड्ढे तैयार करें और इनमें 50-60 किलोग्राम अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। खेत को समतल करने से जल निकासी में सुधार होता है, जो पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक है। अच्छी तरह से तैयार खेत खुबानी के पौधों की स्वस्थ वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं।
  • उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management): प्रति परिपक्व पेड़ के लिए 40-45 किलोग्राम गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा, साल में दो बार 10-12 किलोग्राम नीम की खली का प्रयोग भी लाभकारी होता है। रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करने से पहले मिट्टी की जाँच कर लेनी चाहिए। नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश का संतुलित मिश्रण खुबानी के पेड़ों की वृद्धि के लिए आवश्यक होता है। उर्वरकों का उचित प्रबंधन फलों की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार करता है।
  • सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management): खुबानी के पौधों को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है। गर्मियों के दौरान हर 10-15 दिनों में सिंचाई करनी चाहिए, जबकि सर्दियों में इसे 20-25 दिनों के अंतराल पर किया जा सकता है। बारिश के मौसम में प्राकृतिक वर्षा पर निर्भर रहना चाहिए। पौधों की जल आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ड्रिप सिंचाई पद्धति का प्रयोग करना अधिक लाभकारी होता है। सिंचाई का उचित प्रबंधन पौधों की वृद्धि और फलों की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • खरपतवार प्रबंधन (Weed Management): खुबानी के पौधों के आसपास खरपतवार को नियंत्रित करना आवश्यक होता है। खरपतवार की वृद्धि से पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जो पौधों की वृद्धि को प्रभावित कर सकती है। इसके लिए मैन्युअल खरपतवार नियंत्रण या रासायनिक खरपतवार नाशक का उपयोग किया जा सकता है। मल्चिंग का उपयोग भी खरपतवार नियंत्रण के लिए किया जा सकता है, जिससे मिट्टी की नमी बनी रहती है और खरपतवार की वृद्धि कम होती है।
  • रोग एवं कीट प्रबंधन (Pest and Disease Management): खुबानी के पेड़ों को विभिन्न प्रकार के रोग और कीट प्रभावित कर सकते हैं। पत्तियों का झड़ना, फलों का सड़ना, और तनों का सूखना आम समस्याएं हैं। इसके लिए फफूंद नाशक और कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए। जैविक नियंत्रण विधियाँ भी अपनाई जा सकती हैं, जैसे कि ट्राइकोडर्मा और नीम तेल का प्रयोग। रोग और कीट प्रबंधन के लिए नियमित निरीक्षण और उचित उपचार आवश्यक होता है।
  • तुड़ाई एवं भंडारण(Harvesting and Storage): खुबानी के फलों की कटाई तब की जाती है जब वे पूरी तरह से पक जाते हैं और उनका रंग गहरा पीला या नारंगी हो जाता है। फलों को हल्के हाथों से तोड़कर टोकरी में एकत्र किया जाता है। कटाई के बाद फलों को ठंडे और हवादार स्थान पर भंडारित करना चाहिए। उचित भंडारण से फलों की ताजगी और गुणवत्ता बनी रहती है। फलों को बाजार में भेजने से पहले उनकी ग्रेडिंग और पैकिंग की जाती है।

क्या आप खुबानी (एप्रीकॉट) की खेती करते हैं ? अगर हाँ तो अपना जवाब हमें कमेंट करके बताएं। ऐसी ही रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'बागवानी फसलें' चैनल को अभी फॉलो करें। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान मित्रों के साथ साझा करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions - FAQs)

Q: खुबानी का पेड़ कितने साल में फल देता है?

A: खुबानी के पेड़ आमतौर पर रोपण के बाद अपने तीसरे या चौथे वर्ष में फल देना शुरू कर देते हैं। हालांकि, फल देने की यह अवधि पेड़ की विविधता, बढ़ती परिस्थितियों और अन्य कारकों पर निर्भर कर सकती है। पेड़ को स्वस्थ विकास और फल उत्पादन के लिए नियमित छंटाई, निषेचन और कीट नियंत्रण जैसे उचित देखभाल की आवश्यकता होती है। सही देखभाल के साथ, खुबानी के पेड़ 20 साल या उससे अधिक समय तक फल देते रह सकते हैं।

Q: खुबानी कब लगाना चाहिए?

A: भारत में खुबानी लगाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के मौसम के दौरान नवंबर से फरवरी के बीच होता है। खुबानी के पेड़ों को फल देने के लिए सर्दियों के महीनों के दौरान सुप्तता की अवधि की आवश्यकता होती है। इस अवधि के दौरान रोपण से पेड़ को अपनी जड़ें स्थापित करने और आगामी बढ़ते मौसम के लिए तैयार होने में मदद मिलती है। इष्टतम विकास और फल उत्पादन के लिए अच्छी तरह से सूखा मिट्टी और पूर्ण सूर्य के संपर्क के साथ एक स्थान चुनना महत्वपूर्ण है।

Q: खुबानी कहां-कहां उगाई जाती है?

A: खुबानी भारत के विभिन्न हिस्सों में उगाई जाती है, जिसमें जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और पंजाब तथा हरियाणा के कुछ हिस्से शामिल हैं। इन क्षेत्रों में खुबानी को वाणिज्यिक फसल के रूप में उगाया जाता है और इसे घर के बगीचों में भी उगाया जा सकता है।

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